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जाटलेंड की लोकसभा सीटों पर सबकी नजर, बदला बदला मूड, कई आशंकाएं मंडराई

 
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।  पश्चिमी राजस्थान के जाटलेंड पर इस बार पूरे उत्तर भारत की निगाहें है। क्योंकि विधानसभा चुनावों के बाद यहां की राजनीति में बड़े उलटफेर हुए हैं जिनका असर 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा, इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। भाजपा दो चुनावों से लगातार राज्य की सभी 25 सीटें जीतती आ रही है और इस बार हैट्रिक की उम्मीद से उतरी है। जाटलेंड की लोकसभा सीटों पर सबकी नजर, बदला बदला मूड, कई आशंकाएं मंडराई मगर जाटलेंड की बदली राजनीति ने उसके सामने कई परेशानियां खड़ी कर दी है। विधानसभा चुनाव भाजपा ने जीता मगर जाटलेंड में उसका उस तरह का विजयी प्रदर्शन नहीं रहा। खासकर चूरू, श्रीगंगानगर, नागौर, बाड़मेर, सीकर में भाजपा अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई। केवल बीकानेर में भाजपा का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। इसी कारण ये जाटलेंड इस बार भाजपा व विपक्ष के लिए खास बन गया है। जाटलेंड की लोकसभा सीटों पर सबकी नजर, बदला बदला मूड, कई आशंकाएं मंडराई इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस इलाके में किसी से गठबंधन नहीं किया। लोकसभा चुनाव में भी वो गठबंधन में नहीं बंधती रही है। मगर इस बार कांग्रेस ने माकपा से गठबंधन किया है और उसके लिए सीकर सीट छोड़ी है, जहां कांग्रेस के विधायक ज्यादा है। माकपा ने भी यहां 4 बार के विधायक अमराराम चौधरी को मैदान में उतारा है। जाटलेंड की लोकसभा सीटों पर सबकी नजर, बदला बदला मूड, कई आशंकाएं मंडराई माकपा से विधानसभा चुनाव में समझौता नहीं हुआ तो कांग्रेस को सीधे सीधे श्रीडूंगरगढ़ व भादरा सीट गंवानी पड़ी। इस बार कांग्रेस को चूरू, श्रीगंगानगर में लोकसभा चुनाव के लिए माकपा के सहयोग की जरूरत थी, इसी वजह से सीकर सीट छोड़ी। इस समझौते से भी जाटलेंड के राजनीतिक समीकरण में बदलाव आया है। दूसरा बड़ा बदलाव भाजपा के टिकट वितरण से आया। भाजपा ने चूरू के मौजूदा सांसद राहुल कस्वां का टिकट काट दिया। वे इस्तीफा देकर कांग्रेस में आ गये और उनको टिकट भी मिल गया। कस्वां के टिकट कटने का जाटलेंड में असर साफ साफ दिख भी रहा है। ठीक इसी तरह बाड़मेर में रालोपा से हरीश चौधरी के सामने चुनाव लड़ केवल 910 वोटों से चुनाव हारने वाले हनुमान बेनीवाल के खास सहयोगी उमेदाराम भी रालोपा छोड़ कांग्रेस में आ गये। कांग्रेस ने उनको बाड़मेर से उम्मीदवार भी बना दिया। इससे रालोपा व भाजपा, दोनों को झटका लगा है और पूरा जाटलेंड प्रभावित हुआ है। जाटलेंड की लोकसभा सीटों पर सबकी नजर, बदला बदला मूड, कई आशंकाएं मंडराई नागौर में ज्योति मिर्धा कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गई। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिया मगर वे हार गई। भाजपा ने फिर से लोकसभा में उनको उम्मीदवार बना दिया। इस बार वे अपने परिवार के रिछपाल मिर्धा, विजयपाल आदि को भी भाजपा में ले आई। इस सीट को कांग्रेस ने अभी तक होल्ड किया हुआ है। रालोपा से गठबंधन की बात चल रही है। यदि ऐसा होता है तो इस बार जाटलेंड चुनाव में चकित करेगा। ज्यूँ ज्यूँ चुनाव आगे बढ़ेगा, स्थिति स्पष्ट होगी। -- मधु आचार्य ' आशावादी ' जाटलेंड की लोकसभा सीटों पर सबकी नजर, बदला बदला मूड, कई आशंकाएं मंडराई