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प्रो. कुमुद शर्मा और उदयनारायण सिंह की रही प्रमुख उपस्थिति

  • हमने हिंदी को एकता की भाषा की जगह आंकड़ो की भाषा बना दिया है – कुमुद शर्मा
  • जन भाषाओं ने हिंदी को समृद्ध किया है – उदयनारायण सिंह

RNE Network.

साहित्य अकादेमी में आज 30 सितंबर तक चलने वाले हिंदी पखवाड़े का शुभारंभ हुआ। आरंभ में अकादेमी के उपसचिव (प्रशासन) कृष्णा किंबहुने ने अतिथियों का स्वागत उत्तरीय से किया, जिसके पश्चात् माननीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह का संदेश अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश के द्वारा पढ़कर सुनाया गया। पखवाड़े का उद्घाटन साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने किया और विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिष्ठित भाषाविद् उदयनारायण सिंह उपस्थित थे।

अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि भाषा ऐसी परिधि है, जिसमें उस समाज और समुदाय की संस्कृति संरक्षित रहती है। हमने एकता की भाषा हिंदी को केवल आंँकड़ों की भाषा में बदल दिया है। हमें हिंदी भाषा का स्वाभिमान लौटाना होगा। हिंदी के साथ ही सभी भारतीय भाषाओं का स्वाभिमान भी जुड़ा हुआ है। आगे उन्होंने कहा कि हिंदी समन्वय की भाषा है, वर्चस्व की नहीं। हिंदी भाषा के आगे बढ़ने का मतलब है, सभी भारतीय भाषाओं का विकास।

विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए उदयनारायण सिंह ने कहा कि हिंदी का भाषा भूगोल और काल बहुत ही रोचक है। उन्होंने कहा कि जन भाषाओं या कहे स्थानीय बोलियों ने हिंदी को बहुत समृद्ध किया है। आगे उन्होंने कहा कि उत्तर-पूर्वी और दक्षिण भाषाओं को हिंदी के साथ और बेहतर तरीके से जोड़ने की चुनौती है।

अपराह्न काल में अकादेमी कर्मचारियों के लिए वाक् प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें 12 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के निर्णायक वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र मिश्र थे। प्रतिभागियों ने मुद्रित पुस्तकों का भविष्य एवं सोशल मीडिया में हिंदी विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम का संचालन राजभाषा कार्यान्वयन समिति के प्रभारी देवेंद्र कुमार देवेश ने किया और धन्यवाद ज्ञापन हिंदी संपादक अनुपम तिवारी ने किया। कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी के कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित थे।