राजस्थान की 25 सीटों पर 58, 954 बुजुर्ग और 17,682 दिव्यांग घर से मतदान करेंगे
 Apr 4, 2024, 22:12 IST
                                                    
                                                
                                            - प्रथम चरण: 36 हजार से अधिक फॉर्म स्वीकृत, मतदान 5 अप्रैल से
 - द्वितीय चरण: 40 हजार से अधिक पंजीकरण, मतदान 14 अप्रैल से
 
 प्रथम चरण: सीकर में सर्वाधिक 4,960 फॉर्म स्वीकृत— मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि होम वोटिंग के तहत प्रथम चरण के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 5 अप्रैल से मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी और 14 अप्रैल तक चलेगी। किसी कारण से मतदाता के होम वोटिंग के लिए अनुपस्थित या वंचित रह जाने पर दूसरा चरण 15 से 16 अप्रैल के बीच होगा। होम वोटिंग के लिए 12 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा 36,558 पात्र मतदाताओं के फॉर्म स्वीकृत किए गए हैं। इनमें 27,524 वरिष्ठ नागरिक और 9,306 दिव्यांग शामिल हैं। 
 निर्वाचक अधिकारी द्वारा होम वोटिंग का विकल्प चयन करने वाले मतदाताओं की सूची सभी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को उपलब्ध कराई जा चुकी है। साथ ही, होम वोटिंग के लिए विशेष मतदान दल गठित कर उनके प्रशिक्षण की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। ये विशेष दल राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों की मौजूदगी में पंजीकृत मतदाताओं के घर पहुंचकर पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान करवाएंगे 
 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रवार कुल पंजीकृत (बुजुर्ग-दिव्यांग) मतदाता— टोंक-सवाई माधोपुर: 2,695 (1,976-719) अजमेर: 3,036 (2,253-783) पाली: 3,801 (3,147-654) जोधपुर: 2,842 (2,428-414) बाड़मेर: 5,135 (4,444-691) जालोर: 3,460 (2,778-682) उदयपुर: 3,221 (2,630-591) बांसवाड़ा: 1,832 (1,368-464) चित्तौड़गढ़: 3,759 (3,007-752) राजसमंद: 2,283 (1,718-565) भीलवाड़ा: 2,596 (1,986-610) कोटा: 2,751 (2,071-680) झालावाड़-बारां: 2,667 (1,705-962) विधानसभा की बजाय लोकसभा चुनाव में होम वोटिंग का रुझान बढ़ा :  गुप्ता ने बताया कि होम वोटिंग के प्रति लोकसभा आम चुनाव में राज्य विधानसभा चुनाव-2023 से भी ज्यादा उत्साह है। विधानसभा चुनाव के दौरान 61,628 पात्र मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था। इस बार यह आंकड़ा 76 हजार के पार पहुंच गया है। होम वोटिंग के लिए राज्य विधानसभा चुनाव-2023 में 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता पात्र थे। लोकसभा चुनाव के दौरान इसे बढ़ाकर 85 वर्ष किया गया है। पात्र मतदाताओं की संख्या पहले के मुकाबले कम होने के बावजूद भी होम वोटिंग के लिए अधिक रूझान निर्वाचन विभाग द्वारा ‘कोई मतदाता न छूटे’ के उद्देश्य के साथ किए गए प्रयासों का ही परिणाम है। 

                                                