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डोटासरा-गर्ग की सोशल मीडिया जंग में परदे के पीछे निशाना कौन?

 
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।  कांग्रेस में बदलाव की बयार तेजी से बह रही प्रतीत होती है। पहले कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि टिकट जिसे सचिन कहेंगे, दे देंगे। मैं थोड़ा सख्त नही हो सका जिसके कारण विधानसभा के चुनाव में पार्टी को नुकसान हुआ। उसके बाद पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा ने भी एक बयान में कहा कि हम मन की नहीं कर पाये, इसलिए परिणाम आशा के अनुरूप नहीं मिले। ये दोनों बयान राजनीतिक हलके में चर्चा में रहे। क्योंकि दोनों नेताओं के बयान एक तरह से गहलोत पर ही हमला थे। उससे ये भी अहसास हुआ कि राजस्थान कांग्रेस में बदलाव की हवा चल रही है। डोटासरा-गर्ग की सोशल मीडिया जंग में परदे के पीछे निशाना कौन? ताजा मामला है पीसीसी चीफ डोटासरा व आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग के बीच टकराहट का। गर्ग को पिछली सरकार में सीएम अशोक गहलोत का सबसे करीबी व संकटमोचक माना जाता था। गहलोत विश्वास का हर काम उनको ही सौंपते थे। वे ही फ्रंट फुट पर रहकर सचिन पर हमला करते थे। उनको समझौते में सीट छुड़वाने में भी गहलोत का हाथ था। आलाकमान से उन्होंने ही ये बात की थी। गर्ग पर सचिन भी पेपर लीक मामले में अपरोक्ष रूप से खूब हमलावर रहे थे। गहलोत के खासमखास गर्ग पर अब डोटासरा ने हमला बोला है। डोटासरा-गर्ग की सोशल मीडिया जंग में परदे के पीछे निशाना कौन? भरतपुर में जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक थी तो डोटासरा ने जमकर गर्ग पर हमला बोला और यहां तक कह दिया कि वे ये न भूलें की उनकी जीत कांग्रेस वोटों के कारण हुई है। कांग्रेस साथ न होती तो वे नहीं जीतते। ये बात गर्ग को अखरी। उन्होंने जवाबी हमला ट्विटर जो अब एक्स है, उस पर किया। उन्होंने लिखा कि इतना घमंड ठीक नहीं। डोटासरा ने जवाब भी खारे अंदाज में दिया। फिर गर्ग ने रंधावा को संबोधित ट्वीट किया- रंधावा जी, आप इनको समझाइए। ये बड़बोलापन ठीक नहीं। ये टकराहट गर्ग व डोटासरा के बीच लगातार जारी है। डोटासरा-गर्ग की सोशल मीडिया जंग में परदे के पीछे निशाना कौन?अशोक गहलोत के खास सुभाष गर्ग पर डोटासरा के हमले के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। कुछ लोग इसे गर्ग के बहाने गहलोत को सुनाना बता रहे हैं तो कुछ लोग राज्य कांग्रेस में हुए बदलाव की इसे परिणीति बता रहे हैं। कुल मिलाकर ये तो स्पष्ट होता ही है कि कांग्रेस में पर्दे के पीछे बदलाव की हवा तेज गति से चलने लग गई है। उसी की परिणीति अलग अलग बयानों में दिख रही है। कार्यकर्ता सम्मेलनों में भी रंधावा, डोटासरा व नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली ही दिख रहे हैं। ये भी तो बदलाव को दर्शाने वाला है। डोटासरा-गर्ग की सोशल मीडिया जंग में परदे के पीछे निशाना कौन?