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शशि थरूर का यूटर्न अब सम्भव नहीं !, कांग्रेस से उनकी दूरियां कम होने की संभावना खत्म

 

अभिषेक आचार्य
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RNE Special.

केरल की तिरुअनंतपुरम सीट से निर्वाचित सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर और कांग्रेस के बीच की दूरियां अब खाई जितनी चौड़ी हो गयी है। थरूर अब चाहकर भी यूटर्न नहीं ले सकते। 

अपने बिंदास अंदाज के कारण थरूर सुर्खियों में रहते आये है। एक समय मे भाजपा सबसे ज्यादा उन पर हमलावर रही है। उनके व्यक्तिगत जीवन को लेकर भाजपा का सोशल मीडिया ऑपरेट करने वाले लोग और कई भाजपा नेता उन पर हमलावर रहे है। भाजपा जिस समय उन पर हमलावर थी, तब कांग्रेस ही उनकी ढाल बनकर खड़ी थी। उसी कांग्रेस से अब थरूर धीरे धीरे किनारा करते नजर आ रहे है। अब तो वे इस काम में बहुत आगे तक निकल लिए है। 
 

तकरार की शुरुआत:
 

शशि थरूर तिरुअनंतपुरम से पिछला चुनाव बहुत मामूली अंतर से जीते थे। जो उनकी घटती लोकप्रियता की निशानी थी। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद थरूर केरल के पार्टी नेताओं की उपेक्षा करने लगे, यह उनको सहन नहीं हुआ।
 

तब कांग्रेस ने उनको विधानसभा चुनाव, उप चुनावों में उनको पार्टी के प्रचार के लिए ही नहीं बुलाया। थरूर खुद चलकर पार्टी का प्रचार करने नहीं गए। इससे उलट उन्होंने यह बयान दिया कि मुझे यदि पार्टी बुलाएगी नहीं तो मैं चुनाव प्रचार नहीं करूंगा।

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थरूर के चुनाव से दूर रहने के बाद भी पार्टी को सफलता मिली। केरल के कांग्रेस नेता उन पर हमलावर हो गए और खुलेआम उनकी आलोचना करने लगे। पार्टी का आलाकमान चुप रहा। केरल कांग्रेस ने थरूर को पूरी तरह अलग थलग कर दिया। यहां से थरूर व कांग्रेस के बीच दूरियां शुरू हुई।
 

ऑपरेशन सिंदूर से खाई चौड़ी हुई:
 

ऑपरेशन सिंदूर के बाद विश्व मंच पर भारत का पक्ष रखने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के लिए सरकार ने कांग्रेस से नाम मांगे। कांग्रेस ने जो नाम दिए, उनमें शशि थरूर का नाम नहीं था। केंद्र की भाजपा सरकार ने थरूर व कांग्रेस के बीच के खटास के रिश्तों को हवा दी और नाम न होने के बावजूद थरूर को एक प्रतिनिधि मंडल का मुखिया बना दिया। कांग्रेस इससे तिलमिला उठी। 

भाजपा यही चाहती थी। पार्टी लाइन के विपरीत बोले थरूर तो दरई और बढ़ गई। थरूर कांग्रेस में अलग थलग पड़ गए। अब कांग्रेस संसद में भी उनको बोलने का अवसर नहीं देती थी। थरूर भी अवसर मिलते ही मोदी सरकार की तारीफ कर बैठते। राहुल गांधी सहित शीर्ष नेताओं ने थरूर को इग्नोर कर दिया।
 

पुतिन का डिनर और थरूर:
 

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को राष्ट्रपति ने डिनर दिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं मिला, मगर शशि थरूर को डिनर का न्यौता दिया गया।
थरूर ने राहुल व खड़गे को न बुलाने की आलोचना की मगर खुद के जाने पर सहमति दी। क्योंकि वे अब नई राजनीतिक राह पर बहुत आगे निकल चुके थे। सरकार को ना कहने की उनकी स्थिति ही नहीं रही अब।

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राजनीति बदलेगी केरल की:
 

केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव है और भाजपा थरूर के बहाने वहां बड़ा दाव लगा रही है। मगर भूल रही है कि थरूर अपनी लोकसभा सीट भी कुछ हजार वोट से ही जीत पाये थे। मगर थरूर अब पार्टी से इतना आगे निकल गए है कि उनका यूटर्न सम्भव नहीं।

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