उद्योगपतियों के जुर्माना माफ करने पर रेलवे अधिकारियों पर गिरी गाज, छीनी शक्तियां
रेलवे में माल ढुलाई में देरी पर कारोबारियों और उद्योगपतियों पर लगने वाले जुर्माना घटना या माफ करने की शक्तियां कामर्शियल विभाग के अधिकारियों के पास थीं। लेकिन रेलवे बोर्ड ने इन अधिकारियों से शक्तियां छीन ली हैं। रेलवे बोर्ड ने देश भर के प्रिंसिपल चीफ कामर्शियल अधिकारियों को लिखित आदेश जारी कर दिए हैं, जिनको तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
हालांकि इन आदेशों को बदलने के पीछे कारण स्पष्ट नहीं किए हैं लेकिन अब जो फाइल एसीएम, डीसीएम या फिर सीनियर डीसीएम के पास जाती श्री अब वे सीधा एडीआरएम और डीआरएम को जाएगी। रेलवे में माल ढुलाई को बढ़ाना और कारोबारियों से बैठकें करने के लक्ष्य को पूरा करने की जिम्मेदारी कामर्शियल विभाग के अधिकारियों पर होगी।
रेलवे में पहली बार इस तरह का आदेश जारी हुआ है, जिसको लेकर कामर्शियल विभाग के अधिकारियों को बड़ा झटका लगा है। अब मंडल से लेकर जोन तक किस-किस अधिकारी के पास कितनी राशि के जुर्माने की फाइल जाएगी यह स्पष्ट कर दिया गया है।
इस तरह मेंबर ट्रैफिक में भी बदलाव पहले मेंबर ट्रैफिक रेलवे में कामर्शियल या फिर आपरेटिंग विभाग का अधिकारी होता था। लेकिन रेलवे बोर्ड ने कैडर मर्ज कर दिए हैं, जिसके चलते अब मेंबर किसी भी विभाग का मुखिया बन सकता है। अब कामर्शियल विभाग की सारी जिम्मेदारी जरूरी नहीं है कि वह ट्रैफिक या फिर आपरेटिंग विभाग के अधिकारी के पास हो। यही कारण है कि अब इलेक्ट्रिकल विभाग का वरिष्ठ अधिकारी ही कामर्शियल विभाग का मुखिया बनाया गया है।
इस तरह लगता है जुर्माना रेलवे में मालगाड़ियों में माल को लोड और अनलोड करने के लिए रेलवे समय सीमा तय करती है। लेबर को लाना और सामान को सही समय पर लोड अनलोड करने की छूट चाहिए तो उसके लिए वित्त सहमति की जरूरत होगी। इस अनुमति के लिए एजीएम को ऐसे मामले वाणिज्यिक विभाग के समन्वय विभागाध्यक्ष ओर क्षेत्रीय रेलवे के पीएफए के माध्यम से भेजा जाएगा।
दूसरी ओर ऐसे मामलों में जुर्माना छूट के लिए पहला आवेदन स्टेशन प्रबंधक अथवा माल पर्यवेक्षक को 10 दिनों के भीतर देना होगा। यहां से तीन दिनों के भीतर अधिकारी द्वारा मंडल अधिकारी को आवेदन को भेजा जाएगा। कारोबारी व उद्योगपति की होती है। कारण कुछ भी हो यदि माल लोड करने में देरी हो जाए तो रेलवे में सीधा जुर्माने का प्रविधान है। एक घंटे माल देरी से चढ़ने पर 150 रुपये प्रति डिब्बे के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।
यानी की 58 डिब्बों की मालगाड़ी है तो 8,700 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए कारोबारी के पास अपील करने का अधिकार होता था और कामर्शियल विभाग के एसीएम के पास बात सुनकर जुर्माना कम करने की शक्तियां थीं। जुर्माना अधिक होता था तो डीसीएम, सीनियर डीसीएम के पास चैनल के अनुसार अपील की जा सकती थी।
कामर्शियल के अधिकारियों की शक्तियां कारोबारी व उद्योगपति की होती है। कारण कुछ भी हो यदि मारल लोड करने में देरी हो जाए तो रेलवे में सीधा जुर्माने का प्रविधान है। एक घंटे माल देरी से चढ़ने पर 150 रुपये प्रति डिब्बे के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। यानी की 58 डिब्बों की मालगाड़ी है तो 8,700 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।
इसके लिए कारोबारी के पास अपील करने का अधिकार होता था और कामर्शियल विभाग के एसीएम के पास बात सुनकर जुर्माना कम करने की शक्तियां थीं। जुर्माना अधिक होता था तो डीसीएम, सीनियर डीसीएम के पास चैनल के अनुसार अपील की जा सकती थी। कामर्शियल के अधिकारियों की शक्तियां छीन ली गई हैं।
25 हजार के जुर्माने पर वित्त सहमति जरूरी
रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद अब 25 हजार रुपये प्रति वैगन या प्रति खेप पर जुर्माना में यदि छूट चाहिए तो उसके लिए वित्त सहमति की जरूरत होगी। इस अनुमति के लिए एजीएम को ऐसे मामले वाणिज्यिक विभाग के समन्वय विभागाध्यक्ष ओर क्षेत्रीय रेलवे के पीएफए के माध्यम से भेजा जाएगा। दूसरी और ऐसे मामलों में जुर्माना छूट के लिए पहला आवेदन स्टेशन प्रबंधक अथवा माल पर्यवेक्षक को 10 दिनों के भीतर देना होगा। यहां से तीन दिनों के भीतर अधिकारी द्वारा मंडल अधिकारी को आवेदन को भेजा जाएगा।