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रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द 

 
  • ‘फिर ना मिलेगी जिंदगी’ से ‘रंग आनंद’ का आगाज, 'रूद्ध शैशव' आज
आरएनई, बीकानेर।  प्रदेशभर में अपनी खास पहचान बना चुके 'रंग आनंद' नाट्य समारोह का आगाज इस बार नाटक ‘फिर ना मिलेगी जिंदगी’ की प्रस्तुति के साथ हुआ। आज यानी मंगलवार को दूसरे दिन समारोह में 'रूद्ध शैशव' नाटक का मंचन होगा। रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द  रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द स्वामी विमर्शानन्द के सानिध्य में शुरुआत :  रंग आनंद का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ स्वामी विमर्शानन्द ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, नाटक करना भी अपने आप में एक तपस्या है, ईश्वर की साधना है । वरिष्ठ निर्देशक एल एन सोनी, बीकानेर की प्रथम रंगनेत्री पुष्पा जैन, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं लेखक मधु आचार्य आशावादी उद्घाटन समारोह में मौजूद रहे। संस्था की ओर से मधु आचार्य आशावादी ने रंगदर्शकों का स्वागत कर कहा, चार वर्षों से चले आ रहे इस समारोह को अनवरत जारी रखने की संकल्प नाट्य समिति हमेशा प्रयासरत रहेगी। रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द नवरीति ग्रुप बीकानेर की ओर से गणेश वंदना और राजस्थानी परंम्परा गीत पर बच्चों ने मनमोहक प्रस्तुति दी। अयाना शर्मा, वासु सांखला, रिद्धि पारीक, राजनंदिनी, माइषा शर्मा, हिमांषी, आरिका पाहुजा, आरवी पाहुजा, आव्या पाहुजा आदि ने अपने नृत्य से समा बांध दिया। रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द  ‘फिर ना मिलेगी जिंदगी’ ने खूब तालियां बटोरी :  रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द मरूधरा थियेटर सोसायटी बीकानेर की ओर से नाटक ‘फिर न मिलेगी ज़िन्दगी’ का मंचन किया गया। इस नाटक के लेखक एवं मार्गदर्शक  युवा रंगकर्मी सुरेश आचार्य रहे। नाटक का निर्देशन युवा रंग निर्देशिका प्रियंका आर्य ने किया। नाटक के मुख्य पात्र रामचरण शुक्ला ने उन तमाम लोगों की कहानी का बयान किया है जिन्हें एक वक्त पर आकर लगता है कि अभी तक उन्होंने जो जीवन जीया वो अपनों के लिए जीया। उन्होनें अपनी जिंदगी में अपने लिए कुछ नहीं किया। जो भी किया वो अपनों के लिए किया। उन्होनें अपनी सारी जिंदगी जिम्मेदारियों और काम में खर्च कर दी और अपनी खुद की जिन्दगी का आनंद तक नहीं लिया। रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द  मुख्य पात्र को इस बात का एहसास सेवानिवृत्ति के उपरांत होता है, परन्तु अन्य सभी व्यक्तियों के लिए यह अहसास अलग-अलग समय पर हो सकता है। यह अहसास होने पर नाटक का मुख्य पात्र उसी पल से अपने लिए जिंदगी को पूरी  जिन्दादिली से जीना शुरू कर देता हैं। नाटक के मुख्य पात्र रामचरण शुक्ला के रूप में रमेश शर्मा ने अपने जीवन का परिचय इस तरह से कराया कि दर्शक उसमें कहीं ना कहीं खुद को तलाशते नजर आए। प्रस्तुति इस कदर प्रभावी रही की दर्शकों ने नाटक के अंत में खड़े होकर देर तक तालियां बजाई। रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द नाटक में मंच पर रमेश  शर्मा, प्रहलाद सिंह राजपुरोहित, दीपांशु पांडे, प्रियंका आर्य, प्रदीप भटनागर, रामदयाल राजपुरोहित, अनिल बांदड़ा, रेणु जोशी, यजुर्व पाण्डे आदि ने दर्शकों को अपने अभिनय के दम परबांधे रखा। इस नाटक के प्रदर्शन प्रभारी वसीम राजा ‘कमल’, प्रियांशु सोनी, अनिल बांदड़ा, प्रतीक प्रजापत आदि ने मंच के पीछे रह कर सहयोग किया। कार्यक्रम का मंच संचालन बीकानेर के रंगकर्मी और आरजे जय मयूर टाक ने किया। रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द साक्षी बने : राजेन्द्र जोशी, कमल रंगा, इकबाल हुसैन , अशोक जोशी सुरेश पुनिया, वणिज्ययिक कर विभाग के उपायुक्त रामेन्द्र शर्मा आदि रहे । नाटक के समापन पर सभी कलाकारों का सम्मान किया गया । 'रूद्ध शैशव' आज 20 फरवरी को ‘‘रंग आनंद 2024’’ के इस समारोह में नव जन जागृति विचार कल्याण संस्था बीकानेर द्वारा नाटक 'रूद्ध शैशव' का मंचन स्थानीय टाऊन हाॅल में सांय 7 बजे किया जाएगा। रंगकर्म तपस्या से कम नहीं : स्वामी विमर्शानन्द 

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