कांग्रेस उप चुनाव वाली सीटों पर ले रही फीडबैक, भाजपा अभी सक्रिय नहीं
“सीएम की प्रतिष्ठा भी इन उप चुनावों में दाव पर रहेगी। भाजपा के लिए एक बड़ी परेशानी संगठन महामंत्री का न होना भी है। चंद्रशेखर को तेलंगाना भेजा गया उसके बाद से ये पद रिक्त चल रहा है।”
चुनाव आयोग ने हालांकि अभी तक राज्य की 5 सीटों पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है। मगर कांग्रेस ने इस सीटों को लेकर अभी से चुनावी तैयारियां आरम्भ कर दी है। राज्य की दौसा, देवली उणियारा, खींवसर, झुंझनु व चौरासी सीटों पर चुनाव होना है। ये सीटें क्रमशः मुरारीलाल मीणा, हरीश मीणा, हनुमान बेनीवाल, ब्रजेन्द्र ओला व राजकुमार रोत के लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो जाने से रिक्त हुई है।
कांग्रेस प्रभारी बना चुकी, रंधावा जाएंगे :
कांग्रेस ने इन पांचों सीटों पर उम्मीदवार की खोज के लिए पहले ही समिति व प्रभारी बना दिये थे। जिनमें उस क्षेत्र के सांसदों को भी शामिल किया था। विधानसभा का बजट सत्र समाप्त होते ही अब पीसीसी इन पांच सीटों के लिए फीडबैक लेना आरम्भ कर रही है। प्रभारियों का फीडबैक लेने के बाद पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा व राज्य कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पांचों क्षेत्रों का दौरा करेंगे और वहां जाकर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेंगे। उस कार्यक्रम की तारीखें तय की जा रही है।
किस सीट पर किसका प्रभाव :
कांग्रेस ने इन सीटों के लिए वहां के संगठन पदाधिकारियों व प्रदेश पदाधिकारियों को भी ड्यूटी दी है जो निरंतर वहां काम करेंगे। अभी कांग्रेस के पास दौसा, देवली उणियारा व झुंझनु की सीटें है, जिन्हें वो वापस जीतने के लिए पूरा दम लगायेगी। वहीं चौरासी सीट आदिवासी पार्टी के पास है और कांग्रेस उससे समझौता करने की कोशिश में है। ताकि भाजपा को जीत से रोका जा सके। खींवसर सीट रालोपा के पास है और रालोपा अभी इंडिया गठबंघन का हिस्सा है। उप चुनाव में हनुमान बेनीवाल का क्या रुख रहता है, ये अब स्पष्ट होगा। लोकसभा चुनाव के बाद एक बार तो नाराजगी के चलते बेनीवाल ने अपने बूते चुनाव लड़ने की बात कह दी थी। मगर बाद में सब ठीक हो गया। अब क्या रहता है, उसका फैसला भी शीघ्र होने के आसार है।
भाजपा में सक्रियता नहीं दिख रही :
दूसरी तरफ भाजपा अभी तक इन चुनावों को लेकर सक्रिय नहीं हो सकी है। क्योंकि 3 अगस्त को ही पार्टी के नए अध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ ने कार्यभार ग्रहण किया है। अब रणनीति पर काम शुरू होगा। प्रदेश संगठन की क्या स्थिति रहती है, ये भी स्पष्ट होना बाकी है। राठौड़ को नए सिरे से सब कुछ करना होगा। पार्टी के अंतर्कलह को भी चुनाव के लिए दूर करना पड़ेगा। दौसा व देवली उणियारा सीट पर किरोड़ीलाल मीणा का प्रभाव है और वे मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। जिस पर निर्णय होना बाकी है। उनको कैसे पार्टी राजी करेगी, ये बड़ा सवाल है। झुंझनु सीट पर सांसद व पहले विधानसभा चुनाव लड़कर हार चुके शुभकरण चौधरी को राजी करना भी एक समस्या है। क्योंकि हार के बाद उन्होंने पार्टी नेताओं पर ही भीतरघात का आरोप लगाया था। इन सबसे पार पाना राठौड़ के सामने बड़ी चुनोती है।
सीएम के लिए एक और चुनौती है ये चुनाव :
सीएम भजनलाल के लिए भी ये चुनाव खास है। क्योंकि पहले हुए 2 उप चुनाव भाजपा हारी। लोकसभा चुनाव में 11 सीटें हारी। अब इस चुनाव में वे कुछ करिश्मा करना चाहते हैं। हालांकि इन 5 मे एक भी सीट अभी भाजपा के पास नहीं है, मगर वे दौसा व खींवसर पर फोकस कर रहे हैं। सरकार व संगठन में बेहतर तालमेल के लिए इसी कारण प्रयास हो रहे हैं। सीएम की प्रतिष्ठा भी इन उप चुनावों में दाव पर रहेगी। भाजपा के लिए एक बड़ी परेशानी संगठन महामंत्री का न होना भी है। चंद्रशेखर को तेलंगाना भेजा गया उसके बाद से ये पद रिक्त चल रहा है। संघ की तरफ से 7 महीनें में भी कोई नाम नहीं दिया गया है।
कांग्रेस व भाजपा को इन स्थितियों के बीच ही उप चुनाव लड़ना है और अच्छी जोर आजमाइश होनी है।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।