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Onion Fall : राजस्थान में प्याज, आलू उत्पादकों को भारी नुकसान, भाव में आई काफी गिरावट 

मंडियों में प्याज का थोक भाव मात्र चार से सात रुपए प्रति किलो तक आ गया है, जबकि उत्पादन लागत नौ से ग्यारह रुपए प्रति किलो तक आती है।
 

इस बार बरसात ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। कई राज्यों की तरह जिले में भी प्याज और आलू सहित सब्जी की अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है। सितंबर से अक्टूबर तक आम लोगों की आंखों में आंसू लाने वाला प्याज अब किसानों की आंखों में दर्द बन गया है।

लागत की तुलना में कीमत बेहद कम मिलने से किसान हताश हैं। इसका कारण है कि राजस्थान मंडी में प्याज का भाव 9-10 रुपए किलो चल रहा है। दूसरी ओर भंडारण सुविधा का अभाव होने से खेतों में पड़ी फसल पर बारिश का खतरा मंडरा रहा है।

किसानों का कहना है कि स्थानीय मंडियों में प्याज का थोक भाव मात्र चार से सात रुपए प्रति किलो तक आ गया है, जबकि उत्पादन लागत नौ से ग्यारह रुपए प्रति किलो तक आती है। वर्तमान में शहर की मंडियों में प्याज का थोक भाव करीब एक हजार रुपए प्रति क्विंटल है। किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष इसी अवधि में यही भाव दो हजार रुपए प्रति क्विंटल तक था। ऐसे में लागत से भी कम मूल्य मिलने से किसानों की चिंता बढ़ गई है।

बिचौलिए कमा रहे मुनाफा खुदरा बाजार में प्याज 20 से 25 रुपए किलो तक बेचा जा रहा है, जबकि ठेले वालों के यहां यह दर 30 रुपए तक पहुंच गई है। किसानों का कहना है कि बिचौलियों की ओर से दो गुना कीमत पर बिक्री की जा रही है, जबकि उन्हें घाटा उठाना पड़ रहा है।

भंडारण सुविधाओं का अभाव 

प्याज उत्पादन करने वाले किसानों का कहना है कि प्याज की फसल का समर्थन मूल्य भी निर्धारित नहीं है। इसके अलावा भंडारण सुविधाओं का अभाव उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है। सरकार की ओर से प्याज उत्पादित किसानों के लिए किसी तरह की मदद भी नहीं मिल रही। आने वाले कुछ सालों में ऐसे ही हालात रहे तो किसान प्याज की खेती से दूर हो जाएंगे।

अलवर के कृषि विशेषज्ञ संदीप शर्मा ने कहा कि प्याज जैसी फसल के लिए मूल्य स्थिरीकरण नीति और भंडारण सुविधाओं का अभाव किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। यदि सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया तो भविष्य में किसान प्याज की खेती से दूर हो जाएंगे। 

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