जनसंघ के जमाने के नेता बोड़ा ने आपातकाल में पुलिस को खूब छकाया, हमेशा सादगी में रहे
RNE, Bikaner.
राजस्थान में भाजपा के संस्थापकों में से एक जनसंघ के जमाने के भाजपा नेता रिखबदास बोड़ा का मंगलवार को बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल में निधन हो गया। बोड़ा पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे। अंतिम यात्रा बोड़ा के बेणीसर कुआ स्थित पैतृक निवास से नथूसरगेट के बाहर स्थित व्यासों की बगीची जाएगी।
लगभग 85 वर्षीय बोड़ा रास्थान में जनसंघ के जमाने के भाजपा नेता थे। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत से उनकी काफी निकटता थी। सादगी पसंद बोड़ा को स्पष्टवादी नेता के रूप में जाना जाता था। वे सच्ची और कड़वी बात बड़े से बड़े नेता और अधिकारी के मुंह पर कहने में संकोच नहीं करते।
पद के लोभ से दूर रहते हुए बोड़ा कभी विचारों और सिद्धांतों से समझौता नहीं कर पाये। यही वजह है कि पूरी उम्र भाजपा-विचार परिवार को सौंपने के बावजूद किसी बड़े राजनीतिक पद पर उनकी ताजपोशी नहीं हो पाई।अलबत्ता वे एक जमाने में जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी रहे।
बोड़ा अपने पीछे कन्हैयालाल, रामेश्वर, बालेश्वर, योगेश चार पुत्र और शिवकुमारी हर्ष, सुधा पुरोहित दो पुत्रियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन पर शहर भाजपा अध्यक्ष विजय कुमार आचार्य, महामंत्री मोहन सुराणा, श्यामसुंदर चौधरी, नरेश नायक, डॉ.सत्यप्रकाश आचार्य सहित भाजपा, कांग्रेस के नेताओं, समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े प्रतिनिधियों ने शोक जताया है।
आपातकाल में दिल्ली में साधु बन भाषण दिया :
आपातकाल विरोधी आंदोलन में बोड़ा की भूमिका के किस्से आज भी शहर में सुनाये जाते हैं। बताया जाता है कि वे साधू के भेष में दिल्ली पहुंचे और भाषण दिया। पुलिस कुछ समझ पाती उससे पहले नए भेष में निकाल गए। आपातकाल के दौरान एकबार पुलिस की घेराबंदी के बीच से महिला बनाकर निकाल जाने के किस्से भी खूब सुनाये जाते हैं।