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सबसे छोटी जीत : सोम मरांडी, रामकृष्णन सबसे कम 09 वोटों से जीत सांसद बने

  • राजस्थान में नमोनारायण के नाम महज 317 वोटों की जीत
  • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के भोलानाथ मात्र 181 वोटों से जीते

धीरेन्द्र आचार्य

RNE, BIKANER .

पिछला यानी वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव तो आपको याद ही होगा। नतीजे घोषित हो रहे थे तो देश की एक सीट ऐसी थी जिसके नतीजे ने सबको चौंका दिया था। यह रिजल्ट था उत्तरप्रदेश के मछलीशहर लोकसभा सीट का। यहां मुकाबला इतना कड़ा हुआ कि भाजपा के भोलानाथ बसपा के त्रिभुवनराम से महज 181 वोटों से जीत पाये। यह वर्ष 2019 के चुनाव की सबसे कम वोटों की जीत थी।

इस नतीजे को जानकार चौंकने से पहले यह जान लीजिये कि यह अब तक की सबसे कम वोटों की जीत-हार नहीं है वरन इससे भी कड़े मुकाबले भारत के लोकसभा चुनाव इतिहास में देखे गए है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लोकसभा चुनाव में महज 09 वोट से जीत-हार हो चुकी है। वह भी एक नहीं दो बार। यह अब तक की सबसे कम वोटों की जीत-हार है।

सबसे बड़ी कांटे की टक्कर 01: रामाकृष्णा ने नरसिम्हा को 09 वोटों से हराया

वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव मे आंध्रप्रदेश की अनाकापल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस ने कोनाथला रामाकृष्णा को मैदान में उतारा। तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) ने अपाला नरसिम्हा पर भरोसा जताया। चुनाव के दौरान ही मुकाबला टक्कर का लगने लगा। जब नतीजा आया तो देशभर के राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकना पड़ा। इस चुनाव में कोनाथला रामकृष्ण ने 2,99109 वोट लिये जबकि अपाला नरसिम्हा को 2,99,100 वोट मिले। मतलब यह कि कांग्रेस के रामकृष्ण महज 09 वोटों से चुनाव जीते। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी वीसाम संन्यासीनायडु ने 35388 वोट लिये।

सबसे बड़ी कांटे की टक्कर 02: त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के सोम मरांडी 09 वोटों से जीते :

आंध्रप्रदेश के रामाकृष्णा और अपाला नरसिम्हा जैसी ही कांटे की टक्कर 1998 के चुनाव में बिहार की राजमहल सीट पर देखने को मिली। यहां कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे लेकिन मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच त्रिकोणीय हो गया। कांटे की टक्कर के बीच भाजपा के सोम मरांडी को 1,98,889 वोट मिले। कांग्रेस के थॉमस हंसदा को 1,98,880 वोट मिले। सोम मरांडी 09 वोटों से यह चुनाव जीत गए। तीसरे नंबर पर रहे झामुमो के सीमोन मरांडी को इस चुनाव में 1,50,104 वोट मिले। जाहिर है कि मुकाबला कड़ा त्रिकोणीय हुआ। ऐसे में सबसे कम वोटों की जीत-हार का रिकॉर्ड भी इस चुनाव में बना।

राजस्थान के नमोनारायण भी देश में सबसे कम वोटों से जीते :

एक चुनाव में राजस्थान के प्रत्याशी ने सबसे कम वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाया। ये प्रत्याशी थे कांग्रेस के नमोनारायण मीणा और चुनाव था वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव। कांग्रेस ने इस चुनाव में नमोनारायण को मैदान में उतारा था वहीं भाजपा तुरूप के पत्ते के रूप में गुर्जर आंदोलन के मुखिया कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला को सामने लाई थी। ऐसे में मुकाबला कांटे की टक्कर का हो गया। प्रदेश ही नहीं, देश के राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस चुनाव पर टिक गई। जब नतीजा आया तो बेहद चौंकाने वाला था। कांग्रेस के नमोनारायण को 3,75,572 वोट मिले। भाजपा के किरोड़ीसिंह बैंसला के खाते में 3,75,255 वोट पड़े। कड़े मुकाबले में नमोनारायण 317 वोटों से जीते।

08 बार 100 से कम वोटों से जीत-हार :

  • 1962 में आउटर मणिपुर सीट से सोशलिस्ट पार्टी के रिसांग कैसिंग 42 वोट से जीते।
  • 1971 में तमिलनाडु की तिरूचेंदुर सीट से डीएमके के एमएस सिवासामी ने महज 26 वोटों से जीत दर्ज की।
  • 1980 में यूपी की देवरिया सीट से कांग्रेस के रामायण राय मात्र 77 वोटों से जीते।
  • 1989 में आंध्रप्रदेश की अनाकापल्ली सीट से कांग्रेस के कोनाथला रामाकृष्ण मात्र 09 वोट से जीते।
  • 1998 में इतने ही वोटों से बिहार में भाजपा के सोम मरांडी ने जीत दर्ज की।
  • 1996 में गुजरात की बड़ौता सीट से कांग्रेस के गायकवाड़वाड़ सत्यजीतसिंह दिलीपसिंह सिर्फ 17 वोटों से जीते।
  • 2004 में लक्षद्वीप से जनतादल युनाइटेड के प्रत्याशी डा.पी.पुकुन्हीकोया 71 वोटों से जीते।
  • 2014 में भाजपा के लदाख प्रत्याशी थप्सन छेवांग ने 36 वोटों से जीत दर्ज की।

जानिये 1962 से अब तक के चुनाव में सबसे कम वोटों से किसकी जीत :

रूद्रा न्यूज एक्सप्रेस अपील: वोट जरूर दें