राजस्थान के 11 जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाने की उठी मांग, इन जिलों को किया जा सकता है अलग
Rajasthan News: राजस्थान में एक अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग की जा रही है। बांसवाड़ा दो रंगपुर से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोड ने राजस्थान मध्य प्रदेश गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुत क्षेत्र को मिलाकर एक अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट भी किया है और कहां है कि अगर सरकार सच में हेलो की ही कैसी है तो एक अलग से भील प्रदेश बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि भील राज्य की मांग को लेकर गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में 15 सबसे अधिक आदिवासी मानगढ़ में शहीद हो गए थे। आजादी के बाद बिल प्रदेश को चार राज्य में बताकर इस क्षेत्र की जनता के साथ अन्याय किया गया है। 1500 शहीद हुए भीलों के संबंध में एक अलग से भील प्रदेश जल्द से जल्द बनाया जाना चाहिए।
भीलप्रदेश की मांग भील समुदाय की सांस्कृतिक पहचान, स्वायत्तता और विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। रोत ने इसे संसद से लेकर केंद्रीय नेताओं तक के समक्ष भी रखा है। भील प्रदेश के प्रस्ताव में चार राज्यों के 49 जिलों को शामिल करने की बात कही गई है।
राजस्थान- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, जालौर, बाड़मेर, पाली, चित्तौड़गढ़, कोटा और बारां जिले के हिस्से।
मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र- इन राज्यों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लगभग 20 पूर्ण जिले और 19 अन्य जिलों के हिस्से।
कब-कब उठी मांग?
1913: भील समुदाय की यह मांग सबसे पहले भील समाज सुधारक गोविंद गुरु ने मानगढ़ नरसंहार के बाद उठाई थी, जिसे "आदिवासी जलियांवाला" के रूप में भी जाना जाता है।
2024 (लोकसभा चुनाव): राजकुमार रोत ने चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। जीत के बाद उन्होंने इसे संसद में ले जाने का वादा किया।
जून 2024: राजस्थान विधानसभा में BAP विधायकों उमेश मीणा और थावरचंद डामोर ने भील प्रदेश की मांग को टी-शर्ट पहनकर समर्थन दिया, हालांकि भजनलाल सरकार ने इसे खारिज कर दिया।
दिसंबर 2024: राजकुमार रोत ने लोकसभा में नियम 377 के तहत चर्चा की मांग की और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
जनवरी 2025: बांसवाड़ा में आदिवासी रैली में रोत ने क्षेत्रीय आरक्षण और भील प्रदेश की मांग को दोहराया