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बंसीलाल की परंपरागत सीट, वोटर है असमंजस में

RNE, NETWORK. 

हरियाणा के विकास में चौधरी बंसीलाल का नाम सबसे पहले गर्व के साथ लिया जाता है। उन्होंने लंबे समय तक राज्य का नेतृत्त्व किया। वे इंदिरा गांधी व संजय गांधी के निकटस्थ थे। कांग्रेस की राजनीति में उनका प्रभावी दखल था। आपातकाल के समय वे खूब चर्चा में रहे। बंसीलाल अपने खास देशी अंदाज के कारण जनता में बहुत ही पॉपुलर थे।

जाट बहुल इस प्रदेश में वे जाटों के एकमात्र नेता थे। उनकी एक आवाज पर हजारों लोग इक्कठा हो जाते थे। इंदिरा गांधी उनका बहुत सम्मान करती थी। उनको टक्कर देने के लिए चौधरी देवीलाल बाद में सामने आये। तब हरियाणा इन दो लालों, बंसीलाल व देवीलाल, के कारण पूरे देश में जाना जाता था।

तोशाम सीट इस कारण खास

हरियाणा के भिवानी जिले की सदा चर्चित सीट रही है। सिर्फ दो बार को छोड़ दिया जाए तो यहां हर बार बंसीलाल के परिवार का सदस्य ही जीतता रहा है। इस कारण इसे बंसीलाल परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है। हर चुनाव में इसे मीडिया हॉट सीट के रूप में ही काउंट करता है।

इस बार सीट ज्यादा चर्चा में

तोशाम की सीट इस बार ज्यादा चर्चा में है, क्योंकि यहां इस बार बंसीलाल के उत्तराधिकार की लड़ाई है। उनके एक बेटे की बहू व पोती भाजपा में चले गये है, इस कारण समीकरण बदले हैं। यहां दूसरे बेटे के बेटे कांग्रेस में है। कांग्रेस ने टिकट बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को दी है तो भाजपा ने पोती श्रुति चौधरी को उनके सामने उतारा है। इसी कारण इस लड़ाई को बंसीलाल के उत्तराधिकारी की लड़ाई बताया जा रहा है।

भाई – बहन आमने सामने है

तोशाम की सीट पर भाई – बहन आमने सामने होने से मुकाबला रोचक है। दोनों ही अपने को बंसीलाल का असली उत्तराधिकारी बता रहे हैं। मगर खूबसूरती इस बात की है कि व्यक्तिगत आरोप लगाने से तो अभी तक दोनों बच रहे हैं। ये सदाशयता मतदान तक रहेगी या नहीं, ये तो आने वाला समय बतायेगा।

वोटर असमंजस में है

तोशाम के वोटर का बड़ा लगाव है बंसीलाल से। अब उसी परिवार के लोग आमने सामने है, ये स्थिति पहली बार आई है। जिसके कारण वोटर असमंजस में पड़ गया है। अभी तो वो दोनों की बात को सुन भर रहा है, बोल नहीं रहा। जबकि उसे तय करना है कि बंसीलाल का उत्तराधिकारी असल में है कौन ? इस स्थिति के कारण तोशाम को हरियाणा की हॉट सीट माना जा रहा है।