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Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके...

 
Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके...
  • एक हॉल, पांच दिन, सैकड़ों दर्शक, जीवन का हर रंग मंच से मन तक पहुंचा और गूंजती रही तालियां...
RNE Bikaner. टाऊन हॉल के मंच से संजय पुरोहित बोले, इस बार के रंग आनंद अवॉर्डी हैं बुलाकी भोजक...। हॉल में सारे दर्शक खड़े हो गए। तालियों की गूंज शुरू हुई तो थमने का नाम नहीं ले रही। पतलून, ब्लेजर पहने सामान्य कद काठी वाले लगभग 70 वर्षीय भोजक की चाल से साफ लग रहा था इतने भावुक हो चुके हैं कि मंच तक का सफर भी उनके लिए आसान नहीं। ख्यातनाम साहित्यकार, समीक्षक और नाटककार अर्जुनदेव चारण, लेखक-पत्रकार मधु आचार्य "आशावादी" वरिष्ठ रंगकर्मी प्रदीप भटनागर और शिक्षाविद डॉ चेतना आचार्य की मौजूदगी में उन्हें जब चेक और रंग आनंद अवार्ड का अभिनंदन पत्र भेंट किया तो आंखें नम थी। Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके...जब बोलने को माइक सौंपा तो बोल नहीं पाए। बस अपनी साथी रहे रंगकर्मी आनंद वी. आचार्य को याद किया और फफक पड़े। तालियां अब भी बज रही थीं। Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके... .. और शेखचिल्ली की चालबाजियों पर ठहाके-तालियों में होड़ : रंग आनंद के पांचवें और आखिरी दिन की नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। "बाबा शेखचिल्ली फेसबुक वाले" प्रस्तुति में खचाखच भरे टाऊन हॉल में मानो तालियों और ठहाकों के बीच होड़ मच गई। Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके... Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके... "जैसा हुकम सरकारी, वैसी पकेगी तरकारी" पंचलाइन के साथ कलाकारों ने कुछ इस अंदाज में बाबागिरी की पोल खोली कि हंसी की बौछार होती रही। रफी शब्बीर के लिखे नाटक को उत्तमसिंह ने डायरेक्ट करने के साथ ही इसमें बाबा का किरदार भी निभाया। Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके... Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके... प्रभारी सुरेश हिंदुस्तानी की देखरेख में यूएस एकेडमी की यह प्रस्तुति हंसाने के साथ ही सार्थक संदेश भी दे गई। जय खत्री, लोचन पारीक, प्रियंका आर्य, रविराज भाटी, नवेद भाटी, अनिल बांधड़ा, रोहित वाल्मीकि, फणीश्वर खत्री, विराज कुमार, गीतिका वालिया आदि ने मंच पर पात्रों को साकार किया। दृश्यों को प्रभावी बनाने में विशाल खत्री का प्रकाश और उदित नारायण पारीक का संगीत महत्वपूर्ण रहा। Rang Anand : फफक पड़े बुलाकी, आई आनंद की "सरदार", बाबा की हरकतों पर ठहाके...