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Team India : T-20 की रिकॉर्ड ब्रेकिंग टीम को Test में बेस्ट बनाने BCCI को उठाने होंगे ये कदम!

भारत का क्रिकेट बोर्ड और भारतीय क्रिकेट फैंस इन दिनों मिक्स फीलिंग्स के साथ टीम इंडिया की परफॉर्मेंस को बारीकी से देख रहें है। एक तरफ जहां टीम इंडिया की यूथ बिग्रेड ने इस साल टी टवेंटी क्रिकेट में रिकॉर्ड ब्रेकिंग खेल दिखाया है वही टेस्ट क्रिकेट में स्टार खिलाड़ियों से भरी सीनियर टीम न्यूजीलैंड के हाथों घर में ही 3 टेस्ट की सीरीज में बुरी तरीके से शिकस्त खा गई।

क्रिकेट विश्लेषक और पूर्व क्रिकेटर टेस्ट और टी टवेंटी में टीम इंडिया के एकदम विपरीत खेल से हैरत में है।

कई क्रिकेट एक्सपर्ट का यह मानना है कि भारत में टी टवेंटी क्रिकेट की अधिक लोकप्रियता और टी टवेंटी क्रिकेट का अतिरेक में एक्सपोजर होने के कारण भारत का टेस्ट क्रिकेट थोड़ा सा बैक सीट पर चला गया है। इन दिनों आईपीएल के कारण देश के हर हिस्से से नवोदित क्रिकेटर्स की बाढ़ सी आ गई है। इस वक़्त भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के लिए कम से कम 30 से 35 खिलाड़ी चयन के लिए हर समय मौजूद है।

BCCI चाहे तो हर फॉर्मेट (टेस्ट -वन डे -टी टवेंटी ) के लिए अलग -अलग टीम और सपोर्ट स्टाफ रख सकता है।

न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में टीम इंडिया की हार का मूल कारण जो एक स्वर में लगभग हर क्रिकेट एक्सपर्ट ने कहा कि टीम इंडिया के खिलाड़ियों में अभ्यास की कमी थी और ज्यादा टी टवेंटी खेलने के कारण डिफेन्स को भूल कर हरेक खिलाड़ी अटैकिंग क्रिकेट खेलने की कोशिश कर रहा था।

विराट कोहली और रोहित शर्मा तो टी टवेंटी क्रिकेट को इस साल हुए टी टवेंटी क्रिकेट फाइनल के बाद अलविदा कह चुके है लेकिन यशस्वी जायसवाल, शुभमन गिल, के एल राहुल, ऋषभ पंत तो टी टवेंटी क्रिकेट खेल रहें है और इंटरनेशनल टी टवेंटी टीम के लिए सदा उपलब्ध है।

आईपीएल खेलना हर स्टार भारतीय खिलाड़ी के लिए मजबूरी हो सकता है क्योंकि IPL को BCCI ही रन करता है और IPL भारत की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स लीग है, बगैर स्टार खिलाड़ियों के तो IPL की उत्सुकता और ब्रांड वैल्यू फीकी पड़ जाएगी, तो फिर टेस्ट क्रिकेट के लिए उपयुक्त टीम कैसे तैयार होगी?

BCCI को अब निकट भविष्य में इसी समस्या का हल निकालना होगा, वरना टेस्ट क्रिकेट जो रियल क्रिकेट है,वही खेलकर ही एक क्रिकेटर का रियल कैरेक्टर डेवलप होता है,उसमें ही भारत का क्रिकेट पिछड़ता चला जाएगा।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि अगर ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया की परफॉरमेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं रहती है तो BCCI वाइट बॉल क्रिकेट और लाल गेंद के क्रिकेट के लिए अलग -अलग कप्तान और सहयोगी स्टाफ को नियुक्त करने की दिशा में कार्ययोजना बनाएगी।

टेस्ट क्रिकेट को बचाने और टीम इंडिया की टेस्ट क्रिकेट में भी बादशाहत कायम रखने के लिए BCCI को खिलाड़ियों के लिए हाइब्रिड मॉडल अपनाना होगा। हर साल के क्रिकेट शेड्यूल में उन खिलाड़ियों को फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने के लिए पाबंद करना होगा, जिन्हें भारत का प्रतिनिधित्व इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट में करना हो, तभी टी टवेंटी के साथ टेस्ट क्रिकेट में भी टीम इंडिया का जलवा इंटरनेशनल क्रिकेट में बना रहेगा।

फोकस टेस्ट क्रिकेट पर इसलिए भी ज्यादा करना होगा क्योंकि वन डे क्रिकेट तो टी टवेंटी क्रिकेट का ही एक्सटेंशन है।

यूं BCCI के दबाव के बिना भी खुद खिलाड़ी भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट के प्रति अपना मोह और समर्पण दिखा सकते है। अगर इंग्लैंड के जो रूट, ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क टेस्ट क्रिकेट के लिए फटाफट क्रिकेट को अरसे तक त्याग सकते है तो एक अच्छा खासा मुकाम हासिल करने के बाद भारत के स्टार खिलाड़ी ऐसा करने से परहेज क्यों करते है। रही बात पैसे की तो… सचिन तेंदुलकर बिना टी टवेंटी और आईपीएल के भी अपनी मेहनत,डेडीकेसन और अपने जुनून की वजह से अरबों रुपए उस दौर में भी कमा रहें थे जब न सोशल मीडिया था और न टी टवेंटी क्रिकेट और विभन्न क्रिकेट लीग का आगाज हुआ था।



मनोज रतन व्यास को समान्यतया फिल्म समीक्षक, लेखक, कवि के रूप में जाना जाता है। कम लोग जानते है कि बिजनेस मैनेजमेंट के महारथी और मीडिया में प्रसून जोशी के साथ एडवरटाइजमेंट क्रिएटीविटी टीम के सदस्य रहे मनोज गहरी दृष्टि वाले खेल समीक्षक हैं। rudranewsexpress.in के पाठक Sunday Sports Talk में उनकी इसी “फील्ड से फिनिश लाइन” तक वाली समीक्षकीय दृष्टि से हो रहे हैं रूबरू।