Twin Harlequin Baby नहीं रहे, बस इतनी ही सांसें लेने दुनिया में आए थे ये भाई-बहिन!
Nov 7, 2024, 21:30 IST
अलविदा Harlequin Twin!!
बच्चों की देखभाल करने वाले पीबीएम पीडिएट्रिक हॉस्पिटल के प्रोफेसर डॉ. गजानन्दसिंह तंवर का कहना है, जिस हार्लेक्विन इचथ्योसिस बीमारी से ये पीड़ित थे उसमें मृत्युदर 100 प्रतिशत है। ऐसे में लाक्षणिक उपचार के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता।
मामला यह है : बीकानेर के नोखा में महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। परिवार इस सूचना से खुश हो ही रहा था कि पता चला, बच्चे हार्लेक्विन इचथ्योसिस जैसी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। ऐसी बीमारी जिसमें त्वचा सख्त होकर फट जाती है और अंदरूनी अंग बाहर निकल आते हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे जी नहीं पाते।
ऐसे में नोखा में दुर्लभ बीमारी से ग्रसित जुड़वां बच्चों का जन्म होते ही डॉक्टर ने इन्हें एसपी मेडिकल कॉलेज से जुड़े पीबीएम पीडिएट्रिक हॉस्पिटल रैफर कर दिया। यहां पहुंचे बच्चों का प्रोफेसर डा. गजानंद तंवर की देखरेख में इलाज हो रहा था लेकिन यह सिर्फ लाक्षणिक या सिम्टोमैटिक ट्रीटमेंट था।
दरअसल हार्लेक्विन बेबी का जन्म होना एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी है जो मूल रूप से स्किन से जुड़ी है। इसमें त्वचा शरीर के अंदरूनी हिस्सों को बिलकुल भी सुरक्षित नहीं कर पाती। औसत के लिहाज से बात करें तो यह बीमारी 50 लाख जीवित बच्चों में से एक में होती है। अब तक ऐसे बच्चे जिंदा नहीं रहे हैं।
Twin Harlequin Baby का दुनिया में पहला मामला? हालांकि Harlequin Baby खुद में दुर्लभ बीमारी है और भारत में इससे पहले नागपुर और उड़ीसा में ऐसे मामले हाल के यानि पिछले 15 से 20 सालों में रिपोर्ट हुए है। इसके साथ ही जुड़वां Harlequin Baby का संभवतया दुनिया में पहला मामला था।
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