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Bikaner : राजस्थानी की मान्यता का तीन दिवसीय आयोजन, ये बोले कमल रंगा!
RNE Bikaner.
राजस्थानी की मान्यता के प्रदेशभर से उठ रही मांग के बीच बीकानेर की प्रज्ञालय संस्था और युवा लेखक संघ ने मिलकर तीन दिन के विशेष आयोजन शुरू किया हैं। कार्यक्रम के दूसरे दिन महिलाओं और युवाओं को मान्यता का संकल्प दिलाया गया।
इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि मातृभाषा राजस्थानी करोडो लोगों कि अस्मिता एवं जन भावना के साथ प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान है। ऐसे में देश की प्रमुख मातृभाषा को संवैधानिक मान्यता शीघ्र मिलनी चाहिए। राजस्थानी भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से सारे मापदण्डों पर खरी उतरती है। राजस्थानी को मान्यता देने पर हिन्दी समृद्ध होगी।
रंगा ने कहा कि राजस्थानी भाषा सारी विधिक प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता हेतु सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में गठित समिति ने जो सिफारश कि थी उसे गृह मंत्रालय द्वारा संवैधानिक मान्यता हेतु उचित कार्यवाही शीघ्र होनी चाहिए। विशेष तौर से महिलाओं एवं युवा पीढी को अपनी मातृभाषा से सच्चे अर्थो में जुडने के संदर्भ में एवं संवैधानिक मान्यता के साथ प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम राजस्थानी हो के बाबत वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने संकल्प दिलाया।
कार्यक्रम के सहसंयोजक हरिनारायण आचार्य ने बताया कि हाल ही में राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को इस बाबत आग्रह किया गया है। ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार अब राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर करोड़ों लोगों को उनका वाजब एवं संवैधानिक हक प्रदान करें।
राजस्थानी भाषा को समर्पित तीन दिवसीय मान्यता समारोह के दूसरे दिन आज युवा पीढी के बालक/बालिकाओं एवं महिलाओं को मातृभाषा राजस्थानी के प्रति आत्मिक एवं भावनात्मक भाव के साथ संकल्प दिलाया।राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता मिले एवं प्राथमिक शिक्षा राजस्थानी में हो के संदर्भ में नारे लगाए। संचालन युवा संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने किया।