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मानसून की दस्तक ! क्यों तोड़ी जाती है जूनागढ़ की दीवार ??
 

हर बार मानसून में गिन्नाणी में भरता है पानी, लोग आते मुसीबत में

इस क्षेत्र के लिए कोई स्थायी हल क्यों नहीं सोचा जाता

लोगों को हर बार रहना पड़ता है भगवान भरोसे

धरोहर जूनागढ़ की दीवार तोड़ खाई में कब तक डालेंगे पानी

इंजीनियर्स का लवाजमा स्थायी हल क्यों नहीं तलाशता

 
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रितेश जोशी
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RNE Special.


मानसून अब बीकानेर के मुहाने पर खड़ा है, दस्तक दे रहा है। कभी भी वो शहर में प्रवेश कर के बरस सकता है। यूं तो बीकानेर में बारिश कम होती है मगर मानसून में हर बार बीकानेर तरबतर होता ही है। इंद्र की मेहरबानी रहती है। 

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बीकानेर वासियों को बरसात की सदा प्रतीक्षा रहती है। मगर बीकानेर का एक क्षेत्र ऐसा भी है जिसके लिए मानसून की बरसात या तेज बरसात दर्द देने वाली साबित होती है। बरसात से मन हर्षाता है मगर फिर भी इस क्षेत्र के लोग हाथ जोड़कर बरसात से बचाव की प्रार्थना हर साल करते दिखते है। मगर ऊपरवाला भी निष्ठुर है, हर बार वो उनकी प्रार्थना को नजरअंदाज ही करता है।
 

हर बार परेशानी में गिन्नाणी:
 

सूरसागर के समीप स्थित रिहायशी इलाका है गिन्नाणी। यह हर बारिश में भर जाता है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल पाते। गलियों में तालाब की स्थिति बन जाती है। घरों के आंगन में बरसात के पानी में बर्तन तैरते रहते है। जब तक पानी नहीं निकलता यहां बसने वालों को घरों में कैद ही रहना पड़ता है। यह हर साल ही होता है।

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वजह ये बताते है जानकर:
 

जब पुराने लोगों से गिन्नाणी की इस दशा के बारे में पूछते है तो बताया जाता है कि यहां एक तालाब था, उसमें ये बस्ती बसी हुई है। अब तालाब था तो जाहिर है अंडेनुमा आकार है और यहां पानी भरेगा। 
 

कई सवाल खड़े होते है:
 

इस तथ्य पर भी कई सवाल खड़े होते है। जब यहां लोग रहने के लिए मकान बना रहे थे तो उनको रोका क्यों नहीं गया। पहले जमीन को भौगोलिक रूप से समतल क्यों नहीं किया गया। उस वक़्त का प्रशासन दोषी है, उस पर कार्यवाही होनी चाहिए।

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अब स्थायी हल क्यों नहीं:
 

बस्ती बस गई। अब हर बार मानसून में इसमें पानी भरता है। हजारों लोग मुसीबत में फंसते है, फिर स्थायी समाधान की दिशा में प्रयास क्यों नहीं होते है। सरकार, जन प्रतिनिधि व प्रशासन स्थायी हल की दीर्घकालीन योजना बना लोगों को राहत देने की क्यों नहीं सोचता है।
 

हर बार ही लोग भगवान भरोसे:
 

हर मानसून की बारिश में जब यहां पानी भरता है तो लोगों को भगवान के भरोसे ही रहना पड़ता है। प्रशासन भी बरसात रुकने के बाद ही पानी निकालने के जतन सीमित साधनों से आरम्भ करता है। तब तक यहां रहने वाले हजारों लोग हाथ जोड़ भगवान को ही प्रार्थना करते रहते है।
 

तोड़ देते है जूनागढ़ की खाई:
 

हर बरसात में भरे हुए पानी को निकालने का कोई अन्य साधन प्रशासन को नजर आता नहीं। तो सीधे ऐतिहासिक जूनागढ़ की दीवार तोड़ पानी उसमें डाल देते है। क्योंकि  सूरसागर तो नालों के पानी व बरसात के पानी से पहले ही लबालब हो जाता है। तब इस गढ़ की दीवार को तोड़ प्रशासन उसमें पानी डालता है। भले ही इस ऐतिहासिक धरोहर की नींव वो हर साल कमजोर कर रहा है जो कभी बड़ा खतरा बन सकता है।

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इतने इंजीनियर, हल क्यों नहीं:
 

बीकानेर व प्रदेश में उच्च  श्रेणी के इतने इंजीनियर है, फिर उनकी मदद से कोई कारगर विकल्प क्यों नहीं निकला जाता कि बरसात का पानी जूनागढ़ की खाई में न डालना पड़े। निन्नाणी के लोगों को भी परेशानी न हो। ये काम तो हो सकता है, बशर्ते जन प्रतिनिधि व प्रशासन रुचि ले।

पिछले साल 9 जुलाई 2024 को दीवार गिरी थी:

पिछली बारिश में टूटी थी सूरसागर की दीवार  पूरे 11 महीने बाद हुआ टेंडर कार्य शुरू हुआ बीच में ही सिवरेज व फोर्ट डिस्पेंसरी के आगे बने नाले का पानी टूटी दीवार के अंदर से रिसाव करने लगा उसके अंदर नील डालकर चेक किया गया तो पता चला कि पानी अपना रास्ता बना रहा है BDA का कोई भी अधिकारी वहां पर अभी तक कोई नहीं पहुंचा स्थानीय निवासी विवाह मौजूद है। 

युवराज व्यास 

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स्थानीय निवासी 
विप्र फाउंडेशन युवा प्रकोष्ठ जिला महामंत्री बीकानेर