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Farmer Compensation : किसानों के खेतों में लगे टावर के बदले किसानों को मिलेगा 200 गुना मुआवजा, सरकार ने दी मंजूरी 

 

खेतों में जहां से बिजली के हाई वोल्टेज वाली लाइनों के तार और टावर गुजरते हैं उसके नीचे व आसपास खेती नहीं कर सकते। जो किसान खेती करते हैं कई बार उनकी फसलें तारों से निकली चिंगारी से स्वाहा हो जाती है। दूसरे खेतों में भी आग फैल जाती है। बारिश के दिनों में करंट से जान भी गंवानी पड़ती है।

आकाशीय बिजली गिरने से खेतों में तारों के नजदीक काम करने वालों की मौत तक हो जाती है। मध्यप्रदेश में अब खेत से गुजरने वाली बिजली के तारों के नजदीक काम करने की नौबत नहीं आएगी, क्योंकि सरकार वन-टाइम 200 फीसदी मुआवजा देने जा रही है। पहले यह क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि 80 फीसद थी जो नुकसान की तुलना में बहुत कम थी।

इसके चलते किसान टावर लगने के बावजूद उक्त जमीन का उपयोग कर नुकसान की भरपाई का प्रयास करते थे। जान गंवानी पड़ती थी। बढ़ा हुआ मुआवजा देने के बावजूद भी किसानों का उक्त जमीन पर अधिकार होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णयलिया गया।

चारों ओर की 1 मीटर जमीन का मुआवजा मिलेगा

कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि 66 केवी या उससे अधिक वोल्टेज के लाइन के टावर बेस वाली ट्रांसमिशन लाइनों के उपयोग पर 200 फीसदी मुआवजा देने की गाइडलाइन लागू होगी। इसका निर्धारण कलेक्टर गाइडलाइन के तहत करेंगे। जमीन के क्षेत्रफल के प्रचलित बाजार मूल्य का 200 फीसदी क्षतिपूर्ति होगी।

जमीन के निर्धारण के लिए टावर के चारों स्तंभों के अंदर आने वाली जमीन की गणना के साथ ही उसके बाहर चारों तरफ की एक मीटर जमीन का भी मुआवजा देंगे। साथ ही ट्रांसमिशन लाइन के नीचे आने वाली जमीन की राशि भी कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर 15 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी तक देंगे।

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