महिला आरक्षण पर तो खूब समर्थन करते हैं, उम्मीदवार बनाने में कोताही बरतते हैं
RNE Network
नया संसद भवन बनाकर केंद्र सरकार ने सबसे पहले महिला आरक्षण विधेयक पारित किया। सभी राजनीतिक दलों ने राजनीति में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी की वकालत की। लगातार इस आधी आबादी के लिए राजनेता व राजनीतिक दल चुनावी घोषणाएं करते रहते हैं। क्योंकि उनको मत चाहिए।
मगर जब उनको उम्मीदवार बनाने की बारी आती है तो अपने को सिकोड़ लेते हैं। कोई भी दल रिस्क नहीं लेता। क्योंकि उस समय महिला उम्मीदवार नहीं जेहन में केवल जिताऊ उम्मीदवार रहता है। भले ही महिला उम्मीदवार टिकट मांग रहे हो, मगर दल इसे प्राथमिकता नहीं देते। प्राथमिकता केवल उस उम्मीदवार को देते हैं, जिसके जीतने की संभावना उनको नजर आती है।
राजस्थान में इस बार 7 सीटों पर उप चुनाव है, मगर मुख्य राजनीतिक दलों ने केवल 3 महिला उम्मीदवार ही उतारे है। उसमें भी भाजपा ने 1 व कांग्रेस ने 2 को उम्मीदवार बनाया है। हां, क्षेत्रीय दल रालोपा ने केवल 1 सीट पर चुनाव लड़ा है और वहां महिला उम्मीदवार को उतारा है।
यहां महिला उम्मीदवार:
भाजपा ने केवल सलूम्बर सीट पर महिला उम्मीदवार को उतारा है, वो भी सहानुभूति के फैक्टर को ध्यान में रखकर। यहां के विधायक अमृत लाल का निधन हो गया था, उसके कारण उप चुनाव हो रहा है। यहां भाजपा ने उनकी पत्नी शांति मीणा को उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस ने सलूम्बर सीट पर महिला को अवसर दिया है। यहां पार्टी ने रेशमा को टिकट दिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने खींवसर की सीट पर भी महिला को प्रत्याशी बनाया है। यहां पार्टी ने रतन चौधरी को टिकट दिया है।
हनुमान बेनीवाल ने नागौर की खींवसर सीट पर अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया है। आदिवासी पार्टी 2 सीट पर लड़ रही है मगर एक भी महिला को टिकट नहीं दिया।