मिलीभगत : ड्राइवर की जगह नर्सिंगकर्मी चला रहा एंबुलेंस, दवाई की दुकान में चल रहा अस्पताल
- जिस एंबुलेंस में हर 12 घंटे बाद पायलट-ईएमटी दोनों बदलने चाहिए उसमें एक ही आदमी 15-15 दिन चलाकर मरीजों की जान से कर रहा खिलवाड़
आरएनई, बीकानेर।
स्वास्थ्य सेवाओं में किस कदर फर्जीवाडा चल रहा है यह शुक्रवार को उस वक्त सामने आया जब बीकानेर के संयुक्त निदेशक डा.देवेन्द्र चौधरी अचानक हॉस्पिटलों का निरीक्षण करने निकले। ‘जहां हाथ रखो वहीं दर्द है’ की तर्ज पर डा.चौधरी ने जहां चैकिंग की वहां कुछ न कुछ अनियमितताएं मिली। खासतौर पर गर्भवतियों-प्रसूताओं सहित नवजात बच्चों को इलाज के लिए हॉस्पिटल लाने, ले जाने वाली एंबुलेंस में जानलेवा हद तक लापरवाही वाली मिलीभगत सामने आई।
ड्राइवर-नर्सिंगकर्मी दोनों एक :
दरअसल,शुक्रवार को संयुक्त निदेशक बीकानेर जोन डॉ देवेंद्र चौधरी द्वारा जिला अस्पताल नोखा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पांचू और कक्कू का औचक निरीक्षण किया गया। यहां उन्होंने 104 व 108 एंबुलेंस के संचालन में गंभीर अनियमितताएं पकड़ी। नोखा जिला अस्पताल से बीकानेर रैफर हुए मरीज को पीबीएम अस्पताल ले जाने के लिए नागौर के श्रीबालाजी से 108 एम्बुलेंस आई हुई थी जिसमें ड्राइवर ही नहीं था यानीकि नर्सिंग का कार्य करने वाले ईएमटी द्वारा ही वाहन चलाया जा रहा था। लॉग बुक व उपस्थिति की जांच करने पर पाया कि ईएमटी और पायलट 15-15 दिन एंबुलेंस संभाल रहे थे जबकि प्रतिदिन 12 घंटे में ड्यूटी बदलनी चाहिए। इस लापरवाही से मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है। 108 एंबुलेंस के नागौर इंचार्ज से बात करने पर उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली। डॉ चौधरी ने एंबुलेंस संचालन को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश दिए।
नवजात के इलाज में कम ही नहीं आ रही 104 :
ऐसा ही हाल कक्कू अस्पताल में खड़ी 104 एंबुलेंस का था जहां 15- 15 दिन की शिफ्ट में ड्यूटी की जा रही थी। यहां 95% कार्य केवल प्रसुताओं को घर छोड़ने का पाया गया। बीमार गर्भवती महिला व बीमार 1 वर्ष तक के बच्चों को लाने ले जाने का कार्य एंबुलेंस द्वारा नहीं किया जा रहा था यानीकि जननी शिशु सुरक्षा योजना का पूर्ण लाभ नहीं दिया जा रहा था।
लापरवाही का ये आलम :
पांचू अस्पताल में 108 एंबुलेंस में अग्निशमन यंत्र एक्सपायर्ड था। यहां एंबुलेंस में ही स्टेपनी को रखा गया था जो कि नियम के विरुद्ध है और एंबुलेंस की डिसइनफेक्टेंट से सफाई भी नहीं की जा रही थी। यहां कार्यरत ईएमटी सही तरीके से प्रशिक्षित नहीं पाई गई जिसे भी डॉ चौधरी ने गंभीरता से लिया। उन्होंने समस्त प्रकरण को राज्य सरकार के पास भेजने के निर्देश दिए। ब्लाक कार्यक्रम अधिकारी नोखा को ब्लॉक की समस्त एम्बुलेंस का चेकलिस्ट अनुसार निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। साथ ही सभी चिकित्सकों को अपने क्षेत्र की एंबुलेंस का प्रत्येक 7 दिवस में निरीक्षण करने के निर्देश संयुक्त निदेशक द्वारा जारी किए गए हैं।
हॉस्पिटल रखो साफ :
संयुक्त निदेशक ने राज्य सरकार द्वारा तय चेकलिस्ट अनुसार बिंदुवार सभी अस्पतालों को परखा और ओडीके एप में रियल टाइम इंद्राज किया। उन्होंने विशेष कर साफ सफाई को लेकर गंभीरता से निर्देश दिए ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से बचाया जा सके। उन्होंने चिकित्सकों व अन्य स्टाफ को यूनिफॉर्म में उपस्थित रहने के लिए पाबंद किया। डॉ चौधरी ने उपलब्ध निःशुल्क दवाइयों की संख्या तथा जांचों का विश्लेषण कर निर्देश दिए कि एक भी मरीज को बाहर से दवा ना खरीदनी पड़े यह चिकित्सक की प्राथमिक जिम्मेदारी है। क्षेत्र में स्वाइन फ्लू, कोरोना, मलेरिया व डेंगू जैसी मौसमी बीमारियों को लेकर अलर्ट करते हुए सर्विलांस को मजबूत करने के निर्देश दिए।
मेडिकल स्टोर में चल रहे हॉस्पिटल
निजी अस्पतालों का संचालन हो शत प्रतिशत मानकों के साथ : डॉ चौधरी
संयुक्त निदेशक डॉ देवेंद्र चौधरी द्वारा नोखा व पांचू क्षेत्र के विभिन्न निजी अस्पतालों, झोलाछाप क्लिनिक तथा मेडिकल स्टोर्स का भी औचक निरीक्षण किया गया। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी निजी अस्पताल क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में पंजीकरण करवाने तथा बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण के प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही अस्पताल का संचालन करें। सभी स्टाफ पूर्ण प्रशिक्षित होने जरूरी है इसके बिना अस्पताल का संचालन ना हो । कई जगह मेडिकल स्टोर की आड़ में बेड लगाकर चल रहे इलाज पर भी उन्होंने फटकार लगाई तथा अतिरिक्त दवा नियंत्रक को ऐसी गतिविधियों की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश जारी किए।