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राजस्थान भाजपा को याद नहीं आया, सतीश पूनिया ने बहरीन में जीत का साफा पहना

  • अध्यक्ष के तौर पर संकल्प लिया था: राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने तक साफा नहीं पहनूंगा
  • भाजपा की सरकार बन गई लेकिन पूनिया हार गए, ऐसे में भाजपा को याद ही नहीं आया साफा पहनाना
  • अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पूनिया की साफा बांधने वाली पोस्ट

आरएनई, नेटवर्क।

‘संकल्प से सिद्धी: राजस्थान में विजय संकल्प पूर्ण होने पर राजस्थान में तो न सही लेकिन बहरीन में प्रवासी राजस्थानी परिवार के साथ बहुप्रतीक्षित सम्मान का साफा स्वीकार किया।’ एक्स पर यह पोस्ट है भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया। साथ ही साफा बांधते हुए वीडियो भी शेयर किया है। साफ लग रहा है कि भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने पार्टी की जीत के लिए जो संकल्प लिया था उसके पूरा होने की जितनी खुशी है उससे कहीं ज्यादा इस बात का दर्द है कि राजस्थान भाजपा और यहां के नेता-कार्यकर्ता उनके संकल्प को भूल गए। उस संकल्प को जिसमें उन्होंने प्रण किया था साफा-माला नहीं पहनूंगा। एक वक्त भोजन करूंगा।यही वजह है कि दर्द यूं उभरकर आया है ‘ राजस्थान में न सही बहरीन में  प्रवासी राजस्थानी परिवार के साथ बहुप्रतीक्षित सम्मान का साफा स्वीकार किया।‘ यहां ‘बहुप्रतीक्षित’ शब्द साफ जाहिर करता है कि पूनिया चाहते थे कि भाजपा कम से कम उनके इस संकल्प का सम्मान करती। उन्हें यथोचित सम्मान के साथ साफा पहनाती।जीत जाते तो ऐसा कतई नहीं होता:
हालांकि भाजपा प्रदेश में जीत गई। सरकार बन गई लेकिन पूनिया चुनाव हार गए। प्रदेशाध्यक्ष के पद से उन्हंे पहले ही हटा दिया था। ऐसे में हारे हुए पूर्व अध्यक्ष को साफा पहनाना किसी को याद नहीं आया।सचिन पायलट ने भी लिया था ऐसा संकल्प:
इससे पूर्व पिछले कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए सचिन पायलट ने भी संकल्प लिया था कि जब तक पार्टी राजस्थान में सरकार नहीं बनाएगी मैं साफा नहीं पहनूंगा। वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार आई। सचिन पायलट भी जीते। हालांकि मुख्यमंत्री नहीं बने लेकिन उपमुख्यमंत्री बने। ऐसे में सबसे पहले पायलट को पूरे सम्मान के साथ साफा पहनाया गया। हालांकि बाद में पायलट न प्रदेशाध्यक्ष रहे, न उपमुख्यमंत्री। ऐसे में पूनिया को इस बात का मलाल होना वाजिब है कि अगर जीत मिलती तो साफा पहनाया जाता। खुद हार गए तो पार्टी की जीत में उनके योगदान को ही नजरअंदाज कर दिया गया।