साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार 2024 अर्पण समारोह संपन्न
- बाल साहित्य को पठनीय बनाना जरूरी- सूर्य प्रसाद दीक्षित
- बाल साहित्य लेखन की परंपरा को जीवित रखना जरूरी- माधव कौशिक
- जीवन की पाठशाला के लिए तैयार करता है बाल साहित्य- कुमुद शर्मा
- कल पुरस्कृत लेखक साझा करेंगे अपने रचनात्मक अनुभव
RNE Network
साहित्य अकादेमी द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित बाल साहित्य पुरस्कार 2024 आज सायं 5.00 बजे भागीदारी भवन प्रेक्षागृह, गोमती नगर, में आयोजित भव्य समारोह में प्रदान किए गए। पुरस्कार साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा प्रदान किए गए। पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि लब्धप्रतिष्ठ विद्वान एवं साहित्यकार सूर्य प्रसाद दीक्षित थे। साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने समापन और साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया।
सरस्वती वंदना के बाद मुख्य अतिथि सूर्य प्रसाद दीक्षित का स्वागत पुष्प गुच्छ , साहित्य अकादेमी की पुस्तकें और शाल पहनाकर अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने किया।
सभी का स्वागत करते हुए साहित्य अकादेमी के सचिव के.श्रीनिवासराव ने कहा कि हमें बेहद खुशी है कि साहित्य अकादेमी के 70 साल के इतिहास में पहली बार बाल साहित्य पुरस्कार लखनऊ में प्रदान किए जा रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि बाल साहित्य बच्चों के संतुलित विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाल साहित्य बच्चों की कल्पनाशीलता को तो बढाता ही है बल्कि समाज में उन्हें अच्छे व्यवहार के लिए भी प्रेरित करता है।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि बच्चों के लिए लिखना बेहद श्रम का कार्य है। बाल लेखन के लिए बच्चों की दृष्टि से लिखना ही काफी नहीं बल्कि उनकी मुस्कान को बरकरार रखना भी जरूरी होता है। पहले सभी भाषाओं के महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों ने बाल साहित्य का प्रचुर मात्रा में लेखन किया है लेकिन अब यह परंपरा खंडित सी हो गई है, लेकिन इसका जारी रहना जरूरी है।अपनी बात के समापन पर उन्होंने अपनी कविता की दो पंक्तियां पढ़ी –
बंद घरों के हर कमरे में जैसे रोशनदान रहे।
वैसे ही हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान रहे।
समारोह के मुख्य अतिथि सूर्य प्रसाद दीक्षित ने बाल साहित्य के इतिहास और परंपरा की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि बाल साहित्य को बच्चों की नई पीढ़ी के अनुसार पठनीय बनाना होगा। इस अवसर पर उन्होंने लखनऊ की मुंशी नवल किशोर प्रेस की महत्त्वपूर्ण भूमिका और अमृतलाल नागर को भी याद किया । आगे उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए जीवनी साहित्य उपयोगी होता है लेकिन उसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए बाल मनोविज्ञान का ज्ञान ज़रूरी है जिससे उसे बच्चों की भाषा में उसे लिखा जा सके।
समापन वक्तव्य देते हुए साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि बाल साहित्य बच्चों को जीवन की पाठशाला के लिए तैयार कर सजग और सतर्क नागरिक बनाता है और उसकी महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है।
बाल साहित्य पुरस्कार 2024 प्राप्त करने वाले लेखक हैं – रंजु हाजरिका (असमिया), दीपान्विता राय (बाङ्ला), भार्जिन जेक’भा मोसाहारी (बोडो), बिशन सिंह ‘दर्दी’ (डोगरी), नंदिनी सेनगुप्ता (अंग्रेज़ी), गिरा पिनाकिन भट्ट (गुजराती), देवंद्र कुमार (हिंदी), कृष्णमूर्ति बिळिगेरे (कन्नड), मुज़फ़्फ़र हुसैन दिलबर (कश्मीरी) हर्षा सद्गुरू शेटये (कोंकणी), नारायणजी (मैथिली), उन्नी अम्मायंबळम् (मलयाळम्), क्षेत्रिमयुम सुवदनी (मणिपुरी), भारत सासणे (मराठी), वसंत थापा (नेपाली), मानस रंजन सामल (ओड़िआ), कुलदीप सिंह दीप (पंजाबी), प्रहलाद सिंह ‘झोरड़ा’ (राजस्थानी), हर्षदेव माधव (संस्कृत), दुगाई टुडु (संताली), लाल होतचंदानी ‘लाचार’ (सिंधी), युमा वासुकि (तमिऴ), पामिदिमुक्कला चंद्रशेखर आज़ाद (तेलुगु) और शम्सुल इस्लाम फ़ारूक़ी (उर्दू)।
पुरस्कृत बाल साहित्यकारों को उत्कीर्ण ताम्रफलक तथा 50,000/- रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई।
हिंदी,उर्दू और सिंधी पुरस्कार विजेता खराब स्वास्थ्य के कारण पुरस्कार ग्रहण करने नहीं आ सके और अंग्रेजी पुरस्कार विजेता की जगह उनके प्रतिनिधि ने पुरस्कार ग्रहण किया।