भाजपा की भीतरी कलह उभरी, शुभकरण ने अपनों पर तीर चलाया, भाटी ने राजेन्द्र को निशाना बनाया
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
भाजपा इस बार राज्य में मिशन 25 की हैट्रिक नहीं लगा सकी। उसे 11 सीट हारनी पड़ी और लोकसभा में 10 साल बाद कांग्रेस को प्रतिनिधित्व मिला। यूपी, महाराष्ट्र के बाद राजस्थान में भाजपा को सबसे बड़ा धक्का लगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, इसके बावजूद भाजपा सभी सीटें जीतने में सफल रही। इस बार भाजपा की सरकार थी, फिर भी 14 सीट ही जीती जा सकी। एक सीट जयपुर ग्रामीण तो हारते हारते बची है।
राज्य में भाजपा की इस करारी हार से भाजपा नेतृत्त्व का चिंतित होना स्वाभाविक था। गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी व सीएम भजनलाल शर्मा से हार पर चर्चा की। प्रदेश भाजपा को भी हार की समीक्षा करने के लिए कहा गया। हारी सीटों पर प्रदेश भाजपा ने दो दिन तक मंथन किया। क्या रिपोर्ट बनी ये तो सामने नहीं आया, मगर भाजपा के नेताओं का भीतरी दर्द जरूर सार्वजनिक रुप से छलक पड़ा। उससे पता चला कि भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है, कलह भीतर सुलग रही है और वो कभी भी सामने आ सकती है। यदि ऐसा हुआ तो फिर उसे संभालना मुश्किल हो जायेगा।
सबसे पहले दर्द छलका झुंझनु से लोकसभा का चुनाव लड़े शुभकरण चौधरी का। वे मामूली अंतर से कांग्रेस के ब्रजेन्द्र ओला से हारे हैं। दिक्कत ये है कि वे थोड़े महीनों पहले विधानसभा का चुनाव लड़ा था, वो भी हार गये थे। उम्मीद थी कि पीएम मोदी के सहारे वे लोकसभा में अपनी नाव पार लगा लेंगे, मगर ऐसा हो ही नहीं सका। वे हार गये।
इस हार पर जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो वे आखिर फट पड़े, हार के बाद की चुप्पी टूट गई। उन्होंने साफ साफ कहा – हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, हमारी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था। एक शेर में उन्होंने बहुत बड़ी बात कह दी। वे यहीं नहीं रुके, ये भी बोल गये कि भीतरघात के कारण हार हुई। लगे हाथ अग्निवीर योजना को भी हार की वजह बताने से नहीं चूके। पार्टी के नेताओं पर उनके आरोप भीतरी कलह को उजागर कर गये।
दो दिन पहले तो कद्दावर नेता व 7 बार के विधायक देवीसिंह भाटी के बयान ने तो भाजपा की राजनीति में अपने बयान से भूचाल ला दिया। भाटी के इस बयान की गूंज जयपुर व दिल्ली दोनों जगहों पर है। भाटी ने हार का पूरा ठीकरा पूर्व नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ पर ही फोड़ दिया। उनका नाम लेकर कहा कि टिकट कटवाने के चक्कर मे भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया। भाटी ने कहा कि चूरू से राहुल कस्वां का टिकट काटा तो जाट समाज नाराज हो गया।
जो जाट भाजपा से जुड़े थे, उन्होंने भी वोट नहीं दिया। उसके कारण कई सीटों का नुकसान हो गया। देवीसिंह भाटी अपनी बेबाक बयानी के कारण पहचाने जाते रहे हैं, इस बार भी बेबाकी से उन्होंने राठौड़ पर प्रहार किया। ये भी भाजपा की भीतरी कलह को अभिव्यक्त करने वाली बात है। देवीसिंह भाटी का इस तरह बयान देना अचंभित कर रहा है। क्यूंकि उनके बयान के कई गहरे अर्थ होते हैं। वे क्यों बोले, किसकी शह से बोले, इस तरह के सवाल उठ रहे हैं।
जो लोग भाटी को जानते हैं, उनको पता है कि वो जब सच बोलने पर उतारू होते हैं तो किसी तरह की लीपापोती नहीं करते। जो लोग सोचते हैं और नुकसान के डर से बोल नहीं पाते हैं, वो बातें भाटी बेबाकी से बोल जाते हैं। ये बात दीगर है कि उनको राज्य की राजनीति में वसुंधरा का निकटस्थ माना जाता है। भाटी के बयान के बाद यदि कुछ और भाजपा नेताओं के बेबाकी से बयान आयें तो चकित नहीं होना चाहिए। चौधरी व भाटी के बयान भाजपा के भीतर की कलह को दो दर्शाते ही है। इन बयानों से ये तो लगता है कि भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। भाजपा की राज्य की राजनीति में कुछ बड़ा बदलाव भी हो तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘