राहुल कस्वां का टिकट कटने से बदलेगी संभाग की राजनीति, श्रीगंगानगर में हुआ बदलाव तो होगा असर
 Mar 4, 2024, 13:17 IST
                                                    
                                                
                                            आरएनई,बीकानेर ।  लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने अपनी 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। इस सूची में राजस्थान की 25 में से 15 सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिये। बीकानेर संभाग की भी 3 में दो सीटों बीकानेर व चुरू के लिए उम्मीदवार तय कर दिये। एक सीट श्रीगंगानगर होल्ड पर है। बीकानेर से भाजपा ने चौथी बार केंद्रीय कानून मंत्री व दलित राजनीति के बड़े चेहरे अर्जुनराम मेघवाल को फिर से उम्मीदवार बनाया है। वही चूरू में चकित करने वाला फेरबदल किया है। मौजूदा सांसद राहुल कस्वां का टिकट काटकर देवेंद्र झांझड़िया को उम्मीदवार बनाया है, जो अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी है। 
 चूरू से राहुल का टिकट कटना विस्मयकारी है। वे युवा है और पिछला चुनाव भारी अंतर से जीते थे। राज्य के कुछ सक्रिय सांसदों में भी उनकी गिनती होती थी। चूरू की राजनीति में 33 साल बाद ऐसा अवसर आया है जब कस्वां परिवार टिकट से दूर है। राहुल कस्वां के टिकट कटने के कई कारण गिनाये जा रहे हैं। पहला और बड़ा कारण उनकी भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ से अदावत है। राठौड़ विधानसभा चुनाव इस संसदीय क्षेत्र की तारानगर सीट से लड़े थे और नरेंद्र बुडानिया से हार गये थे। राहुल पर भितरघात का आरोप लगा था। दूसरा कारण चूरू की विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार का था। इन्हीं को बड़े कारण माना जा रहा है। 
 राजस्थान में कस्वां के अलावा देवजी पटेल, अर्जुनलाल मीणा व कनकमल कटारा का भी टिकट कट गया है। प्रतिक्रिया केवल राहुल कस्वां ने दी है। उन्होंने ट्विटर पर चूरू की जनता को राम राम करते हुए कहा है कि आप संयम रखें, कुछ ही दिनों में आपके बीच उपस्थित होऊंगा। जिसकी सूचना आपको दे दी जायेगी। ये भी लिखा है....  लेकर आपका विश्वास- पाकर आपका साथ, देकर हर संकट को मात, ध्येय मार्ग पर बढ़ते जायेंगे, उत्थानों के शिखर चढ़ते जायेंगे। 
 राहुल के इस ट्वीट ने राजनीतिक हल्के में हलचल पैदा कर दी है और कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। राहुल के पिता रामसिंह कस्वां भी पहले चूरू से सांसद रहे हैं। परिवार की एक राजनीतिक विरासत है। ये भी चर्चा है कि कस्वां का टिकट कटते ही कांग्रेस के नेताओं ने उनसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है। उसी की छांव में इस ट्वीट को देखा जा रहा है। 
 भाजपा के राहुल का टिकट काटने से संभाग की राजनीति में समीकरण बदले हैं। क्योंकि यहां की तीनों सीटों पर जाटों का बाहुल्य है और कस्वां परिवार की जाट राजनीति में पैठ भी है। चूरू व बीकानेर जब आरक्षित नहीं थी तब यहां से जाट उम्मीदवार ही अधिक जीतते आये हैं। इससे संभाग की जाट राजनीति में फेरबदल होगा। 
 संभाग की तीसरी सीट श्रीगंगानगर को अभी भाजपा ने होल्ड किया है जबकि वहां वर्तमान में भाजपा के निहालचंद मेघवाल सांसद है। मगर विधानसभा चुनाव में इस सीट की विधानसभा सीटें भी भाजपा अधिकतर पर हारी। इसलिए पार्टी यहां भी उम्मीदवार बदल सकती है। उसके बाद संभाग की राजनीति में दूसरा फेरबदल आयेगा। बीकानेर सीट पर भाजपा के लिए इस तरह की कोई परेशानी नहीं है। यहां तो कांग्रेस अभी तक उम्मीदवार ही तलाश रही है। कुल मिलाकर इस बार संभाग में तकडा चुनावी मुकाबला होगा। - मधु आचार्य ' आशावादी ' 
 
                                            
 चूरू से राहुल का टिकट कटना विस्मयकारी है। वे युवा है और पिछला चुनाव भारी अंतर से जीते थे। राज्य के कुछ सक्रिय सांसदों में भी उनकी गिनती होती थी। चूरू की राजनीति में 33 साल बाद ऐसा अवसर आया है जब कस्वां परिवार टिकट से दूर है। राहुल कस्वां के टिकट कटने के कई कारण गिनाये जा रहे हैं। पहला और बड़ा कारण उनकी भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ से अदावत है। राठौड़ विधानसभा चुनाव इस संसदीय क्षेत्र की तारानगर सीट से लड़े थे और नरेंद्र बुडानिया से हार गये थे। राहुल पर भितरघात का आरोप लगा था। दूसरा कारण चूरू की विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार का था। इन्हीं को बड़े कारण माना जा रहा है। 
 राजस्थान में कस्वां के अलावा देवजी पटेल, अर्जुनलाल मीणा व कनकमल कटारा का भी टिकट कट गया है। प्रतिक्रिया केवल राहुल कस्वां ने दी है। उन्होंने ट्विटर पर चूरू की जनता को राम राम करते हुए कहा है कि आप संयम रखें, कुछ ही दिनों में आपके बीच उपस्थित होऊंगा। जिसकी सूचना आपको दे दी जायेगी। ये भी लिखा है....  लेकर आपका विश्वास- पाकर आपका साथ, देकर हर संकट को मात, ध्येय मार्ग पर बढ़ते जायेंगे, उत्थानों के शिखर चढ़ते जायेंगे। 
 राहुल के इस ट्वीट ने राजनीतिक हल्के में हलचल पैदा कर दी है और कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। राहुल के पिता रामसिंह कस्वां भी पहले चूरू से सांसद रहे हैं। परिवार की एक राजनीतिक विरासत है। ये भी चर्चा है कि कस्वां का टिकट कटते ही कांग्रेस के नेताओं ने उनसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है। उसी की छांव में इस ट्वीट को देखा जा रहा है। 
 भाजपा के राहुल का टिकट काटने से संभाग की राजनीति में समीकरण बदले हैं। क्योंकि यहां की तीनों सीटों पर जाटों का बाहुल्य है और कस्वां परिवार की जाट राजनीति में पैठ भी है। चूरू व बीकानेर जब आरक्षित नहीं थी तब यहां से जाट उम्मीदवार ही अधिक जीतते आये हैं। इससे संभाग की जाट राजनीति में फेरबदल होगा। 
 संभाग की तीसरी सीट श्रीगंगानगर को अभी भाजपा ने होल्ड किया है जबकि वहां वर्तमान में भाजपा के निहालचंद मेघवाल सांसद है। मगर विधानसभा चुनाव में इस सीट की विधानसभा सीटें भी भाजपा अधिकतर पर हारी। इसलिए पार्टी यहां भी उम्मीदवार बदल सकती है। उसके बाद संभाग की राजनीति में दूसरा फेरबदल आयेगा। बीकानेर सीट पर भाजपा के लिए इस तरह की कोई परेशानी नहीं है। यहां तो कांग्रेस अभी तक उम्मीदवार ही तलाश रही है। कुल मिलाकर इस बार संभाग में तकडा चुनावी मुकाबला होगा। - मधु आचार्य ' आशावादी ' 
 

                                                