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ओपीएस और तबादला नीति पर स्टैंड जरूरी, विधानसभा में उठेगें मुद्दे, सड़क पर भी संग्राम सम्भव

 
ओपीएस और तबादला नीति पर स्टैंड जरूरी, विधानसभा में उठेगें मुद्दे, सड़क पर भी संग्राम सम्भव
आरएनई,स्टेट ब्यूरो। सोहलवीं विधानसभा का दूसरा सत्र 3 जुलाई से आरम्भ हो रहा है, ये बजट सत्र है और इसके खासे हंगामेदार रहने की संभावना है। पहला सत्र तो जैसे तैसे निकल गया मगर ये सत्र अवधि के लिहाज से बड़ा होगा तो सरकार के पास विपक्ष का सामना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस सत्र में विपक्ष ज्यादा हमलावर भी रहेगा, क्योंकि विधानसभा चुनाव हारने के बाद उसने लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। कांग्रेस के पास विधायक भी 66 है और मुखर विधायक भी है। ओपीएस और तबादला नीति पर स्टैंड जरूरी, विधानसभा में उठेगें मुद्दे, सड़क पर भी संग्राम सम्भव भाजपा सरकार तो इस विधानसभा के पहले सत्र से ही दोहरी मार झेल रही है। एक तरफ विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर है, वहीं दूसरी तरफ उसके खुद के वरिष्ठ सदस्य सदन में पिछली बार मौन साधे रहे थे। जो साफ साफ भीतर की कलह को अभिव्यक्त कर रहा था। अब तो अंतर्कलह सड़कों पर आई हुई है। शुभकरण चौधरी, देवीसिंह भाटी, सुमेधानन्द, कोली, वसुंधरा राजे, राजेन्द्र राठौड़ के बयान चर्चा में है। किरोड़ी लाल मीणा की चुप्पी भी राजनीतिक संकेत करने वाली है। सदन में वसुंधरा राजे है, कालीचरण सराफ है, प्रताप सिंह सिंघवी है मगर सभी चुप रहते हैं। पक्ष या विपक्ष, कुछ भी, किसी पर भी नहीं बोलते हैं। यदि चुप्पी की यही स्थिति इस सत्र में भी बनी रही तो सरकार को सदन में बचाव करना मुश्किल पड़ेगा। ओपीएस और तबादला नीति पर स्टैंड जरूरी, विधानसभा में उठेगें मुद्दे, सड़क पर भी संग्राम सम्भव नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली ने शैडो मंत्रिमंडल भी बनाया है जो मंत्रियों के कामकाज पर नजर रखेगा। मतलब तीखे हमले होंगे। राज्य में भीषण गर्मी के समय पानी, बिजली की किल्लत बड़ा मुद्दा बनेगी। बिजली दरों में बढ़ोतरी पर विपक्ष के हमले का बचाव सरकार को करना है, जो इतना आसान नहीं। ईआरसीपी तो अब भी अपने आप में बड़ा मुद्दा है ही। फ्री बिजली मिलेगी या नहीं, किसान को लाभ मिलते रहेंगे या नहीं, स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं चलती रहेगी या नहीं, ऐसे अनेक सवाल है जिनका जवाब बजट में भजनलाल सरकार को देना है। जवाब के आधार पर ही विपक्ष के हमले का स्तर पता चलेगा। ओपीएस और तबादला नीति पर स्टैंड जरूरी, विधानसभा में उठेगें मुद्दे, सड़क पर भी संग्राम सम्भव दो बड़े मुद्दे हैं जिनका जवाब जनता बजट में चाहती है। ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम व तृतीय श्रेणी शिक्षक तबादलों पर क्या होता है, इस पर इन संवर्गों के साथ विपक्ष की भी नजर है। 8 विधायकों ने ओपीएस पर सवाल का जवाब मांग रखा है मगर वो नहीं मिला है, बजट में तो इस जवाब की उम्मीद सभी को है। राज्य कर्मचारी ओपीएस के मुद्दे पर एकजुट है और इससे वंचित नहीं होना चाहता। यदि सरकार ने रुख स्पष्ट नहीं किया या इसे लागू नहीं किया तो सदन में विपक्ष, सड़क पर कर्मचारियों के विरोध को उसे झेलना पड़ेगा। जिसका सामना सरकार के लिए आसान नहीं है। ओपीएस के मुद्दे पर केंद्र से भी सरकार ने दिशा निर्देश मांगे हैं। ये राज्य का गम्भीर मुद्दा है जिसे इस सत्र में भजनलाल सरकार टाल नहीं सकती। राज्य में बड़ी संख्या में तृतीय श्रेणी शिक्षक है और वो डेढ़ दशक से तबादले के लिए माँग कर रहे हैं। उनको चुनाव में भाजपा की तरफ से आश्वासन भी मिला हुआ है। उनको लेकर सरकार का क्या रुख है, वो इस सत्र में सरकार को स्पष्ट करना पड़ेगा। अब इस मसले को टाला नहीं जा सकता। तबादला नीति पर अभी भी सरकार निर्णय नहीं कर सकी है। ओपीएस और तबादला नीति पर स्टैंड जरूरी, विधानसभा में उठेगें मुद्दे, सड़क पर भी संग्राम सम्भव ओपीएस, तृतीय श्रेणी शिक्षक तबादले, बिजली, पानी पर विपक्ष सदन के भीतर हमलावर रहेगा तो सड़क पर इस वर्ग से जुड़े लोग। इसी वजह से विधानसभा सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है। ओपीएस और तबादला नीति पर स्टैंड जरूरी, विधानसभा में उठेगें मुद्दे, सड़क पर भी संग्राम सम्भव
-- मधु आचार्य ' आशावादी '