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उर्दू साहित्य की सच्चाई की परंपरा को आगे बढ़ाते असलम जमशेदपुरी के साथ साहित्य अकादेमी की कथासंधि

RNE Bikaner.

साहित्य अकादेमी द्वारा आज उर्दू साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार एवं आलोचक असलम जमशेदपुरी के साथ विशेष “कथासंधि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में असलम जमशेदपुरी ने अपनी रचना प्रक्रिया, साहित्यिक यात्रा और लेखन के अनुभवों को विस्तार से साझा किया। उन्होंने बताया कि उनका लेखन सफर बचपन में ही शुरू हो गया था, जब वे इब्ने शफ़ी और बुशरा रहमान जैसे लेखकों के उपन्यास पढ़ा करते थे। यहीं से उन्हें लिखने की प्रेरणा मिली, और वे अपनी रचनाओं को पत्रिकाओं में भेजने लगे। उनकी पहली कहानी “निशानी” तब प्रकाशित हुई जब वे आठवीं कक्षा में पढ़ते थे।

साहित्यिक यात्रा और योगदान

असलम जमशेदपुरी ने 1992 में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जमशेदपुर से दिल्ली का रुख किया, जहां उन्होंने एक अखबार में नौकरी शुरू की। उनके लेखन का पहला कहानी संग्रह ‘उफ़क की मुस्कुराहट’ 1997 में प्रकाशित हुआ। इसी वर्ष बच्चों की कहानियों का संग्रह ‘ममता की आवाज’ भी सामने आया। इसके बाद, उन्होंने आलोचना के क्षेत्र में भी कदम रखा और उनकी पहली आलोचना पुस्तक 2001 में प्रकाशित हुई।

उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तकों, ‘उर्दू फिक्शन के पाँच रंग’ (आलोचना) और ‘लेंड्रा’ (कहानी-संग्रह) के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने अपनी रचना “गोदान से पहले” का पाठ भी किया, जिसमें एक हिंदू परिवार के गाय प्रेम और बदलते सामाजिक परिप्रेक्ष्य में उन पर लगे गाय बेचने के आरोप की मार्मिक और संवेदनशील कहानी को प्रस्तुत किया गया।

लेखन की प्रेरणा और उद्देश्य

असलम जमशेदपुरी ने बताया कि उनका लेखन प्रेमचंद, मंटो, इस्मत चुगताई और कृश्न चंदर जैसे महान लेखकों की सच्चाई की परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “मैं अपने लेखन के माध्यम से इन साहित्यकारों के महत्त्व और उनके प्रभाव को आम पाठकों तक पहुँचाना चाहता हूँ।”

ज्ञात हो कि असलम जमशेदपुरी की अब तक 42 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कहानी-संग्रह, आलोचना पुस्तकें और संपादित पुस्तकें शामिल हैं। वे वर्तमान में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

कार्यक्रम में प्रमुख साहित्यकारों की उपस्थिति

इस विशेष कार्यक्रम में उर्दू साहित्य के कई महत्त्वपूर्ण लेखक और विद्वान उपस्थित थे, जिनमें प्राध्यापक फ़ारूख बक्शी, परवेज शहरयार, चंद्रभान खयाल, अब्बू ज़हीर रब्बानी, ख़्वाजा गुलाम सैय्यदन समेत कई छात्र-छात्राएँ भी शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया।

इस कार्यक्रम के अंत में असलम जमशेदपुरी ने उपस्थित श्रोताओं के सवालों के उत्तर दिए और अपने लेखन से जुड़ी कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ साझा कीं, जिससे उर्दू साहित्य में रुचि रखने वाले लोगों को उनकी रचनाओं और विचारों के बारे में गहरी समझ मिली।