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जनरंजन : भाजपा के बिखराव का असर सदस्यता अभियान पर, बड़े नेता चिंतित

राजस्थान में इस बार भाजपा का सदस्यता अभियान पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुआ है। अभियान को लेकर प्रदेश के किसी भी जिले में पहले की तरह न तो उत्साह दिख रहा है और न सक्रियता। इसी कारण इतनी अवधि के बाद भी 30 फीसदी लक्ष्य भी प्राप्त नहीं किया जा सका। राज्य ने 1.2 करोड़ का लक्ष्य तो ले लिया मगर कोई योजनाबद्ध कार्यक्रम नहीं चलाया गया। तभी तो 24 लाख सदस्य भी मुश्किल से बन सके। पार्टी नेतृत्त्व इस बात से बहुत ज्यादा चिंतित दिखा। अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान तो बहुत अधिक पिछड़ा हुआ है। जबकि पिछली बार तो राज्य पहले तीन राज्यों में शामिल था।

भाजपा के संगठन मंत्री बी एल संतोष को इसी वजह से जयपुर आना पड़ा। उन्होंने पार्टी के जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों की क्लास ली और नाराजगी भी जताई। खरी खोटी भी सुनाई। उन्होंने तो जनप्रतिनिधियों से यहां तक कह दिया कि आप प्रवास ही नहीं करते। किसी के पास सदस्य बनाने के लिए भी नहीं जाते। जबकि पार्टी का आधार यही सदस्यता अभियान है। इसे गम्भीरता से न लेने पर वे खासे नाराज नजर आये। आनन फानन में अब विशेष अभियान चलाने की योजना बनी। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तो थोड़े समय पहले ही कार्यभार संभाला है, इसलिए उनको तो कुछ कहा नहीं गया। उन्होंने जरूर सभी प्रदेश पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों को फटकार लगाई है।

दरअसल भाजपा संगठन की टीम नई बननी है। उसमें कौन रहेगा और कौन नहीं, इसका कोई अंदाजा नहीं। इसी कारण सदस्यता के लिए उनकी सक्रियता कम है। इसके अलावा मंत्री, विधायक हरियाणा, जम्मू कश्मीर के चुनाव में भी लगे हुए हैं। मंत्रिमंडल का गठन व फेरबदल भी होना है, उसका भी असर इस अभियान पर है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अभी तक मदन राठौड़ सारे जिलों का दौरा भी नहीं कर पाए हैं तो अध्यक्षों से सीधा संपर्क भी नहीं हो रहा है। कुछ प्रदेश पदधिकारी मंत्री या विधायक बन गए हैं तो उनका ज्यादा ध्यान सरकार की तरफ है। इन सबके कारण सदस्यता अभियान तो पिछड़ा ही है। अनेक जिलों में भी नेतृत्त्व बदलना है, स्वाभाविक रूप से वहां अभियान की गति धीमी रहनी ही है।

इन सबसे ऊपर भी एक बड़ी बात है, वो है अभी तक भी भीतरी बिखराव का न मिटना। पूर्व सीएम राजे व उनकी टीम के पास न सरकार, न संगठन में कोई बड़ी जिम्मेवारी है। तो वे चुपचाप बैठे हैं। बोलते भी नहीं। वे तो विधानसभा सत्र के दौरान भी चुप ही रहे। इस बड़े धड़े की चुप्पी का असर साफ दिख रहा है। जिलों में आपसी टकराहट के कई उदाहरण है, वे भी प्रभावित कर रहे हैं। सदस्यता अभियान तो तभी सफल होना सम्भव होता है जब एक साथ सब मिलकर लोगों को जोड़े। पिछली बार की तरह कैम्प नहीं लग रहे। लोग सदस्य बनाने के लिए घरों तक भी नहीं जा रहे। न प्रयास करते दिख रहे हैं। सत्ता आने के बाद अभी तक भी कार्यकर्ताओं को भागीदारी मिलने का काम भी आरम्भ नहीं हुआ है। वे भी तो सक्रिय पहले की तरह नहीं है।

कुल मिलाकर संगठन को पूरा खड़ा करने और जन प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी हुए बिना सदस्यता का लक्ष्य पाना आसान काम नहीं। जब सरकार हो तो उसके भागीदार भी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के साथ होने जरूरी है, तभी लोग भी सदस्य बनने को उत्साहित होते हैं। भाजपा को अपना सदस्यता का टारगेट पाने के लिए एक रणनीति के साथ ही अब आगे बढ़ना पड़ेगा। तभी लक्ष्य को पाने में सफलता मिलेगी।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।