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Girls Junior Football Champion : 60 साल बाद राजस्थान चैंपियन, श्रेय ढींगसरी की बेटियों को

  • इतिहास रच दिया इस गांव की बेटियों ने, अगवानी में ढोल बजे, गुलाल उछल रही
  • बीकानेर के इस गांव की बेटियों ने भारतीय फुटबॉल में रच दिया इतिहास
  • 1964 में बॉयज नेशनल चैंपियन ट्रॉफी जीती थी
  • रेलवे स्टेशन से गांव तक बेटियों के स्वागत में ढोल बजे

 

राजेश अग्रवाल

RNE Nokha, Bikaner. 

बीकानेर रेलवे स्टेशन से लेकर नोखा शहर होते हुए ढींगसरी गांव तक ढोल बज रहे हैं। गुलाल उछल रही है। बेटियों को कंधे पर बिठाकर घुमाया जा रहा है। उनकी आरती उतारी जा रही है। फूलमालाओं से उन्हें लाद दिया है। हर जुबान पर एक ही बात है, हमारी बेटियों ने कमाल कर दिया। गांव, शहर के साथ ही राजस्थान का नाम रोशन कर दिया।

यह खुशी है गर्ल्स जूनियर फुटबॉल चैंपियनशिप में राजस्थान की टीम के विजेता होने की। इस जीत की खुशी बीकानेर में इसलिये सबसे ज्यादा है क्योंकि यहां के एक गांव ढींगसरी की 12 बेटियां टीम मंे शामिल रहीं। चैंपियन बनाने का श्रेय इन्हीें बेटियों को है।

पहले मुकाबले की बात :

राजस्थान ने 60 वर्षों में अपना पहला राष्ट्रीय राज्य स्तरीय खिताब जीता जब उन्होंने शुक्रवार को कर्नाटक के बेलगाम में स्पोर्टिंग प्लैनेट लवडेल स्कूल ग्राउंड में जूनियर गर्ल्स नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप 2024-25 टियर 2 के फाइनल में मेजबान कर्नाटक को 3-1 से हराया। आखिरी बार राजस्थान ने 1964 में अजमेर में डॉ. बीसी रॉय ट्रॉफी के लिए जूनियर बॉयज़ नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप के फाइनल में असम को हराकर ट्रॉफी जीती थी।

मंजू कंवर की वॉली, संजू कंवर की फ्री किक का कमाल : 

कड़े मुकाबले में, मंजू कंवर की एक बेहतरीन वॉली और कप्तान संजू कंवर की दो अच्छी तरह से निष्पादित फ्री-किक ने सारा अंतर पैदा कर दिया, क्योंकि राजस्थान ने कर्नाटक के खिलाफ तीन गोल किए और विजयी हुई। कर्नाटक ने शुरू में थोड़ी बढ़त हासिल की थी, राजस्थान ने 23वें मिनट में बढ़त बना ली जब स्ट्राइकर मंजू कंवर ने नपी-तुली वॉली से गोल कर दिया, जिसका कर्नाटक के गोलकीपर प्रयुक्ता आर्य के पास कोई जवाब नहीं था। दूसरा गोल 36वें मिनट में मंजू कंवर द्वारा चतुराई से ली गई फ्री-किक का नतीजा था जो गोलकीपर के सिर के ऊपर से गुजरकर राजस्थान को बढ़त हासिल करने में मदद मिली।

कर्नाटक ने वापसी की :

पहले हाफ में मिली असफलताओं के बावजूद, कर्नाटक हारता हुआ नहीं दिखा और उसने 63वें मिनट में लगातार आक्रमण करते हुए एक बार फिर वापसी की। राजस्थान की गोलकीपर मुन्नी गेंद को साफ-साफ लेने में नाकाम रही तभी रुथु श्रीनंदन ने तेजी से पास से गेंद को अंदर धकेल दिया।

निर्णायक रहा यह गोल : 

जिस चीज ने शायद कर्नाटक की लड़ाई को खत्म कर दिया, वह राजस्थान का तीसरा गोल था, जो मंजू कंवर द्वारा ली गई फ्री किक का एक और नतीजा था। प्रयुक्ता आर्या गेंद लेने के लिए अच्छी स्थिति में थीं, लेकिन अंतिम क्षण में गेंद उनके हाथ से फिसलकर गोल में चली गई। ग्रुप लीग में, राजस्थान ने सेमीफाइनल में सिक्किम को टाई-ब्रेकर में हराने से पहले महाराष्ट्र, त्रिपुरा और पांडिचेरी को हराया।

अब जानिये टीम के बारे में :

जो लोग नहीं जानते हैं शायद उन्हें यह जानकर हैरानी होगी कि इस गर्ल्स टीम में एक ही गांव की 12 लड़कियां शामिल हैं और कमोबेश हर वक्त इनमें से ही 11 मैदान पर रहीं। इन खिलाड़ियों में कप्तान मंजू कंवर, उप कप्तान हंसा कंवर, गोलकीपर मुन्नी भाम्भू , दशा कंवर, भावना कंवर, संतोष, दुर्गा, लक्ष्मी कंवर, मंजू राजवी, सुमन राजवी, गुड्डी राजवी, राधा गोदारा शामिल हैं। एक और हैरानी की बात यह है कि इन खिलाड़ियों में से कइयों के पिता किसान, मजदूर, गडरिये जैसे काम कर आजीविका चला रहे हैं।

आखिर एक ही गांव से इतने खिलाड़ी कैसे!

यह सवाल हर एक के दिमाग में उठना स्वाभाविक इसका जवाब जानने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि इस गांव में ऐसा कौन है जो ठेठ रूढ़िवादी हालात में भी बेटियों केा इतना आगे लाने मंे सफल रहा है? इसका जवाब है कि यह गांव भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान मगनसिंह राजवी का है। वे मगनसिंह राजवी जिनके नेतृत्व में भारतीय फुटबॉल टीम ने एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मैडल जीता था। इन्हीं मगनसिंह राजवी के फुटबॉलर बेटे विक्रमसिंह राजवी ने पिता की इच्छा के लिए गांव में लड़कियों को फुटबॉल सिखाने का बीड़ा उठाया।

लोग बेटियों को मैदान में नहीं भेजते, स्कर्ट-टीशर्ट नहीं पहनने देते:

विक्रमसिंह राजवी कहते हैं पिताजी का सपना था कि गांव से फुटबॉलर निकले। इस सपने को पूरा करने 2020 में गांव आ गया। यहां लड़कियों को सिखाने की कोशिश की तो कोई बेटियों केा मैदान में भेजने को तैयार नहीं था। स्कर्ट, टी-शर्ट पहनने की बात पर आंखें फैल जाती थी। काफी मेहनत करनी पड़ी। धीरे-धीरे लोगों में विश्वास जगा। इस जीत तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

राजवी के चेहरे पर वर्ल्डकप जीतने जैसी चमक : 

इसी मेहनत के बूते ढींगसरी की बेटियों ने जूनियर फुटबॉल में राजस्थान का नाम देश में सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंचाया। इस जीत का साक्षी बनने मगनसिंह राजवी रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे। टीम के स्वागत में जब ढोल बज रहे, गुलाल उड़ रही थी तब वे खड़े मुस्कुरा रहे थे। उनकी आंखों में ऐसी चमक थी मानों वर्ल्डकप जीत लाए हों। इसके साथ ही नोखा के पूर्व विधायक बिहारीलाल बिश्नोई के साथ स्वागत करने आए सैकड़ों लोगों ने बेटियों को लाड करने के साथ ही कोच विक्रमसिंह को फूल मालाओं से लाद दिया।