“लेखक केवल मनुष्य के हक की बात करता है”- अमरजीत कौंके
RNE, Shri Ganga Nagar.
हिंदी और पंजाबी के वरिष्ठ कवि अमरजीत कौंके (पटियाला) ने कहा है कि लेखक न तो किसी कट्टरता का समर्थन करता है और न ही किसी वाद के पक्ष में खड़ा होता है। लेखक केवल मानवतावादी होता है। वह मनुष्य के हक की बात करता है।
वे रविवार को सृजन सेवा संस्थान के मासिक कार्यक्रम “लेखक से मिलिए” की 119वीं कड़ी में महाराजा अग्रसेन विद्या मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लेखक सदैव पीड़ित और शोषित के पक्ष में लिखता है और अपने समय के सच को उजागर करता है।
कार्यक्रम में उन्होंने अपनी हिंदी और पंजाबी कविताएं सुना कर समां बांध दिया। इस मौके पर उनकी पुस्तक के डॉ. मंगत बादल अनूदित राजस्थानी संस्करण का विमोचन भी किया गया और राजस्थानी कविता का पाठ भी किया गया।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने कहा कि आज का कवि छंद को भूल गया है। छंदमुक्त कविता रचना गलत नहीं है, लेकिन उसमें लय तो हो। वरना पद्य और गद्य में फर्क ही नहीं रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि कविता लिखी नहीं जाती, वह कवि के भीतर उतरती है।
विशिष्ट अतिथि समाजसेवी संजीव लोहिया ने सफल कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं दीं। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. एन.पी. सिंह ने माना कि साहित्य हमें जड़ों से जोड़कर रखता है। हमें संस्कार देता है। शहर में इस तरह की गतिविधियां होना हम सबके लिए जरूरी है। कार्यक्रम में समाजसेवी विजयकुमार गोयल, डॉ. मंगत बादल, डॉ. एन.पी. सिंह और संजीव लोहिया ने डॉ. कौंके को शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक और साहित्य भेंट करके “सृजन साहित्य सम्मान” प्रदान किया।
इससे पहले सृजन के सचिव कृष्णकुमार “आशु” ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई और उपाध्यक्ष वरिष्ठ रंगकर्मी भूपेंद्र सिंह के अनुवाद कार्य संबंधी अधूरे सपने को पूरा करने की चर्चा की। आज का यह कार्यक्रम भूपेन्द्र सिंह को ही समर्पित था। मंच संचालन डॉ. संदेश त्यागी ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में साहित्यकार, साहित्य प्रेमी और शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे।