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Rajasthan News :राजस्थान में अब दूसरे स्कूल की गिरी छत, छुट्टी ने बचा ली जान 

उदयपुर के रूपावली गांव में एक प्राथमिक स्कूल के कमरे की दीवार गिर गई
 

झालावाड़ के पिपलोदी में सरकारी स्कूल के कमरे की छत गिरने से सात बच्चों की मौत और 21 बच्चों के घायल होने के बाद से राजस्थान में स्कूलों की दीवार और छतों के गिरने का सिलसिला जारी है। हादसे के तीसरे दिन रविवार को वर्षा के दौरान उदयपुर के रूपावली गांव में एक प्राथमिक स्कूल के कमरे की दीवार गिर गई, जबकि चूरू जिले के हरदेसर गांव में मरम्मत के दौरान सरकारी स्कूल के बरामदे की छत गिर गई। 
अवकाश होने के कारण दोनों जगह कोई बच्चा नहीं था, जिससे बड़ा हादसा टला। हालांकि, हरदेसर में एक मजदूर घायल हो गया। उल्लेखनीय है कि शनिवार को भी नागौर व सिरोही में दो सरकारी स्कूलों की छत गिर गई थी। झालावाड़ में ही रविवार को एक पुराने सामुदायिक भवन की दीवार भी गिर गई। हालांकि, यहां भी कोई जनहानि नहीं हुई।

उधर, पिपलोदा हादसे के बाद हरकत में आई राज्य सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों, महाविद्यालयों, छात्रावासों, अस्पतालों सहित सरकारी भवनों, पुल एवं छोटी पुलियों की सुरक्षा समीक्षा को लेकर 11 सदस्यीय कमेटी गठित की है। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रवीण गुप्ता की अध्यक्षता में गठित कमेटी में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 10 और वित्त विभाग के एक अधिकारी को शामिल किया गया है।

 शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरकार ने प्रदेश के 7500 सरकारी स्कूलों की मरम्मत का निर्णय लिया है। इसके तहत कलेक्टरों की निगरानी में सर्वे कराया जाएगा और जर्जर भवनों को तोड़ा जाएगा। इस दौरान वहां वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कंटेनर लगाकर कक्षाएं संचालित की जाएंगी।

इस बीच, पिपलोदा हादसे के विरोध में धरना-प्रदर्शन का दौर भी जारी है। रविवार को पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने झालावाड़ में राजमार्ग पर धरना देकर ग्रामीणों को संबोधित किया। शनिवार को समर्थकों के साथ धरना-प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रीय नेता नरेश मीणा को सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में फिर गिरफ्तार किया गया। 

नरेश और उनके दो साथियों को अवकाशकालीन न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें आठ अगस्त तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। मीणा के खिलाफ झालावाड़ मेडिकल कालेज के प्राचार्य एवं अस्पताल अधीक्षक ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसमें आपातकालीन सेवाओं को बाधित करने, तोड़फोड़ करने व धरना-प्रदर्शन करने का आरोप लगाया गया था।