Rajasthan : कोर्ट ने रेजिडेंट चिकित्सकों के मुद्दों के लिए कमेटी गठित की
RNE Network.
रेजिडेंट चिकित्सकों की पिछले 16 दिन से चली आ रही हड़ताल राजस्थान हाईकोर्ट के दखल के बाद समाप्त हो गई। इसके साथ ही कोर्ट ने रेजिडेंट चिकित्सकों की समस्याओं के लिए मेडिकल शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। कमेटी में जॉर्ड की एक महिला रेजिडेंट सहित दो प्रतिनिधियों को भी शामिल करने को कहा है।
दरअसल जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए दिए। अदालत ने कमेटी को कहा है कि वह 26 अक्टूबर को अपनी पहली बैठक करे और उसका ब्यौरा अदालत में पेश करें। मामले में अब 21 नवंबर को सुनवाई करेगी। इस बीच अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि वह रेजिडेंट के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई ना करे और उन्हें कोई नोटिस आदि दिया गया है, तो उसे भी आगामी सुनवाई तक स्थगित करें।
यूं चली सुनवाई:
एक अधिवक्ता पार्थ शर्मा ने अदालत को मौखिक रूप से रेजिडेंट चिकित्सकों की हड़ताल और इससे मरीजों को हो रही परेशानी के बारे में बताया। इसके साथ ही अदालत में इस संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की भी जानकारी दी गई। इस पर अदालत ने मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और जॉर्ड के पदाधिकारियों को 2 बजे तलब किया।
इसके साथ ही अदालत ने अधिवक्ता सुरेश साहनी और एसएस होरा को न्याय मित्र बनाया। वहीं अदालत ने अधिवक्ता अजय शुक्ला और अधिवक्ता शोभित तिवाड़ी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए एसएमएस अस्पताल के हालात जानने के लिए भेजा।
कोर्ट की तल्ख टिप्पणी :
दोपहर में चिकित्सा विभाग के अधिकारी, जॉर्ड प्रतिनिधि और सरकारी वकील अदालत में पहुंचे। इस दौरान अदालत ने कहा कि रेजिडेंट चिकित्सकों की जायज-नाजायज मांगे हो सकती हैं, लेकिन उन्हें दादागिरी से नहीं मनवाया जा सकता। चिकित्सक मरीज की सेवा की शपथ लेते हैं वे डॉक्टर है, बिजनेसमैन नहीं। अदालत ने कहा कि मरीज परेशान हो रहे हैं। हम दोनों पक्षों की मीटिंग करा देते हैं, ताकि समस्या का समाधान हो सके।
अदालत ने एक बार फिर दोहराया की चिकित्सक त्यागपत्र दे सकता है, लेकिन हड़ताल पर नहीं जा सकता। इस दौरान एक रेजिडेंट ने कहा कि एसएमएस अस्पताल के पास असामाजिक लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और अवैध मादक पदार्थ बेचे जा रहे हैं. इस पर अदालत ने तत्काल स्थानीय थानाधिकारी को बुलाकर इसे रोकने को कहा।
जार्ड के पदाधिकारियों का पक्ष :
जार्ड के पदाधिकारियों ने कहा कि उनके सात हजार सदस्य हैं। सुरक्षा, स्टाईपेड सहित कई नीतिगत मुद्दे हैं, जिनका समाधान होना जरूरी है। दूसरी ओर चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीष कुमार ने कहा कि रेजिडेंट चिकित्सकों से बातचीत चल रही थी, लेकिन वे बिना बताए हड़ताल पर चले गए। जनता परेशान हो रही है। ऐसे में कानूनी कार्रवाई भी जरूरी है। रेजिडेंट कमेटी को अपनी बात कह सकते हैं और कमेटी संसाधनों के आधार पर उस पर विचार कर लेगी।
इनकी बनी कमेटी:
अदालती आदेश पर चिकित्सा शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है जिसमें निदेशक जन स्वास्थ्य, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, एएजी जीएस गिल, सरकार की ओर से नामित दो वरिष्ठतम प्रोफेसर और जॉर्ड के दो प्रतिनिधि, जिसमें एक महिला होगी।