जनरंजन : राजे ने ‘ पीतल की लौंग ‘ का बयान दे राजनीति गर्म की, तीखे तेवर लगातार
RNE, BIKANER
वसुंधरा राजे इन दिनों अपने बयानों के कारण खासी चर्चा में है। संकेतों में मुहावरों के जरिये वे खुलकर कटाक्ष कर रही है। संकेतों में कही गई उनकी बातों में किसी नेता का नाम नहीं होता, मगर कड़ा प्रहार जरूर होता है। राजे को इस रूप में पहली बार देखा जा रहा है।
आमतौर वे सीधे सीधे बयान देती रही है मगर अब वे संकेतों में प्रचलित मुहावरों का उपयोग करके राजनीतिक बयान देती हैं, जिससे प्रदेश की भाजपा की राजनीति में गर्माहट आ जाती है। बयान पर कयासों की बातें फिर काफी दिनों तक चलती रहती है, तब तक राजे का एक बयान और आ जाता है। राजे इन बयानों से लगातार चर्चा के केंद्र में है।
भाजपा के नए बने प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के कार्यभार ग्रहण के समारोह में वसुंधरा राजे शामिल हुई। उस समारोह में भी उन्होंने पद-कद-मद का बयान देकर राजनीति में भूचाल ला दिया। एक साथ उन्होंने कई भाजपा नेताओं पर निशाना साध दिया और संकेतों में कहा कि कद कभी भी पद से तय नहीं होता है, इसलिए पद का मद नहीं करना चाहिए। कद तो काम से बनता है।
ये बयान भाजपा के भीतर कईयों को विचलित कर गया। जबकि प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस बयान की सराहना की और कहा कि वे राजे की सीख का ध्यान रखेंगे।
वो बयान अभी कमजोर पड़ा ही नहीं था कि राजे का उदयपुर से एक नया बयान सामने आ गया। उदयपुर के एक आयोजन में उन्होंने तल्ख लहजे में थोड़ा तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जिनको अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, वे आगे बढ़कर सब भूल गये। ये कटाक्ष उन नेताओं पर था जिनको राजे ने आगे बढ़ाया और अब वे उनका साथ छोड़ अलग राह पकड़ बोलने लगे हैं। इस बयान से भी भाजपा के भी कई नेता तिलमिला गये मगर बोल नहीं पाये। वो बयान खासी चर्चा पा गया।
अब वसुंधरा राजे ने ताजा बयान मंगलवार को जयपुर में दिया। अवसर था ओम माथुर के राज्यपाल बनने पर हुए अभिनन्दन समारोह का। बिड़ला सभागार में ये आयोजन था और उसमें राजे भी शामिल थी। माथुर के कार्यों की उन्होंने जमकर तारीफ की और कहा कि माथुर ने कितनी भी बुलंदियां छू ली, लेकिन पैर हमेशा जमीन पर रखे। इनको समझ है कि हम कितने भी ऊपर चले जाएं, पैरों से जमीन नहीं खिसकनी चाहिए। ये बात भी इशारे में कईयों की कार्यप्रणाली पर तीखा प्रहार थी। राजे यहीं नहीं रुकी, इससे आगे तो उन्होंने गहरी मार वाला बयान एक मुहावरे के जरिये दिया।
वे बोली – ‘ लेकिन क्या होता है न भाई साहब। ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें कहीं से पीतल की लौंग मिल जाये, वह अपने को सर्राफ ( ज्वैलर ) समझने लगते हैं। ‘ राजे के इस बयान ने सबको सन्न कर दिया। क्योंकि आयोजन में कई भाजपा नेता बैठे थे। सब समझ रहे थे कि राजे का निशाना किस तरफ है। उन्होंने छोटे मुहावरे के जरिये बड़ा राजनीतिक बयान दे दिया था। जो लोग पद पाकर इतराते हैं, वे अपने भीतर झांकने लगे हैं।
राजे के ये बयान भाजपा के भीतर के अंतर्द्वंद को भी मुखरित करते हैं। अनेक उन नेताओं को आत्मावलोकन का अवसर देते हैं जो समय पर बदल जाते हैं। अब राजे का मंगलवार का बयान भाजपा की अंदरूनी राजनीति को गर्म किये हुए हैं। बात निकली है तो दूर तलक तो जायेगी।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।