Vice President Election : 17वां उपराष्ट्रपति चुनाव में 782 सदस्य दे सकेंगे वोट, विशेष पेन से ही दिया जाएगा वोट!
RNE New Delhi.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। धनखड़ का विकल्प कौन होगा! चुनाव कब है! कितने लोग वोट देंगे! चुनाव की प्रक्रिया क्या होगी! ऐसे कई सवाल बार-बार सामने आ रहा है। जानिए कब, क्या कैसे होगा!
इतने वोटर, ऐसे देंगे वोट :
संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति को एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से बने निर्वाचक-मंडल द्वारा निर्वाचित किया जाता है। इस लिहाज से राज्य सभा के 233 निर्वाचित सदस्य, राज्य सभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोक सभा के 543 निर्वाचित सदस्य मतदान कर सकेंगे। मतलब यह कि दोनों सदनों के कुल 788 सदस्य शामिल हैं। वर्तमान में लोकसभा में 01 व राज्यसभा में 05 सीटें रिक्त हैं। ऐसे में कुल 782 सदस्य वोट दे सकेंगे।
यूं जानिए पूरी चुनाव प्रक्रिया :
17वां उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन : गृह मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 22.07.2025 के आलोक में भारत के उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया है। राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन अधिनियम, 1952 की धारा 4 की उप-धारा (1) एवं उप-धारा (4) के प्रावधानों के अनुसार, इस प्रकार उत्पन्न हुई रिक्ति को भरने के लिए उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन की अधिसूचना उक्त रिक्ति के उत्पन्न होने के बाद यथाशीघ्र की जानी अपेक्षित है।
कब, क्यों होते हैं चुनाव :
भारत के संविधान के अनुच्छेद 67 के प्रावधानों के तहत, उपराष्ट्रपति उस तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करेंगे, जिस तारीख को वे अपने पद का कार्यभार ग्रहण करेंगे। इसके अतिरिक्त, संविधान के अनुच्छेद 68(2) के प्रावधानों के अनुसार, उपराष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उपराष्ट्रपति के पद में हुई किसी रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात यथाशीघ्र संचालित किया जाएगा एवं रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के प्रावधानों के अध्यधीन उस तारीख से पांच साल की पूर्ण अवधि के लिए पद धारण करने हेतु पात्र होगा, जिस तारीख को वह अपने पद का कार्यभार ग्रहण करेगा।
Election Commission की यह ड्यूटी :
संविधान के अनुच्छेद 324 के साथ पठित राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन अधिनियम, 1952 और राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन नियम, 1974, भारत निर्वाचन आयोग को भारत के उपराष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचन के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का अधिकार प्रदान करता है। निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करने का अधिदेश दिया गया है कि उपराष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचन, संवैधानिक प्रावधानों और संगत कानूनों और नियमों के अनुसार होना चाहिए। इसके अनुसरण में, भारत निर्वाचन आयोग आज 17वें उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए कार्यक्रम की घोषणा करता है।
ऐसे होती है वोटिंग :
भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति को एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से बने निर्वाचक-मंडल द्वारा निर्वाचित किया जाता है। 17वें उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन, 2025 के लिए निर्वाचक-मंडल में निम्न शामिल हैं:-
(i) राज्य सभा के 233 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में 05 सीटें रिक्त हैं)
(ii) राज्य सभा के 12 मनोनीत सदस्य, और
(iii) लोक सभा के 543 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में 01 सीट रिक्त है)
निर्वाचक-मंडल में संसद के दोनों सदनों के कुल 788 सदस्य (वर्तमान में 782 सदस्य) शामिल हैं। चूंकि, सभी निर्वाचक संसद के दोनों सदनों के सदस्य हैं, इसलिए संसद के प्रत्येक सदस्य के मत का मान एकसमान अर्थात् 1 (एक) होगा।
Secret Ballot Paper ऐसा होगा :
संविधान के अनुच्छेद 66(1) में प्रावधान है कि निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार आयोजित किया जाएगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त मतपत्र (Secret Ballot Paper) द्वारा होगा। इस प्रणाली में, निर्वाचक को अभ्यर्थियों के नामों के सामने अधिमान (preference) अंकित करना होता है। अधिमान को भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप में, रोमन रूप में, या किसी भी मान्यता-प्राप्त भारतीय भाषाओं के रूप में चिह्नित (Mark) किया जा सकता है। अधिमान को केवल अंकों में चिह्नित किया जाना है और उन्हें शब्दों में निदर्शित (indicate) नहीं किया जाएगा। निर्वाचक उतने अधिमान चिह्नित कर सकता है जितनी अभ्यर्थियों की संख्या है। जबकि, मतपत्र के विधिमान्य (valid) होने के लिए पहला अधिमान चिह्नित करना अनिवार्य है, अन्य अधिमानों का चिह्नांकन वैकल्पिक है।
खास पेन से ही दिया जाएगा वोट :
मत चिह्नित करने के लिए, आयोग विशेष पेन (Pen) प्रदान करेगा। निर्वाचकों को यह पेन निर्दिष्ट अधिकारी द्वारा मतदान केंद्र में मतपत्र सौंपे जाते समय दिया जाएगा। निर्वाचकों को केवल इस विशेष पेन से मतपत्र चिह्नित करना है न कि किसी अन्य पेन से। किसी अन्य पेन का उपयोग करके मतदान किए जाने पर मतगणना के समय मत अविधिमान्य हो जाएगा।
राज्य सभा के महासचिव रिटर्निंग अधिकारी के रूप में नियुक्त :
निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार के परामर्श से, 25 जुलाई, 2025 की अधिसूचना के माध्यम से भारत के उपराष्ट्रपति के पद के वर्तमान निर्वाचन के लिए रिटर्निंग अधिकारी के रूप में राज्य सभा के महासचिव को नियुक्त किया है। आयोग ने 25 जुलाई, 2025 की अधिसूचना के माध्यम से संसद भवन (राज्य सभा) में रिटर्निंग अधिकारी की सहायता करने के लिए दो सहायक रिटर्निंग अधिकारियों की भी नियुक्ति की है।
यहां होगा पोलिंग बूथ :
राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन नियम, 1974 के नियम 8 के अनुसार, निर्वाचन के लिए मतदान संसद भवन में आयोजित किया जाएगा। मतदान, यदि आवश्यक हुआ तो, कमरा सं. एफ-101, वसुधा, प्रथम तल, संसद भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
15 हजार रुपए जमानत राशि, 11 से 03 बजे तक नामांकन :
अभ्यर्थी का नाम-निर्देशन पत्र, रिटर्निंग अधिकारी को, नई दिल्ली में उसके द्वारा जारी की जाने वाली सार्वजनिक सूचना (राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन नियम, 1974 के साथ संलग्न प्ररूप-1 में) द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाने वाले स्थान पर ही, परिदत्त (Deliver) किया जाना चाहिए न कि किसी अन्य स्थान पर। कानून के तहत, नाम-निर्देशन पत्र (विहित प्ररूप 3 में) या तो स्वयं अभ्यर्थी द्वारा या उसके किसी प्रस्थापक या समर्थक द्वारा पूर्वा. 11.00 बजे से अप. 3.00 बजे के बीच दाखिल किया जा सकता है। नाम-निर्देशन सार्वजनिक अवकाश के दिनों में दाखिल नहीं किया जा सकता है। किसी अभ्यर्थी के नाम-निर्देशन पत्र में प्रस्थापकों के रूप में कम से कम बीस निर्वाचकों और समर्थकों के रूप में कम से कम बीस अन्य निर्वाचकों के हस्ताक्षर होने चाहिए। कोई निर्वाचक उसी निर्वाचन में, या तो प्रस्थापक के रूप में या समर्थक के रूप में एक से अधिक नाम-निर्देशन पत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता है और यह राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन अधिनियम, 1952 की धारा 5ख (5) द्वारा शासित होता है। एक अभ्यर्थी अधिकतम चार नाम-निर्देशन पत्र दाखिल कर सकता है। निर्वाचन के लिए प्रतिभूति जमाराशि 15,000/-रुपये (पंद्रह हजार रुपए मात्र) है, जिसे नाम-निर्देशन पत्र के साथ जमा करवाना अपेक्षित होता है या नाम-निर्देशन पत्र दाखिल करने से पहले इस प्रयोजनार्थ भारतीय रिजर्व बैंक या सरकारी कोषागार में संगत लेखा शीर्ष के तहत जमा की जानी चाहिए।
100 रुपए में मिलेगी वोटर लिस्ट :
राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन नियम, 1974 के नियम 40 के अनुसार, आयोग उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन के प्रयोजनार्थ अनुच्छेद 66 में उल्लिखित निर्वाचक-मंडल के सदस्यों की एक सूची, उनके सही अद्यतन पते के साथ अनुरक्षित (maintain) रखेगा। उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन, 2025 के लिए आयोग द्वारा अनुरक्षित निर्वाचक-मंडल के सदस्यों की सूची, अधिसूचना की तिथि से भारत निर्वाचन आयोग के परिसर में खोले गए काउंटर पर 100/- रुपये प्रति कॉपी की दर से बिक्री के लिए उपलब्ध होगी।
पोलिंग एजेंट रख सकेंगे :
निर्वाचन लड़ने वाला प्रत्येक अभ्यर्थी, मतदान स्थल और मतगणना के लिए निर्धारित स्थान (मतगणना हॉल) में उपस्थित रहने के लिए अपने एक प्रतिनिधि को अधिकृत कर सकता है। इस प्रयोजन के लिए प्रतिनिधियों को अधिकृत करने का कार्य, अभ्यर्थी द्वारा यथासमय लिखित रूप में किया जाएगा।
.. तो खारिज हो जाएगा वोट :
संविधान में यह स्पष्ट प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचन गुप्त मतपत्र (secret ballot) द्वारा होगा। इसलिए, निर्वाचकों से अपेक्षा की जाती है कि वे पूरी निष्ठा से मत की गोपनीयता बनाए रखें। इस निर्वाचन में खुले मतदान की कोई अवधारणा नहीं है और राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन के मामले में किसी भी परिस्थिति में किसी को भी मतपत्र दिखाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन नियम, 1974 में निर्धारित मतदान प्रक्रिया में प्रावधान है कि मतदान कोष्ठ (compartment) में मत चिह्नित करने के बाद, निर्वाचक से अपेक्षित है कि वह मतपत्र को मोड़कर मतपेटी में डालें। मतदान प्रक्रिया के किसी भी उल्लंघन पर पीठासीन अधिकारी द्वारा मतपत्र को रद्द कर दिया जाएगा। जैसा कि पैराग्राफ 6 में पहले ही उल्लेख किया गया है, मतदान स्थल पर पीठासीन अधिकारी द्वारा निर्वाचकों को उपलब्ध कराए गए विशेष पेन से ही मत का चिह्नांकन किया जा सकता है।
व्हिप जारी नहीं होगी :
राजनैतिक दल उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन में मतदान के मामले में अपने संसद सदस्यों को कोई व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं। राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन अधिनियम, 1952 की धारा 18 के अनुसार, निर्वाचित अभ्यर्थी या निर्वाचित अभ्यर्थी की सहमति से किसी व्यक्ति द्वारा भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 और 171 में यथा-परिभाषित 'रिश्वतखोरी' या 'अनुचित प्रभाव' का अपराध, ऐसे आधार हैं जिन पर निर्वाचन याचिका में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्वाचन को शून्य घोषित किया जा सकता है।
चुनाव आयोग करेगा यह काम :
सहायक रिटर्निंग अधिकारी मतदान के संचालन के लिए और मतपेटियों एवं अन्य महत्वपूर्ण निर्वाचन सामग्री को निर्वाचन आयोग से संसद भवन तक ले जाने और मतदान के बाद वापस निर्वाचन आयोग तक लाने के लिए रिटर्निंग अधिकारी की सहायता करेंगे। आयोग भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को मतदान स्थल और मतगणना स्थल पर अपने प्रेक्षकों के रूप में भी नियुक्त करता है।
Biodegradable Material से कर सकेंगे प्रचार :
भारत के उपराष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचन एक अप्रत्यक्ष निर्वाचन है, इसलिए इसमें बैनर, पोस्टर आदि प्रदर्शित करने के पारंपरिक तरीके से निर्वाचन प्रचार करना शामिल नहीं है। फिर भी, इस निर्वाचन के महत्व को देखते हुए, आयोग ने संबंधित रिटर्निंग अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे पर्यावरण के अनुकूल और जैव-अवक्रमणीय सामग्री (biodegradable material) का उपयोग सुनिश्चित करें तथा भारत सरकार के मौजूदा अनुदेशों के अनुसार प्रतिबंधित प्लास्टिक/सामग्री का उपयोग ना करें।
मतगणना :
मतगणना, यदि आवश्यक हो, नई दिल्ली में रिटर्निंग अधिकारी के पर्यवेक्षण में होगी। मतगणना के पूरा होने पर, निर्वाचन के परिणाम (राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन नियम, 1974 के साथ संलग्न प्ररूप 7 में) पर रिटर्निंग अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किया जाएगा और उसे जारी किया जाएगा।
50 रुपए में ले सकते हैं 16 उपराष्ट्रपतीय चुनाव की पुस्तिका :
भारत के उपराष्ट्रपति के पद हेतु मौजूदा निर्वाचन के सभी पहलुओं तथा विगत सोलह उपराष्ट्रपतीय निर्वाचनों को शामिल करते हुए एक सूचना पुस्तिका (information booklet) निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उक्त सूचना पुस्तिका की प्रति आयोग के बिक्री काउंटर से भी 50/- रुपये प्रति कॉपी की दर से प्राप्त की जा सकती है।