New Greenfield Expressway : राजस्थान में 181 किमी लंबा नया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनेगा, 1679 हेक्टेयर जमीन का होगा अधिग्रहण
नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस के लिए कई गांवों में जमीन के सीमांकन का काम किया जा रहा है
राजस्थान में नया ग्रीनफील्ड हाईवे बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। नया ग्रीनफीड हाईवे का निर्माण कोटपूतली से किशनगढ़ तक किया जाएगा। ग्रीनफील्ड हाईवे बनाने के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है और प्लान के तहत संबंधित क्षेत्र के गांवों की जमीन पर सीमांकन के लिए निशान लगाने की प्रक्रिया को शुरू किया गया है। ऐसे में राजस्थान के कई गांवों में जमीन के सीमांकन का काम किया जा रहा है।
जहां पर जिन किसानों के खेतों में यह निशान लगाए गए है, उनकी जमीन अधिग्रहण का डर सताने लगा है। हालांकि किसानों की जमीन अधिग्रहण होने पर केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा और आसपास के प्रॉपर्टी के रेट में उछाल आएगा। ग्रीनफील्ड हाईवे बनने की चर्चा के बीच में ही आसपास के क्षेत्र में जमीन के रेट में उछाल देखा जा रहा है। राजस्थान के मूंडरू क्षेत्र के गांवों के खेतों में निशान लगाए गए है।
इन निशानदेही के अंतर्गत कई लोगों की प्रॉपर्टी व निर्माण भी आ रहे है। ऐसे में इन लोगों को उनके टूटने का खतरा सताने लगा है। फिलहाल मूंडरू क्षेत्र के गांव डेरावाली, मऊ, अरनिया, महरौली सहित आसपास के गांवों के खेतों में लगभग 500 मीटर चौड़ाई के दायरे में निशान लगाए गए हैं। इस दायरे में किसानों की बेशकीमती जमीनें जा रही हैं और कई परिवार बेघर हो सकते हैं। कई किसानों की तो संपूर्ण जमीन ही हाईवे की जद में आ रही है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि प्रस्तावित एक्सप्रेसवे लगभग 15 फीट ऊंचाई पर बनाया जाएगा, जिससे समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
6,906 करोड़ की लगात से बनेगा 181 किमी लंबा हाईवे
कोटपूतली-किशनगढ़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे का प्रोजेक्ट लंबे समय से मंजूर किया हुआ है। जहां पर प्रोजेक्ट के तहत कोटपूतली-किशनगढ़ तक लगभग 181 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे बनाया जाएगा। इस एक्सप्रेस वे से जहां पर राजस्थान के कई जिलों से जुड़ाव होगा, वहीं हरियाणा के साथ भी जुड़ाव हो जाएगा।
इस एक्सप्रेस वे अनुमानित लागत 6,906 करोड़ है। यह दिल्ली-जयपुर यात्रा को आसान बनाएगा और खाटूश्यामजी, मकराना, कुचामन जैसे क्षेत्रों को जोड़ेगा। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है और निर्माण कार्य दिसंबर 2025 से शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके लिए लगभग 1679 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता बताई गई है।

