राजस्थान कर्मचारियों पर अब भी RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध
- कोटा दक्षिण से विधायक संदीप शर्मा ने नियम 295 में किया विशेष उल्लेख
- आरएसएस को लेकर राजस्थान विधानसभा में उठी यह मांग
- केन्द्र के साथ हरियाणा, हिमाचल, एमपी, छत्तीसगढ़ ने प्रतिबंध हटाया
- विधायक शर्मा ने संघ का कार्य, उद्देश्य, लक्ष्य आदि बताये
RNE Network.
राजस्थान विधानसभा में बुधवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों मंे शामिल होने पर लगे प्रतिबंध का मसला उठा। प्रदेश मंे कर्मचारियों के संघ की गतिविधियों में शामिल होने पर लगभग 43 साल से प्रतिबंध है। इस तुगलकी फरमान को हटाने की मांग उठी। इसके साथ ही देश विभाजन से लेकर आपातकाल लगाने सहित अन्य विपदाओं के समय संघ की ओर से देश व देशवासियों के लिये किये गए काम भी गिनाये गये।
विधायक संदीप शर्मा ने उठाया मसला:
दरअसल बुधवार को राजस्थान विधानसभा में शून्यकाल के दौरान कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा ने आरएसएस पर प्रतिबंध का मुद्दा उठाया। नियम 295 में विशेष उल्लेख करते हुए विधायक शर्मा ने आरएसएस को लेकर कई तथ्य रखे।
मां भारती के गौरव को परं वैभव तक पहुंचाना :
27 सितंबर 1925 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई। संघ का ध्येय राष्ट्रवाद, संघ का काम-राष्ट्रसेवा, शत्रु-राष्ट्रदोही और उद्देश्य अखंड भारत है। संघ का लक्ष्य है मां भारती के गौरव को परं वैभव तक पहुंचाना।
RSS : विपत्ति में हमेशा सेवा को आगे:
1947 में बंटवारे के दंगे, भारत-चीन युद्ध, 1965 का युद्ध, भारत-पाक युद्ध, भूकंप, अकाल, चक्रवात का विपदाकाल, 1977 का आपातकाल, 1984 के सिखविरोधी दंगों सहित कई ऐसे विपदाकाल गिनाये जा सकते हैं जहां संघ देशवासियों और आपत्ति के बीच दीवार बनकर खड़ा हो गया और आम जन व देश की सेवा की।
संघ पर प्रतिबंध:
1966 में केन्द्र सरकार ने संघ पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके साथ ही 1981 में राजस्थान सरकार ने भी अपने कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों मंे शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया।
केन्द्र सहित इन राज्यों में प्रतिबंध हटा:
विधायक शर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार ने हाल संघ की गतिविधियों मंे कर्मचारियों के शामिल पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। इसके साथ ही हिमाचल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और हरियाणा की राज्य सरकार ने भी अपने कर्मचारियों को इस प्रतिबंध से मुक्त कर दिया है।
राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने 1981 मंे प्रतिबंध लगाया था जो आज भी बदस्तूर है। ऐसे में यह प्रदेश लगभग 43 साल से इस तुगलकी फरमान को झेल रहा है। राजस्थान मंे भी कर्मचारियों पर लगा यह प्रतिबंध समाप्त किया जाए।