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Rajasthan industry : राजस्थान छह शहरों के उद्योग पर छाया संकट, उत्पादन में कटौती की तैयारी 

दवा, ऑटो पार्ट्स, और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए
 

अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी भरकम टैरिफ का असर राजस्थान के उद्योग पर दिखाई दे रहा है। 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर स्थित नीमराणा, घीलोट, शाहजहांपुर, बहरोड़, सोतानाला और केशवाना जैसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में साफ चिंता दिखाई दे रही है। यह बड़ा औद्योगिक गलियारा, जो भारत के निर्यात का एक प्रमुख केंद्र है, इस फैसले से सीधे तौर पर प्रभावित हो सकता है।

जिससे यहां की दवा, ऑटो पार्ट्स, और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस टैरिफ का असर इन औद्योगिक क्षेत्रों से अमरीका को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की लागत को अप्रतिस्पर्धी बना देगा, जिससे मांग में भारी गिरावट की आशंका है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल इन कंपनियों के राजस्व पर असर पड़ेगा, बल्कि उत्पादन में कटौती और रोजगार का संकट भी खड़ा हो सकता है।

यह हो सकते हैं दूरगामी परिणाम

निर्यात में भारी कमी : अनुमान है कि अमरीका को होने वाले कुल निर्यात में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
उत्पादन और रोजगार पर संकट : मांग में कमी के चलते कंपनियों को उत्पादन घटाना पड़ सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर छंटनी की आशंका है। इस औद्योगिक पट्टी में लाखों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इन्हीं उद्योगों पर निर्भर हैं।

निवेश पर असर : व्यापारिक अनिश्चितता के इस माहौल में नए निवेशक इस क्षेत्र में पैसा लगाने से कतराएंगे, जिससे क्षेत्र का औद्योगिक विकास प्रभावित हो सकता है। प्रतिस्पर्धा में पिछड़ापन वियतनाम, मैक्सिको और बांग्लादेश जैसे देश, जिन पर कम टैरिफ है, भारतीय कंपनियों से बाजार छीन सकते हैं।

प्रमुख रूप से प्रभावित होने वाले उद्योग

ऑटो पार्ट्स : नीमराणा की कई कंपनियां अमेरिकी ऑटोमोबाइल बाजार के लिए महत्वपूर्ण पार्ट्स का निर्माण करती हैं। 50 प्रतिशत टैरिफ के बाद इन पुर्जी की कीमत काफी बढ़ जाएगी, जिससे अमरीका के खरीदार दूसरे देशों से आयात करने के लिए विवश हो सकते हैं। इसका सीधा असर उत्पादन और नौकरियों पर पड़ेगा।

दवाइयां (फार्मास्यूटिकल्स): भारत जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख निर्यातक है और अमरीका इसका सबसे बड़ा बाजार है। क्षेत्र में स्थित फार्मा कंपनियों को इस टैरिफ से बड़ा झटका लग सकता है। दवाओं की कीमतों में उछाल से भारतीय कंपनियों के लिए अमरीका के बाजार में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा।

इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामान औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित

इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स की इकाइयां भी इस फैसले की चपेट में आएंगी। ये कंपनियां अमरीकी ब्रांडों के लिए कंपोनेंट्स से लेकर तैयार उत्पाद तक बनाती हैं। टैरिफ के कारण इनकी मांग घटने की प्रबल आशंका है।

सरकार करे उद्योगों का सहयोग

उद्योग जगत ने सरकार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। नीमराणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष केजी कौशिक ने कहा कि यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार को अमरीका के साथ बातचीत कर इसका समाधान निकालना चाहिए और प्रभावित उद्योगों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।

हालांकि, इस टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए इन औद्योगिक क्षेत्रों की कंपनियों को यूरोप और अफ्रीका जैसे नए बाजारों की तलाश करने की भी सलाह दी जा रही है। कुल मिलाकर, अमरीका का यह एकतरफा फैसला इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र के लिए एक गंभीर आर्थिक संकट लेकर आया है। इससे उद्योगों व रोजगार पर बड़ा असर पड़ेगा।