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Rajasthan Railway : राजस्थान के इस जिले को 35 साल बाद मिलेगी रेल सेवा, बंद पड़ी रेलवे लाइन को किया जाएगा चालू 

यह रेल सेवा बालोतरा जिले के पचपदरा में होगी। इस रेलवे लाइन को अंग्रेजों ने अपने जमाने में बिछाई थी और इस रेलवे लाइन के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में नमक को पहुंचाया जाता था।  इसके कारण इस क्षेत्र को आर्थिक राजधानी के तौर पर जाना जाता था।
 

राजस्थान में रेल यातायात लगातार बढ़ रहा है। जहां पर नई रेलवे लाइन बिछाई जा रही है और ट्रेनों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है। इस बीच में राजस्थान के लिए खुशखबरी आई है। जहां पर 35 साल पहले बंद हुई ट्रेन को दोबारा से संचालन करने का निर्णय लिया है। यह रेल सेवा बालोतरा जिले के पचपदरा में होगी।

इस रेलवे लाइन को अंग्रेजों ने अपने जमाने में बिछाई थी और इस रेलवे लाइन के माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में नमक को पहुंचाया जाता था।  इसके कारण इस क्षेत्र को आर्थिक राजधानी के तौर पर जाना जाता था। इस रेलवे लाइन पर 1990 तक ट्रेनों का संचालन हुआ, लेकिन उस समय बाढ़ आने के कारण यह रेलवे मार्ग खराब हो गया था और इसके बाद रेलवे विभाग ने इस मार्ग की संभाल नहीं की और ट्रेनों का संचालन भी बंद हो गया था। अब एक बार फिर रेल मंत्रालय ने इसे पुनः शुरू करने के संकेत दिए हैं।

वर्ष 1938 में जब पचपदरा में नमक उत्पादन चरम पर था, तब सेठ गुलाबचंद ने अंग्रेज सरकार को रेल कनेक्टिविटी का प्रस्ताव दिया। अंग्रेजी हुकूमत ने शर्त रखी कि यदि घाटा हुआ तो उसकी भरपाई वे स्वयं करेंगे। गुलाबचंद ने यह स्वीकार किया और बालोतरा-पचपदरा के बीच 'पव्वा' नामक ट्रेन शुरू हुई।

इसमें चार पैसेंजर कोच और बाकी नमक परिवहन के कोच होते थे। यह रेल लंबे समय तक सफलतापूर्वक चली। 16 जुलाई 1990 की बाढ़ में पटरियां डूब गई और उसी दिन यह ट्रेन आखिरी बार चली। इसके बाद वर्ष 1992 में रेल पटरियां भी उखाड़ ली गई और स्टेशन पर तैनात स्टाफ का तबादला कर दिया गया। वहीं रेलवे की खाली भूमि पर अतिक्रमण बढ़ने लगा है। लोगों ने जमीन पर बड़े-बड़े भवन खड़े कर किराए पर देना शुरू कर दिया।

प्रस्तावित नई योजना

यह रेल सेवा अब बढ़ी हुई आबादी और औद्योगिक जरूरतों के कारण बालोतरा से जोड़ी जाएगी या खेड़-तिलवाड़ा से लिंक होगी, इस पर विचार चल रहा है। रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल हब को सड़क के साथ रेल परिवहन से जोडना अहम माना जा रहा है।

वर्तमान में बालोतरा तक रेल सेवा है, लेकिन रिफाइनरी तक करीब 18 किलोमीटर रेलमार्ग नहीं है। इसके लिए नई लाइन बिछाने का काम प्रस्तावित है। सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल और पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह जसोल के प्रयासों के बाद अब इसके संचालन की उम्मीद बढ़ी है।