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शाह का तंज : मोदीजी मीटिंग लेने जम्मू जा रहे, यहां मंत्री महोदय को अपने क्षेत्र के लिए टाइम ही नहीं

  • भाजपा के अध्यक्षों को खड़ा कर सवाल पूछने शुरू किये, सभी उलझ गए,
  • लाभार्थियों की संख्या और उनसे मुलाकात नहीं बता पाये अध्यक्ष

आरएनई, बीकानेर।

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को बीकानेर में 40 मिनट की अपनी मीटिंग में संगठन से लेकर मंत्रियों तक के कामकाज की पोल खोलकर रख दी। बीकानेर क्लस्टर के तीन लोकसभा प्रभारी मंत्रियों को खड़ा कर सवाल पूछने शुरू किये तो अधिकांश के जवाब नहीं मिले। हालत यह हुई कि मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर, सुमित गोदारा और अविनाश गहलोत लगभग आधे घंटे शाह के सामने खड़े रहे और वे सवाल पूछते रहे।

अमित शाह ने बीकनेर लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर से जब बीकानेर दौरे के बारे में पूछा तो जवाब मिला, अभी तक दौरा किया नहीं है। इसी बात पर वे उखड़ गये। यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्रीजी मीटिंग लेने जम्मू-कश्मीर जा रहे है। मैं बीकानेर आ रहा हूं। नड्डाजी, राजनाथसिंहजी जा रहे हैं और माननीय मंत्री महोदय को टाइम ही नहीं है। इसके बाद शुरू हुआ सवालों का दौर जिसमें गोदारा, गहलोत और खींवसर से लोकसभा क्षेत्र में विधानसभावार कार्यालय खोलने से लेकर अब तक हुए काम का ब्यौरा मांगा गया।

अध्यक्षों को भी उलझाया:

अमित शाह ने भाजपा के अध्यक्षों को भी सवालों में ऐसा उलझाया कि अधिकांश के पास जवाब खत्म हो गए। मसलन, आपके इलाके में लाभार्थी कितने हैं? कितने लाभार्थियों से संवदा हुआ, आदि-आदि।

सीएम-प्रदेशाध्यक्ष के भाषण नहीं हुए:

बताया जाता है कि शाह की मीटिंग में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी को संक्षिप्त भाषण देना था। कार्यक्रम शुरू होने के बाद ज्योंहि स्वागत का सिलसिला शुरू हुआ तो अमित शाह ने इसे रोक दिया। संचालन कर रहे श्रवण बगड़ी के कान में जाकर अर्जुनराम ने कुछ कहा और सीधे अमित शाह के हाथ में माइक थमा दिया गया। ऐसे में मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष का भाषण ही नहीं हुआ। स्वागत और आभार भाषण अर्जुनराम व सतीश पूनिया के जिम्मे रहा।

अमित शाह के निर्देश: 29 तक हर विधानसभा क्षेत्र में कार्यालय हो

गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा के लिए बनाये गए प्रभारी मंत्रियों का निर्देश दिया कि अपने क्षेत्र में दौरा करे। मीटिंग लें। 29 फरवरी तक लोकसभा क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा में एक कार्यालय खोलें। इसके साथ ही लाभार्थियों से संवाद, बूथ कार्यकर्ताओं आदि से जुड़े तमाम काम पूरे करें।