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उप चुनाव से पहले भाजपा में बदलाव के संकेत, किरोड़ी पर भी फैसला शीघ्र

RNE, Bikaner. 

राज्य की 5 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप चुनाव से पहले राज्य भाजपा में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी को 11 सीटों पर हार मिली, उसको लेकर पार्टी की अंतर्कलह भी सामने आई। सार्वजनिक रूप से भाजपा के नेता एक – दूसरे के सामने दिखे। पार्टी नेतृत्त्व ने इस कलह को कुछ हद तक थामा, मगर भीतर सुलग रही आग को पूरा शांत नहीं किया जा सका। शुभकरण चौधरी, देवीसिंह भाटी, कोली आदि के बयानों से स्थिति गंभीर बनी।

विधानसभा के फ्लोर पर भी भाजपा कहीं से भी एकजुट नहीं दिखी। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे कम ही सदन में दिखती है। वहीं वरिष्ठ विधायक भी शांत ही बैठे रहते हैं। इस बीच कृषि मंत्री व वरिष्ठ नेता किरोड़ीलाल मीणा ‘ बाबा ‘ ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर सरकार व पार्टी को बैकफुट पर ला दिया है। विपक्ष को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया है।

बाबा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी मिलने बुलाया। मुलाकात हुई। मगर बाबा इस्तीफे पर अड़े है। 10 दिन में नड्डा ने फिर बुलाने की बात कही। बुलाया नहीं तो बाबा गये भी नहीं। कह दिया, बुलायेंगे तभी जाऊंगा। बाबा का अंदाज यही है। अभी तक सीएम ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी नहीं किया है। बाबा न सरकारी सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं और न इस्तीफा वापस लेने को तैयार है। भाजपा इससे दोराहे पर खड़ी है, निर्णय नहीं हो पा रहा।

अब 5 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होना है और भाजपा की साख दाव पर है। उससे पहले भाजपा बदलाव के संकेत दे रही है। क्योंकि सीएम व प्रदेश अध्यक्ष एक ही समाज से है। इस सूरत में एक का बदलाव जरूरी लगता है। सूत्रों की मानें तो पार्टी संगठन में बदलाव कर सकती है। मूल ओबीसी या एससी व एसटी में से किसी को संगठन की कमान देने पर विचार कर रही है। जिन 5 सीटों पर उप चुनाव है उनमें से तीन सीटों पर एसटी का बाहुल्य है और ये सीटें भी वर्तमान में भाजपा हारी हुई है। तभी तो अब तक बाबा का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है।

दो सीटों पर जाट बाहुल्य है। जो ओबीसी में है। इसलिए भाजपा के लिए नया नेतृत्त्व तलाशना इतना आसान भी नहीं। मगर नेतृत्त्व में बदलाव तो करना ही होगा। बस, समय का चुनाव करना है। उप चुनावों से पहले बदलाव हो या बाद में, अभी ये स्पष्ट नहीं है।
बाबा के बारे में निर्णय होने पर ही पार्टी आगे के निर्णय कर सकेगी। इस कारण अभी तक भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है। मगर राज्य भाजपा में बदलाव के संकेत अब मिलने शुरू हो गये हैं।

 


— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘