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व्यंग्य विसंगतियों पर प्रहार के लिए लिखा जाता है, वरिष्ठ व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा इस कारण ही यह क्रूर

 

RNE Network.

वरिष्ठ व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा है कि व्यंग्य समाज की विसंगतियों पर प्रहार के लिए लिखा जाता है। इसलिए यह क्रूर माना जाता है। व्यंग्यकार अगर विद्रूपताओं पर चोट नहीं करता और उनके साथ खड़ा होता है तो वह व्यंग्यकार हो ही नहीं सकता।
 

वे श्रीगंगानगर के अग्रसेन नगर स्थित जैन पब्लिक स्कूल में सृजन सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम ‘लेखक से मिलिए’ की 135वीं कड़ी में बतौर लेखक संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोई घटना जब मन को झिंझोड़ती है, बेचैन करती है और आपके भीतर का लेखक बार-बार आपको कुछ लिखने के लिए प्रेरित करता है, तब व्यंग्य उपजता है। हास्य और व्यंग्य के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि व्यंग्य सुनकर हंसी आनी जरूरी नहीं है। व्यंग्य तो उस विसंगति के पैरोकार लोगों को तिलमिला देने के लिए होता है लेकिन वे कुछ कर नहीं पाते। हास्य विशुद्ध मनोरंजन के लिए होता है। उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि एक नाटे कद का बहुत मोटी तोंद वाला व्यक्ति किसी पार्टी में बहुत सारा माल खा रहा है तो उसे देखकर आप हंसते हैं तो यह हास्य है लेकिन जब आपको पता चलता है कि वह व्यक्ति किसी सरकारी विभाग में इंजीनियर है और आप कहते हैं कि इसके पेट में दो पुल हैं, बहुत सारी सडक़ें हैं, गोदाम हैं तो आप उस पर व्यंग्य कर रहे होते हैं। उनकी व्यंग्य रचना ‘खरगोश के आंसू’ ने जहां बाजारवाद पर कटाक्ष किया और श्रोताओं को भावविभोर कर दिया, वहीं हास्य कथा ‘पहला प्रेम पत्र’ ने लोगों को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया।
 

कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं में से गौरीशंकर बंसल, अरुण उर्मेश, आनंद मायासुत इत्यादि ने उनसे कुछ सवाल भी किए, जिनके उन्होंने बहुत सहजता से जवाब दिए।
 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. उज्ज्वल बंसल ने कहा कि बचपन से ही साहित्य पढऩे का शौक रहा है। भले ही चिकित्सकीय कार्यों की व्यस्तता रहती है लेकिन जब भी अवसर मिलता है, वे साहित्य पढऩे और साहित्यिक गतिविधियों में जाना पसंद करते हैं। उन्होंने माना कि व्यक्ति को कभी बड़ा होने का गुमान नहीं होना चाहिए। ईश्वर उनसे कुछ बेहतर करवा रहा है, यही भाव रखेंगे तो और अच्छा कर पाएंगे। डॉ. बंसल ने युवा पीढ़ी को भी इससे जोडऩे की बात कही।
 

विशिष्ट अतिथि पोलिटिकल क्रिएशन हाउस के संचालक राजेश अरोड़ा ने साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और सभी वर्गों को इसका लाभ लेने का आग्रह किया।
 

इससे पहले, सृजन के सचिव कृष्णकुमार ‘आशु’ ने सुभाष चंदर का परिचय देते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। संचालन संदेश त्यागी ने किया। आभार अध्यक्ष अरुण शहैरिया ताइर ने व्यक्त किया। इस मौके पर सुभाष गोगी, अरुण खामख्वाह, अनिल धूडिय़ा, बनवारीलाल शर्मा, बन्नी गंगानगरी, आशाराम भार्गव, ओपी वैश्य, सन्नी, जसनील अरोड़ा, सतीश शर्मा, नीतू, विकास अग्रवाल, ललित चराया, मोहन दादरवाल, दुर्गा स्वामी, मीनाक्षी आहुजा, ममता आहुजा, परमजीतकौर रीत, गुलाबरानी, डॉ. रामप्रकाश शर्मा, सुरेश कनवाडिय़ा, राकेश मोंगा, वीरेंद्र खुराना सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी मौजूद थे।
 

सुभाष चंदर को सृजन साहित्य सम्मान:
 

कार्यक्रम के दौरान सुभाष चंदर को उनके हिंदी साहित्य में दिए गए योगदान पर सृजन साहित्य सम्मान अर्पित किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. उज्ज्वल बंसल एवं विशिष्ट अतिथि राजेश अरोड़ा के साथ सृजन अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ने उन्हेंं शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक एवं पुस्तक भेंट करके सम्मानित किया।

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