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Atul Kumar Anjan : जिसे सुनने पक्ष-विपक्ष के सभी लोग सभाओं में जाते थे, खामोश हुई वह आवाज

 
स्टेट सेक्रेट्री का.नरेन्द्र आचार्य ने कहा, छात्र जीवन से पार्टी से जुड़े, अंतिम सांस तक साथ निभाया, सम्मान में झंडा झुकाया आरएनई, नेटवर्क। इमरजेंसी के दौर में छात्र नेता के तौर पर राजनीति में कदम रखकर देशभर के अपनी प्रखर-तार्किक भाषण शैली के लिहाज से खास पहचान बनाने वाले वामपंथी नेता अतुल कुमार अंजान नहीं रहे। लंबे समय से कैंसर से पीड़ित अंजान का लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एक हॉस्पिटल में निधन हो गया। Atul Kumar Anjan : जिसे सुनने पक्ष-विपक्ष के सभी लोग सभाओं में जाते थे, खामोश हुई वह आवाज राजस्थान में पार्टी ने शोक में झंडा झुकाया: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के स्टेट सेक्रेट्री का.नरेन्द्र आचार्य ने कहा, अतुलजी छात्रजीवन से पार्टी से जुड़े और अंतिम सांस तक जुड़े रहे। उनके निधन से पार्टी व कम्युनिस्ट आंदोलन को अपूरणीय क्षति हुई है। राज्य पार्टी ने अपने सम्मानित नेता और लंबे समय तक राजस्थान में पार्टी पर्यवेक्षक रहे अतुलकुमार अंजान की स्मृति में झंडा झुकाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। Atul Kumar Anjan : जिसे सुनने पक्ष-विपक्ष के सभी लोग सभाओं में जाते थे, खामोश हुई वह आवाज छात्र राजनीति से शुरुआत : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत लखनऊ विश्वविद्यालय से की थी। लगभग 20 साल की उम्र में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष चुने गए। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद का भी चुनाव जीता। वे छात्रों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय थे। Atul Kumar Anjan : जिसे सुनने पक्ष-विपक्ष के सभी लोग सभाओं में जाते थे, खामोश हुई वह आवाज पिता के नक्शे कदम पर : अंजान उत्तर प्रदेश के पुलिस पीएसी विद्रोह के मुख्य नेताओं में से एक थे। उन्होने लगभग पांच साल जेल में काटे। अंजान के पिता एपी सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियों में हिस्सा लिया था। इसके लिए उन्होंने भी ब्रिटिश जेल में लंबी सजा काटी थी। ऐसे में अतुल कुमार अंजान ने भी अपने पिता के नक्शे कदम पर ही राजनीति की। Atul Kumar Anjan : जिसे सुनने पक्ष-विपक्ष के सभी लोग सभाओं में जाते थे, खामोश हुई वह आवाज Atul Kumar Anjan : जिसे सुनने पक्ष-विपक्ष के सभी लोग सभाओं में जाते थे, खामोश हुई वह आवाज