Irrigation Project : खदानों का पानी लाएगा राजस्थान के इस जिले में हरियाली, दो सिंचाई परियोजना को दी मंजूरी
राजस्थान के खेतों में हरियाली लाने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे है। जहां पर खेतों में सिंचाई के लिए पानी लाने के लिए हर संसाधन का प्रयोग करने का प्लान तैयार किया जा रहा है। अब राजस्थान सरकार ने वर्षों से बारिश के पानी से लबालब रहने वाली निबाहेड़ा क्षेत्र की 2000 से भी अधिक पुरानी पत्थर खदानें अब किसानों के लिए वरदान साबित होंगी। इन खदानों में जमा अथाह जलराशि को अब वैज्ञानिक तरीके से सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाएगा।
विधायक श्रीचंद कृपलानी की अनुशंसा पर डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने इसके लिए करीब 7.18 करोड़ रुपये की दो महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी है। इन परियोजनाओं से निबाहेड़ा क्षेत्र की कुल 250 हेक्टेयर कृषि भूमि को स्थाई सिंचाई का लाभ मिलेगा, जिससे हर साल करीब छह माह तक बंद रहने वाली खदानों का पानी किसानों के काम आ सकेगा।
इन दोनों परियोजनाओं के धरातल पर उतरने से न केवल 250 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई का स्थाई समाधान होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। खदानों में वर्षों से संचित जल का उपयोग होने से हजारों मजदूरों को लगातार काम मिलेगा। खदान मालिकों को भी फायदा होगा, जिससे क्षेत्र के पत्थर उद्योग को नई गति और मजबूती मिलेगी।
तकनीकी व्यवस्था
स्प्रिंकलर प्रणाली, पाइपलाइन, मोटर और अन्य तकनीकी व्यवस्था स्थापित होने से क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
पहली बड़ी परियोजना
180 हेक्टेयर की सामुदायिक सिंचाई
लागत : 492.72 लाख रुपये
क्षेत्र : निबाहेड़ा पंचायत समिति के टाटरमाला, लक्ष्मीपुरा, सालरमाला, बिनोता, खोड़ीप, मिंडाना एवं मंडलाचारण की खदानों के पानी का होगा उपयोग।
लाभ : इन खदानों के पानी से 180 हेक्टेयर भूमि को सामुदायिक स्प्रिंकलर (फव्वारा) प्रणाली से सिंचित किया जाएगा।
क्रियान्वयन : यह कार्य जल संसाधन विभाग की ओर से किया जाएगा।
दूसरी परियोजना
70 हेक्टेयर को मिलेगा फायदा
लागत : 225.43 लाख रुपये
क्षेत्र : बडोली माधोसिंह एवं चंगेड़ी खदानों के पानी का उपयोग।
लाभ : 70 हेक्टेयर क्षेत्र में सामुदायिक स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली स्थापित की जाएगी। क्रियान्वयन इस परियोजना का जिमा भी जल संसाधन विभाग को सौंपा गया है।

