भाजपा – कांग्रेस वोट विभाजन से चिंतित, सीएम पर पार्टी का दबाव
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हरियाणा में जिन हॉट सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है उनमें एक सीट लाडवा की भी है। कुरुक्षेत्र जिले की इस सीट पर खुद सीएम नायब सिंह लड़ना नहीं चाहते थे जबकि इस सीट से सांसद भी थे। उन्होंने दो दूसरी सीट भी तय की थी मगर पार्टी ने ओबीसी वोट बैंक को देखते हुए उन्हें यहीं से चुनाव लड़ने का कहा ताकि बाकी सीटों पर भी फायदा मिले।
नायब सिंह के उतरने इस सीट पर फोकस ज्यादा हो गया है और त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई है। इस कारण मत विभाजन यहां बड़ी चुनोती है। इस सीट पर मुख्यमंत्री होने के कारण नायब सिंह को बढ़त जरूर है, लेकिन एन्टीनकम्बेंसी का भी प्रभाव दिख रहा है। यदि नायब को पता होता कि इस सीट से लड़ना है तो वे आचार संहिता से पहले यहां के लिए विशेष घोषणाएं कर लेते। इस कारण ही अब सीट पर कड़ा मुकाबला है।
वोटों का गणित
इस सीट पर 40 प्रतिशत वोट ओबीसी व सैनी समाज के हैं। उसके साथ ही जाट वोट बैंक भी बड़ा है। सीएम सैनी का मुकाबला कांग्रेस के विधायक व जाट चेहरे मेवा सिंह से है। इनेलो बसपा गठबंधन ने यहां सपना बड़गामी को उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। सपना के ससुर 2009 में इस सीट को इनेलो से जीत चुके हैं। उनकी जाटों में अच्छी पैठ भी है।
वोटों का बिखराव डालेगा असर
लाडवा में भाजपा और कांग्रेस के सामने बड़ी चुनोती अपने वोट बैंक को बचाने की है। इनेलो व बसपा इन दोनों के ही वोट बैंक पर धावा बोला हुआ है, उसे रोकने की दोनों दलों के सामने चुनोती है। यहां इनेलो ने जाट उतार कांग्रेस वोट बैंक पर धावा बोला है तो जेजेपी ने ब्राह्मण उतार भाजपा के वोट काटने की कोशिश की है। कुल मिलाकर जो दल अपने वोट कटने से खुद को बचा लेगा, उसकी स्थिति बेहतर रहेगी।