Science Advances-कोविड से 11.90 लाख मौतें, भारत सरकार-ये स्टडी गलत
Jul 20, 2024, 19:26 IST
- भारत में कोविड मौतों पर फिर बड़ा विवाद
- जर्नल साइंस एडवांसेज की स्टडी : 11 लाख 90 हजार मौतें
- भारत सरकार ने कहा-ये स्टडी गलत, अस्वीकार्य
Science Advances की स्टडी में कहा :
765,180 व्यक्तियों पर उच्च गुणवत्ता वाला सर्वेक्षण डेटा, जो भारत की एक-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, अधूरे महत्वपूर्ण आंकड़ों और रोग निगरानी से चूक गए पैटर्न को उजागर करता है। 2019 की तुलना में, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 2.6 वर्ष कम थी और 2020 में मृत्यु दर 17% अधिक थी, जिसका अर्थ है कि 2020 में 1.19 मिलियन अतिरिक्त मौतें हुईं।
भारत सरकार ने स्टडी को यूं नकारा :
यद्यपि लेखक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) का विश्लेषण करने की मानक पद्धति का पालन करने का दावा करते हैं, तथापि इनकी कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां हैं। एनएफएचएस सर्वेक्षण देश का प्रतिनिधि तभी होता है जब इसे समग्र रूप से माना जाता है। 14 राज्यों के हिस्से से इस विश्लेषण में शामिल 23 प्रतिशत परिवारों को देश का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता है। इसके अन्य महत्वपूर्ण दोष शामिल सर्वेक्षण सैंपल में संभावित चयन और रिपोर्टिंग पूर्वाग्रहों से संबंधित है, जिस समय ये डेटा एकत्र किए गए थे, वह कोविड-19 महामारी के चरम का दौर था।
- मनोज आचार्य, अभिषेक पुरोहित



जाति के आधार पर भी असर का मूल्यांकन : रिसर्च के मुताबिक, 2020 में उच्च-जाति के हिंदुओं की औसत जीवन दर में 1.3 साल की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, अनुसूचित जाति के लोगों की औसत जीवन दर में 2.7 साल की गिरावट आई। इसके अलावा भारत के मुस्लिम नागरिकों की जीवन दर पहले की तुलना में 5.4 साल घट गई। भारत सरकार ने कहा, यह भ्रामक और अति आंकलन : भारत सरकार ने इस स्टडी का पुरजोर खंडन किया है। सरकार ने कहा है कि साइंस एडवांसेज पेपर में वर्ष 2020 में पिछले वर्ष की तुलना में बताई गई अत्यधिक मृत्यु दर एक सकल और भ्रामक अति आकलन है। अध्ययन त्रुटिपूर्ण है और लेखकों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में गंभीर खामियाँ हैं; दावे असंगत और अस्पष्ट हैं। सरकार का कहना है, भारत में वर्ष 2020 में पिछले वर्ष की तुलना में सभी कारणों से होने वाली अतिरिक्त मृत्यु दर साइंस एडवांसेज पेपर में बताई गई 11.9 लाख मौतों से काफी कम है। अध्ययन के निष्कर्षों और स्थापित कोविड-19 मृत्यु दर पैटर्न के बीच विसंगतियां इसकी विश्वसनीयता को और कम करती हैं। यह अध्ययन भारत की मजबूत नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) को स्वीकार करने में विफल रहा, जिसने वर्ष 2020 में मृत्यु पंजीकरण (99 प्रतिशत से अधिक) में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की, जो केवल महामारी के कारण नहीं थी।

भारत सरकार ने इस आधार पर रिपोर्ट को भ्रामक बताया : यद्यपि लेखक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) का विश्लेषण करने की मानक पद्धति का पालन करने का दावा करते हैं, तथापि इनकी कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लेखकों ने जनवरी और अप्रैल वर्ष 2021 के बीच किए गए एनएफएचएस सर्वेक्षण में शामिल परिवारों का एक उपसमूह पर किया है, इन परिवारों में वर्ष 2020 में मृत्यु दर की तुलना वर्ष 2019 से की है और परिणामों को पूरे देश में लागू किया है। एनएफएचएस सर्वेक्षण देश का प्रतिनिधि तभी होता है जब इसे समग्र रूप से माना जाता है। 14 राज्यों के हिस्से से इस विश्लेषण में शामिल 23 प्रतिशत परिवारों को देश का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता है। इसके अन्य महत्वपूर्ण दोष शामिल सर्वेक्षण सैंपल में संभावित चयन और रिपोर्टिंग पूर्वाग्रहों से संबंधित है, जिस समय ये डेटा एकत्र किए गए थे, वह कोविड-19 महामारी के चरम का दौर था।

भारत के रजिस्ट्रेशन सिस्टम कमजोर बताया, जो गलत है : सरकार का कहना है, इस प्रकाशित किए गए पत्र में इस तरह के विश्लेषण की आवश्यकता के लिए गलत तर्क दिया गया है और दावा किया गया है कि भारत सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों में महत्वपूर्ण पंजीकरण प्रणाली कमजोर है। यह सत्य से बहुत दूर है। भारत में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) अत्यधिक मजबूत है और 99 प्रतिशत से अधिक मृत्यु की जानकारी देती है। यह रिपोर्टिंग वर्ष 2015 में 75 प्रतिशत से लगातार बढ़कर वर्ष 2020 में 99 प्रतिशत से अधिक हो गई है। इस प्रणाली के डेटा से पता चलता है कि वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मृत्यु पंजीकरण में 4.74 लाख की वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 और 2019 में मृत्यु पंजीकरण में पिछले वर्षों की तुलना में 4.86 लाख और 6.90 लाख की समान वृद्धि हुई थी। उल्लेखनीय रूप से, सीआरएस में एक वर्ष में सभी अतिरिक्त मृत्यु महामारी के कारण नहीं होती हैं। अतिरिक्त संख्या सीआरएस में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि (यह वर्ष 2019 में 92 प्रतिशत थी) और अगले वर्ष में एक बड़े जनसंख्या आधार के कारण भी है।


क्रूड डैथ रेट पर सवाल : भारत सरकार का कहना, शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित अनुमानों की पुष्टि भारत के नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के आंकड़ों से भी होती है। एसआरएस देश के 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 8842 नमूना इकाइयों में 24 लाख घरों में लगभग 84 लाख आबादी को कवर करता है। जबकि लेखक यह दिखाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं कि वर्ष 2018 और 2019 के लिए एनएफएचएस विश्लेषण और नमूना पंजीकरण सर्वेक्षण विश्लेषण के परिणाम तुलनात्मक हैं, वे यह रिपोर्ट करने में पूरी तरह विफल रहे कि वर्ष 2020 में एसआरएस डेटा वर्ष 2019 के आंकड़ों (2020 में क्रूड मृत्यु दर 6.0/1000, वर्ष 2019 में क्रूड मृत्यु दर 6.0/1000) की तुलना में बहुत कम, यदि कोई है, तो अतिरिक्त मृत्यु दर को दर्शाता है और जीवन की संभावनाओं में कोई कमी नहीं है। आयु-लिंग के आंकड़े : शोधपत्र में आयु और लिंग के आधार पर ऐसे परिणाम दिए गए हैं जो भारत में कोविड-19 पर शोध और कार्यक्रम के आंकड़ों के विपरीत हैं। शोधपत्र में दावा किया गया है कि महिलाओं और कम आयु वर्ग (विशेषकर 0-19 वर्ष के बच्चों) में अतिरिक्त मृत्यु दर अधिक थी। कोविड-19 के कारण दर्ज की गई लगभग 5.3 लाख मृत्यु के आंकड़े, साथ ही समूहों और रजिस्ट्री से प्राप्त शोध आंकड़े लगातार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कोविड-19 के कारण अधिक मृत्यु दर (2:1) और अधिक आयु वर्ग (0-15 वर्ष के बच्चों की तुलना में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में कई गुना अधिक) को दर्शाते हैं। प्रकाशित शोधपत्र में ये असंगत और अस्पष्ट परिणाम इसके दावों में किसी भी तरह के विश्वास में कमी लाते हैं।
