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SAHITYA AKADEMI : वक्ताओं ने तकनीक और पुस्तकों के भविष्य पर अपने विचार रखे

 
RNE, NETWORK . साहित्य अकादेमी द्वारा आज विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर ‘तकनीक और पुस्तकें: पठन और लेखन का भविष्य’ विषय पर परिसंवाद का आयोजन रवींद्र भवन स्थित अपने सभाकक्ष में किया। कार्यक्रम के आरंभ में अकादेमी के सचिव डाॅ. के. श्रीनिवासराव ने वक्ताओं का स्वागत अंग्रवस्त्र एवं पुस्तक भेंट करके किया । उन्होंने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि सोशल मीडिया ने लेखक और पाठक के बीच की दूरी को समाप्त कर दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता संगीत नाटक अकादेमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने की। SAHITYA AKADEMI : वक्ताओं ने तकनीक और पुस्तकों के भविष्य पर अपने विचार रखे उन्होंने कहा कि पुस्तकें कभी समाप्त नहीं हो सकतीं। युवा पीढ़ी को आज इंटरनेट के माध्यम से अपनी पसंद की पुस्तक पढ़ने को आसानी से मिल जाती है चाहें वह विश्व के किसी कोने में भी हो। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हम किताबे पढ़ें, लिखें, उन पर सवाल करें, विद्वानों के साथ समय व्यतीत करें। SAHITYA AKADEMI : वक्ताओं ने तकनीक और पुस्तकों के भविष्य पर अपने विचार रखे अपने वक्तव्य में पत्रकार जय प्रकाश पांडेय ने कहा कि जब तकनीक नहीं थी तब भी शब्दों का चलन था। उस समय वाचिक शब्द का बोलबाला था फिर धीरे धीरे लिपि विकसित हुई। उन्होंने कहा कि पठन और लेखन के बीच हमें उनकी गुणवत्ता का भी ध्यान रखना होगा। प्रकाशक एवं संपादक सुश्री मेरु गोखले ने टिकटाॅक से बुकटाॅक की बात की। उन्होंने कहा तकनीक से प्रयोग करते रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आज विश्व के 90 प्रतिशत लेखकों को संपादक नहीं मिलते और अपनी कृति बिना संपादन के प्रकाशित करना पड़ता है। SAHITYA AKADEMI : वक्ताओं ने तकनीक और पुस्तकों के भविष्य पर अपने विचार रखे इस आवश्यकता हो ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक ऐप बनाया है जो संपादन का कार्य आसानी से करता है। कार्यक्रम में चित्रकार प्रेम सिंह ने पठन और लेखन के भविष्य पर बात की। उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमेशा रहने वाली वस्तु है। नृत्यांगना सुश्री सिंधु मिश्रा ने अपने वक्तव्य में उल्लेख किया कि आज सभी कलाओं में श्रोताओं का अभाव है। सूचना क्षेत्र से जुड़ी सुश्री उषा मुजू मुंशी ने पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि किताबें कागज से चलकर स्क्रीन पर आ गई हैं, अब कहानियों केवल पन्नों पर बिखरी नहीं रहतीं। SAHITYA AKADEMI : वक्ताओं ने तकनीक और पुस्तकों के भविष्य पर अपने विचार रखे पुलिस-प्रशासक एवं हिंदी कवि तजेंदर सिंह लूथरा ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में श्रुति परंपरा पर बात की। उन्होंने लिपि के इतिहास पर प्रकाश डाला तथा कहा कि अगर हमारे पूर्वजों ने लिपि का अविष्कार नहीं किया होता तो हम आज ए.आई. तक नहीं पहुँच पाते। हमें आगे भी अपनी सुविधा क्षेत्र से बाहर निकलना होगा तथा नई तकनीक का स्वागत खुले दिल से करना होगा। कार्यक्रम का संचालन अकादेमी के उपसचिव डाॅ. देवेंद्र कुमार देवेश ने किया। SAHITYA AKADEMI : वक्ताओं ने तकनीक और पुस्तकों के भविष्य पर अपने विचार रखे