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बीकानेर में प्रदूषण को लेकर अब भी जागरूकता की जरूरत, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कोई ठोस काम नहीं प्रशासन का

  • जनता में भी अब तक पूरी जागरूकता नहीं, उसे जगाना जरूरी
  • सभी सरकारी महकमों को कर्त्तव्य निभाने की जरूरत

रितेश जोशी
ritesh joshi

RNE Special.

आज विश्व पर्यावरण दिवस है। ये दिन जीवन के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, इसका भान बहुत कम लोगों को ही है। ये कड़वा सच है कि लोग पर्यावरण को लेकर जागरूक नहीं है, तभी तो प्रदूषण के कारण होने वाले रोगों की संख्या व रोगियों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। लोगों की स्थित दयनीय होती जा रही है।

पूरी दुनिया पर्यावरण को लेकर चिंतित है, उसकी अपनी वजह है। विकास हर राष्ट्र की आवश्यकता है। मगर विकास की अंधी दौड़ में अगर सबसे ज्यादा किसी चीज की क्षति हुई है तो वह है प्रकृति की।
विकास की अपनी जरूरत से इंकार नहीं किया जा सकता। मगर साहित्यकार व चिंतक डॉ नंदकिशोर आचार्य के अनुसार प्रकृति से तालमेल कर यदि विकास की यात्रा को तय किया जाता तो आज ये समस्या नहीं आती। न पर्यावरण बिगड़ता और न ही बीमारियों की संख्या बढ़ती।

बीकानेर की हालत भी बिगड़ रही:

पर्यावरण को लेकर बीकानेर की हालत भी निरंतर बिगड़ रही है, मगर अफसोस है कि इसकी चिंता न तो प्रशासन को है और न ही जनता को। जबकि पर्यावरण को लेकर बीकानेर खतरे के मुहाने पर आ चुका है।

ये बिगाड़ रहे पर्यावरण:

बीकानेर में चारों तरफ से पर्यावरण पर हमले हो रहे है। उसको रोकने के लिए कोई जतन नहीं हो रहे। कड़ें नियम और कानून बने हुए है मगर उनको कोई सख्ती से लागू ही नहीं कर रहा। मिलीभगत के कारण जनता को खतरे में डालने का काम हो रहा है।

1. फैक्ट्रियों का धुआं

अब बीकानेर में भी फैक्टियों की संख्या कम नहीं है। इनको पर्यावरण विभाग से अनुमति लेकर ही फैक्ट्री लगानी होती है। यह प्रक्रिया पूरी की जाती है। मगर बाद में पर्यावरण विभाग केवल सालाना शुल्क या अपना मेहनताना लेता है और कुछ नहीं करता। कभी जाकर फैक्ट्री के वेस्ट, धुंए आदि को देखता ही नहीं और वे पर्यावरण को बिगाड़ते जाते है। कठोर कानून बने है, मगर कोई उपयोग ही नहीं करता।

2. मेडिकल वेस्ट

बीकानेर में संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल पीबीएम है। अब तो कई बड़े निजी चिकित्सालय भी खुल गए। इनके वेस्ट को खत्म की कोई वाजिब सुविधा नहीं। फलस्वरूप ये प्रदूषण को फैलाते रहते है। प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग मूक दर्शक बन आंखें मूंदे हुए है।

3. टाइम बार वाहन

शहर में टैक्सियां, कारें आदि उस जमाने की चल रही है जिनका बनना ही बंद हो गया। अधिकतर वाहन बिना प्रदूषण की जांच का सर्टिफिकेट लिए चल रहे है। उनकी सख्ती से जांच ही नहीं होती। परिवहन विभाग यदि अपने विभागीय नियमो को लागू कर दे तो बीकानेर की जनता को बचाने में बड़ा योगदान दे सकता है।

4. कृषि वाहन शहर में चल रहे

बहुत बड़ा आश्चर्य है कि बीकानेर शहर में कृषि वाहन धड़ल्ले से चल रहे है। ये निर्माण सामग्री को ढोने के काम आ रहा है। इनको रोकने का काम किया ही नहीं जा रहा।

जनता का जागरूक होना जरूरी:

ये भी बड़ा सच है कि जनता में भी जागरूकता की बड़ी कमी है। वो भी जहां चाहे कचरा फेंकती है, सड़ी गली सब्जियां फेंकते है। उनको भी जागरूकता लानी चाहिए।

ये कहना है बुद्धिजीवी वर्ग का:

पर्यावरण पर गंभीर काम करने वाले साहित्यकार, चिंतक डॉ ब्रजरतन जोशी का कहना है कि अभी बीकानेर में स्थिति उतनी बिगड़ी नहीं है, सभाला जा सकता है। प्रशासन व उसके विभाग जिम्मेवारी से काम करे और जनता सजग रहे तो पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है।

डॉ ब्रजरतन जोशी, साहित्यकार, चिंतक व पर्यावरणविद