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ये बहुत दुःखद बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरी

 
RNE Network राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि आज शोध करने वाले बहुत है, लेकिन लालफीताशाही की वजह से कुछ नहीं कर पाते। वे गुरुग्राम में विजन फ़ॉर विकसित भारत ( विविभा ) 2024 के सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। ये बहुत दुःखद  बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरीउन्होंने कहा कि आजकल सारा उद्देश्य पेट भरने का है, अगर ऐसा है, तो बहुत दुःखद है। भागवत ने कहा कि हर भारतवासी को विकसित और समर्थ भारत चाहिए। पिछले 2000 साल में विकास के अनेक प्रयोग हुए और उनमें खामियां या अपूर्णताएँ उजागर हुई। इन विफलताओं के समाधान के लिए पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है। हमें विकास और पर्यावरण, दोनों को साथ लेकर चलना ही होगा। ये बहुत दुःखद  बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरीगुरु द्रोण की कर्मभूमि गुरुग्राम में भारतीय शिक्षण मंडल के तीन दिवसीय अखिल भारतीय शोधार्थी सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा कि विकास एकाकी हो गया, जबकि इसे समग्रता से देखा जाना चाहिए। तकनीक आनी चाहिए, लेकिन निर्ममता नहीं होनी चाहिए। ये बहुत दुःखद  बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरी ये बहुत दुःखद  बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरी ये बहुत दुःखद  बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरी ये बहुत दुःखद  बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरी ये बहुत दुःखद  बात है, विकास व पर्यावरण को साथ लेकर चलना जरूरी