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शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान

 
शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान
  • पूरी विधानसभा के बूथ संवेदनशील, ये कहां जा रहा लोकतंत्र
शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान अभिषेक आचार्य RNE, NETWORK . राज्य की 7 विधानसभा सीटों पर 900 से अधिक ऐसे भयग्रस्त मतदाता है जो 13 तारीख को बंदूकधारी पुलिस के साये में मतदान केंद्र तक जायेंगे और संविधान प्रदत्त अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। शेम! लोकतंत्र के लिए ये कितनी शर्म की बात है। चुनाव आयोग की इस जानकारी ने न केवल लोकतंत्र में आस्था रखने वाले हर आदमी को अचंभित किया है, अपितु आम आदमी को भी सकते में डाल दिया है। चिंता की लकीर तो हर मतदाता के ललाट पर खबर पढ़कर उभरी है। बात ही ऐसी है। शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान आजादी के 75 साल बाद। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माने जाने के बाद भी मतदाता व मताधिकार की ये स्थिति, चिंतनीय तो है ही। देश की सरकारें जिस मत से बदलती है, वो मत भी भय के साये में है तो फिर लोकतंत्र कैसे बचेगा। प्रशासन तो क्या करे, सुरक्षा मांगने वाले को सुरक्षा देगा। जब पता है कि किस क्षेत्र के मतदाता इस भय का शिकार हैं तो फिर भय की निष्पत्ति करने वाले राजनीतिक लोगों के नकेल क्यों नहीं कसी जाती। आदर्श आचार संहिता मौजूद है, उसकी परिधि भी बहुत बड़ी है। चुनाव के समय आयोग के पास संविधान से मिली मजबूत शक्तियां भी है। भयमुक्त व निष्पक्ष चुनाव ही तो उनकी प्राथमिकता है। कुछ तो चुनाव आयोग को सख्त होना पड़ेगा। ये किसी राजनीतिक दल के हित या अहित की बात नहीं है, ये लोकतंत्र के हित की बात है। आज सामने इस खबर ने हर बुद्धिजीवी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। ये कैसी स्थिति है, इसकी तो संविधान बनाते समय कल्पना संविधान निर्माताओं ने भी नहीं की थी। शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान राज्य की 7 सीटों पर उप चुनाव है जिसमें 700 से ज्यादा बूथ संवेदनशील के रूप में चिन्हित हुए हैं। एक विधानसभा क्षेत्र खींवसर के लगभग सभी मतदान केंद्र संवेदनशील की श्रेणी में है। दौसा व रामगढ़ में भी ऐसे मतदान केंद्रों की संख्या अधिक है। ये लोकतंत्र के लिए चिंता की वाजिब वजह है। जिस पर सरकार व चुनाव आयोग के साथ मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भी सोचना चाहिए। इस खबर ने बुद्धिजीवी तबके में तो हलचल मचा दी है। शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान ये कहना है लोगों का लोकतंत्र में मताधिकार का उपयोग हरेक बालिग नागरिक के पास है, फिर ये कैसे हुआ कि वो इसके उपयोग में भयग्रस्त है। पुलिस के साये में मतदान केंद्र तक मत देने के लिए जाना तो शर्म की बात है। इस पर चुनाव आयोग व सरकार को गम्भीरता से सोचना चाहिए। फिर क्यों इसे लोकतंत्र का उत्सव कहते हैं। भय है तो उत्सव कैसा? सभी लोग लोकतंत्र के हित में सोचें और इसमें बदलाव करें। लोकतंत्र की रक्षा के लिए ये जरूरी है।
- गिरिराज व्यास, एडवोकेट
शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान 900 से अधिक मतदाता पुलिस के साये में मताधिकार का उपयोग करने जायेंगे, ये खबर सुनकर ही चोंक गया। अजीबोगरीब स्थिति है। ये मौलिक अधिकार है, उसके लिए भी ये हालत, लोकतंत्र को लेकर चिंता होती है। सभी दलों, सरकार को इस पर गंभीर होना चाहिए। चुनाव आयोग को भी सख्त होना चाहिए। तभी हम अपने महान लोकतंत्र की रक्षा कर सकेंगे।
- प्रदीप भटनागर, वरिष्ठ रंगकर्मी
संविधान के मौलिक अधिकार की प्राप्ति में भय, लोकतंत्र के लिए अच्छी बात तो नहीं। हालत बदलने पर विचार करना चाहिए। सरकार को सख्त होना चाहिए। भयमुक्त चुनाव ही लोकतंत्र की नींव है।
- महेंद्र पांडे, शिक्षक नेता
शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान चकित हूं ये खबर पढ़कर। कहां, किस तरफ जा रही है राजनीति। लोकतंत्र का क्या होगा। सोचना चाहिए। लोकतंत्र की पवित्रता के जतन भी करने चाहिए।
-  प्रमोद चमोली, साहित्यकार
चुनाव में ऐसा भी होता है, यह तो पहली बार पता चला। सही नहीं है ये। मतदाता को भयभीत करना तो लोकतंत्र को भयभीत करना है। चिंता की बात है।
- महेंद्र आचार्य, मतदाता शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान शेम ! 900 से अधिक भयग्रस्त मतदाता, पुलिस साये में करेंगे मतदान