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SAHITYA : वो रचनाकार जिसे लिखने से ज्यादा पढ़ने की आदत है, 2014 से लिखना आरम्भ किया,अब तक 8 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित

एक सक्रिय रचनाकार जिसने बच्चों के लिए भी लिखा

देश की अच्छी पत्रिकाओं में भी नियमित प्रकाशित होने वाली रचनाकार

 
SAHITYA

ABHISHEK ACHARYA

अभिषेक आचार्य

( रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस RNE ने अपने पाठकों से वादा किया हुआ है कि वो अपने पाठकों को उन साहित्यकारों, कलाकारों व पत्रकारों के सृजन से परिचित करायेगी, जिनका इन क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान है। जो गम्भीर रचनाकार है, उनकी जानकारी हम अपने पाठकों तक उनके जन्मदिन या याद दिवस पर पहुंचा रहे है। ये उनके काम को सेल्यूट है। आज बीकानेर की समर्थ रचनाकार इंजीनियर आशा शर्मा का जन्मदिन है। आज उनके सृजन की जानकारी पाठकों के लिए। आशा शर्मा जी को जन्मदिन पर हार्दिक बधाई। - संपादक)

डॉ नंदकिशोर आचार्य ने एक जगह बोलते हुए कहा था कि जब हम 1000 शब्द पढ़ते है, तब जाकर हममें एक शब्द लिखने की क्षमता पैदा होती है। ये बात सही है और रचनाकार इसे सही मानते भी है। मगर बहुत कम रचनाकार है जो इस बात की पालना भी करते है। इस सिद्धांत से साहित्य को जीने वाली रचनाकार है इंजीनियर आशा शर्मा। 
ये भी अपने आप में विचित्र संयोग है कि वे इंजीनियर है, जिसका वास्ता तकनीक से ही पड़ता है, मगर फिर भी उन्होंने साहित्य की तकनीक को जाना और पूरे देश मे रचनाकार के रूप में अपनी अलहदा पहचान बनाई।

2014 से लेखन किया शुरू

इंजीनियर आशा शर्मा ने विधिवत रूप से 2014 से लेखन आरम्भ किया। इससे पहले तो उन्होंने जी भरकर साहित्य पढ़ा। पढ़ने की उनकी क्षमता लाजवाब है। पढ़ने के अलावा उन्होंने साहित्यिक आयोजनों में बड़े रचनाकारों को भी खूब सुना। सुनकर गुना। शब्द की समझ को बढ़ा उनके अर्थ निकालने के बाद ही आशा शर्मा ने लिखना आरम्भ किया। उनको जीवन में लिखने की कोई जल्दबाजी नहीं थी। 

प्रकाशन व सम्मान

आशा शर्मा ने अल्प अवधि में 8 से अधिक पुस्तकें लिखी है। बाल साहित्यकार के रूप में उनकी खास पहचान भी बनी हुई है। उन्होंने कविता, कहानी व लघु कथाएं भी लिखी है। देश की हर प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में पूरे सम्मान के साथ छपती है। इस तरह उनकी राष्ट्रीय पहचान है।
उनकी काव्य कृति ' अनकहे स्वप्न ', लघु कथाएं ' उजले दिन मटमैली शामें ', कहानी संग्रह ' तस्वीर का दूसरा रुख ' और बाल साहित्य अंकल प्याज, गज्जू की वापसी , डस्टबिन में पेड़ आदि खूब चर्चित है। उनको राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर सहित अनेक जगहों से रचनाकर्म के लिए सम्मान मिला हुआ है।

लेखन को लेकर विचार सुस्पष्ट

इंजीनियर आशा शर्मा का लेखन को लेकर नजरिया बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कहा भी है कि लेखन से बदलाव लाना सम्भव है। देशभक्ति गीतों को सुनकर सीमा पर खड़े सैनिक की बाजुएं फड़कने लगती है। ठीक इसी तरह दर्द भरी कविताएं आंखों से अश्रु धारा बहा देती है। 
उनका कहना है कि कितने ही ऐसे बड़े बड़े सामाजिक आंदोलन कलम की शक्ति से सफल हुए है। लेखक समय से आगे चलता है। लेखन से बच्चों में संस्कारों का निरूपण आसानी से होता है। 

रचनाकारों की नजर में

वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ' आशावादी ' का मानना है कि आशा शर्मा जी के लिए लेखन ग्लैमर या प्रसिद्धि पाने का जरिया नहीं, अपितु सामाजिक दायित्त्व है। उनका बाल साहित्य इस बात की साख भरता है कि वे बहुत कुछ नया करना चाहती है। वे व्यवहार से भी रचनाकार है। उनकी सहजता, सरलता व गहराई उनकी साहित्यिक कृतियों में भी दृष्टिगोचर होती है। देश की महिला रचनाकारों में इस कारण ही उनको मान मिलता है। आज जन्मदिन पर आशा शर्मा जी को रुद्रा न्यूज एक्सप्रेस (RNE) की तरफ से हार्दिक बधाई।